वर्क प्रेशर के कारण तनाव, चिड़चिड़ापन, गुस्सा लाजिमी है। कभी-कभी तनाव इतना अधिक बढ़ जाता है कि इसे रोक पाना संभव नहीं होता है। यह तनाव गुस्से के रूप में कभी अपने कुलीग्स पर तो कभी घर के सदस्यों पर निकल आता है। इसके कारण खुद भी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि ब्रीद वर्क से हम अपने तनाव और गुस्से का प्रबंधन आसानी से कर सकते हैं। आइए सबसे पहले जानते हैं कि ये ब्रीद वर्क (breathwork techniques) क्या है और यह स्ट्रेस और क्रोध को कैसे कंट्रोल (How Breathe Work release anger and stress) कर सकती है?
किसी भी प्रकार के सांस लेने की एक्सरसाइज या टेक्निक को ब्रीद वर्क कहा जाता है। यदि आप सचेत होकर सांस लेती हैं, सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया पर अपना माइंड कॉन्सन्ट्रेट करती हैं, तो यह न सिर्फ आपको हर तरह के तनाव से मुक्त करता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत भी बनाता है।
ब्रीद वर्क या ब्रीदिंग एक्सरसाइज (Breathing Exercise) को इन दिनों वैकल्पिक चिकित्सा (Alternative Remedy) के रूप में खूब प्रयोग किया जा रहा है। कई रिसर्च बताते हैं कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है। यह हार्ट, ब्रेन, डाइजेशन और इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करता है।
यदि आप सचेत होकर या जागरूक होकर सांस लेती और छोड़ती हैं, तो यह आपके नर्वस सिस्टम को शांत करता है। इससे हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है। इससे ब्लड में स्ट्रेस हार्मोन का लेवल घटता है। जब आप लंबी सांस लेती हैं, तो इससे आपके शरीर में ज्यादा मात्रा में हवा पहुंच पाती है। इससे एंग्जायटी और स्ट्रेस लेवल घटता है।
योग एक्सपर्ट मनीषा कोहली हेल्थ शॉट्स से बताती हैं, यदि आप अपनी रूटीन में 3 ब्रीदिंग एक्सरसाइज शामिल करेंगी, तो स्ट्रेस अपने-आप दूर भाग जाएगा और आप रिलैक्स महसूस करेंगी। यह आर्ट ऑफ ब्रीदिंग है, जिसे डायफ्रामेटिक ब्रीदिंग (Diaphragmatic Breathing) भी कहा जाता है।
अपने मन को शांत कर ध्यान सांसों पर केंद्रित करना है। इसे हर कोई आजमा सकता है।
पालथी मारकर सीधा बैठें, रीढ़, कमर और गर्दन को सीधा रखें।
जो पालथी मारकर नहीं बैठ सकते, वे कुर्सी पर बैठें।
आंखें बंद कर लें। 1 हाथ चेस्ट पर और 1 हाथ पेट पर रखें।
ध्यान सांसों पर रखें।
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कस्टमाइज़ करेंगहरी सांस लें और फिर छोड़ें।
ऐसा 5 बार करें।
खाना खाने के 4 घंटे बाद ही कपालभाति करें। ब्लड प्रेशर के मरीज, प्रेगनेंट लेडी और पीरियड के समय इसे न करें।
पालथी मारकर बैठ जाएं। रीढ़, कमर और गर्दन को सीधा रखें।
दोनों हाथों को एक-दूसरे पर चढ़ाकर पेट पर रखें।
एक बार गहरी सांस लें और फिर पेट को धक्का देते हुए बार-बार सांस बाहर निकालें। इस क्रम में आपका पेट अंदर की ओर जाना चाहिए।
ऐसा 50 बार करें।
इसे किसी भी समय किया जा सकता है। इसे हर कोई कर सकता है।
आंखें बंद कर पद्मासन में बैठ जाएं।
अपने दाहिने नथुने से अंगूठे को हटा दें और सांस छोड़ें।
सांस छोड़ते हुए अपने बाएं नथुने को बंद कर लें।
दाहिने नथुने से सांस लें।
बायें नथुने से अंगूठे को हटा दें और सांस छोड़ें।
यह अभ्यास 10 मिनट तक कर सकती हैं।
फोर्टिस एसकॉर्ट हॉस्पिटल की साइकोलॉजिस्ट डॉ. भावना बर्मी हेल्थ शॉट्स से बताती हैं कि यदि आप तनाव और गुस्से को दूर करना चाहती हैं, तो इन 2 उपायों को भी आजमा सकती हैं।
अपनी दोनों हथेलियों को एक-दूसरे से रगड़कर गर्म करें।
गर्म हथेलियों को तनावग्रस्त शरीर के हिस्सों पर रखें।
यह महसूस करें कि एनर्जी आपको हील कर रही है।
ऐसा 10 बार करें।
हार्ट चक्र के पास नमस्ते की मुद्रा में अपने हाथों को रखें।
सांस पर ध्यान दें। इस अवस्था में कुछ देर तक रहने पर रिलैक्स महसूस करेंगी।
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