महात्मा बुद्ध ने कहा है,’अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेने के लिए, अपने परिवार में सच्ची खुशी लाने के लिए, सभी के लिए शांति लाने के लिए, सबसे पहले व्यक्ति को अपने माइंड को अनुशासित और नियंत्रित करना चाहिए।” पर क्या आपको लगता है कि आपका दिमाग आपकी जरूरतों की उल्टी दिशा में दौड़ता रहता है? तो यहां हम बौद्धिक दर्शन से आपके लिए वे टिप्स लाए हैं, जिनसे आप अपने मस्तिष्क को नियंत्रित कर सकती हैं।
हमारे शरीर का हर अंग एक-दूसरे पर निर्भर है। हालांकि इस बात में कोई शक नहीं है कि हमारा दिमाग पूरे शरीर में सबसे शक्तिशाली उपकरण है। एक बार जब हमें अपने दिमाग की खासियत समझ आ जाती है और हम जान जाते हैं कि यह कैसे काम करता है, तो हमारे लिए इसका इस्तेमाल करना काफी आसान हो जाता है।
पर अगर आपको लग रहा है कि आपका दिमाग आपकी बिल्कुल नहीं सुन रहा, तो अब खुद पर काम करने का समय आ गया है। क्योंकि अपने ब्रेन के सीईओ बनने के बाद ही आप जीवन में कुछ अचीव कर सकते हैं। कैसे? वो सब हम पर छोड़ दीजिए! और पढ़ते रहिए।
दिमाग का मुख्य काम थिंकिंग प्रोसेस को डेवलप करना और उस प्रक्रिया के दौरान विचारों को उजागर करना होता है। हमारे विचार हमारे ही द्वारा बनाए गए बेसिक स्ट्रक्चर्स के रूप में निकल कर आते हैं।
उदाहरण के तौर पर आपने सिगरेट को लेकर एक स्ट्रक्चर तैयार किया कि यह पीना खराब है। तो जब भी आप सिगरेट देखेंगी या उसकी महक आपको मिलेगी तो आपका दिमाग आपके विचार को आपके बनाए गए स्ट्रक्चर के हिसाब से ही उजागर करेगा। लेकिन कुछ मामलों में हमें अपने विचारों पर नियंत्रण नहीं होता है। अगर ऐसा है तो आप अपने दिमाग की बॉस नहीं है।
तात्पर्य यह है कि आपके जो भी विचार हैं वह बाहर से या दूसरों से आते हैं। वह विचार आपके द्वारा बनाए गए स्ट्रक्चर के नहीं होते। अगर आप हमेशा यह तय नहीं कर सकतीं कि आपको क्या सोचना है, आप अपनी मर्जी से सोचना बंद नहीं कर सकती,तो इस बात में कोई दो राय नहीं कि आपका दिमाग आपको चला रहा है।
ध्यान लगाना हमारे मन को शांत रखने के अलावा हमें एकाग्र रहने में सहायता करता है। संगीत पर ध्यान लगाना या किसी रोशनी पर ध्यान लगाना हमें अपने दिमाग पर काबू पाने और नकारात्मक विचारों से दूर रहने में सहायता प्रदान करते हैं। यह आज का नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है। ज्यादातर लोग ओम की ध्वनि पर ध्यान लगाते हैं। ऐसा करने से हम अपने दिमाग पर आसानी से काबू पा सकते हैं। हम क्या सोचते हैं क्या करते हैं यह सब हमारे हाथ में है।
यदि आप फिजूल खाली बैठी रहेंगी, आपके पास कोई काम नहीं होगा तो आप अपने आप ओवरथिंकिंग से खुद को रोक नहीं पाएंगी। कभी सकारात्मक, तो कभी नकारात्मक विचार माहौल के अनुसार आपके दिमाग में आएंगे।
हालांकि ऐसे विचारों को नियंत्रण में करना आसान है। बस अपने आप को किसी ऐसे काम में व्यस्त रखें जहां एकाग्रता का इस्तेमाल होता हो। आपने बचपन से ही यह कहावत जरूर सुनी होगी कि “खाली दिमाग शैतान का घर” यह एक तरह से सच है। आपके जीवन में होने वाली हर चीज के लिए आपका दिमाग जिम्मेदार है। यह अच्छी चीजों और बुरी चीजों के लिए, सफलता और असफलता के लिए एक सृजन शक्ति है।
कुछ विचार वक्त के साथ-साथ स्वयं बदलने लगते हैं, जैसा हमारा नजरिया होता है हमारे विचार वैसे ही उत्पन्न होने लगते हैं। लेकिन कुछ विचारों को हमें स्वयं बदलना पड़ता है। जब हम खुद अपने विचारों को तय करते हैं, तो हम अपने दिमाग को यह संदेश देते हैं। और नए विचारों को अपनाने की ठान लेते हैं।
परिस्थितियों के अनुसार विचारों को बदलना जीवन में खुशहाली लेकर आ सकता है। अधिकांश लोग यह नहीं जानते या नहीं मानते कि उनके सोचने के तरीके को बदलना संभव है। इस संभावना की वास्तविकता उनके सामने कभी नहीं आई है।
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