ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों से संबंधित एक स्वास्थ्य स्थिति है, जो आपकी हड्डियों को कमजोर बना देती है। ये स्थिति आपके बोन डेंसिटी को प्रभावित करती है, जिससे हड्डियां पतली और कमजोर होने लगती हैं और इनमें आसानी से फ्रैक्चर हो सकता है। हड्डी शरीर का एक बेहद मजबूत हिस्सा है जो आपके पूरे बॉडी वेट को सपोर्ट देता है। बढ़ती उम्र के साथ बोन डेन्सिटी कम होती है और हड्डियां कमजोर होना शुरू हो जाती है। पर ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में बेहद कम उम्र ही आपकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा प्रकाशित डाटा के अनुसार भारत में लगभग 61 मिलियन लोग ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से पीड़ित हैं। वहीं इनमें से 80% महिलाएं हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस तब होता है जब बोन मास नष्ट हो जाता है और हड्डी के ऊतकों की संरचना में परिवर्तन आता है। कुछ जोखिम कारक ऑस्टियोपोरोसिस के विकास का कारण बन सकते हैं, या इसके खतरे को बढ़ा सकते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोगों में कई प्रकार के जोखिम कारक होते हैं। कुछ जोखिम कारक हैं जिन्हें आप बदल नहीं सकते हैं, और कुछ ऐसे हैं जिन्हें आप बदलने में सक्षम हो सकते हैं। हालांकि, इन कारकों को समझकर, आप बीमारी को बढ़ने या विकसित होने सहित बोन फ्रैक्चर को रोक सकते हैं।
यदि आप महिला हैं तो ऑस्टियोपोरोसिस विकसित होने की संभावना अधिक होती है। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हड्डियों का द्रव्यमान कम होता है और हड्डियां छोटी होती हैं। हालांकि, पुरुषों को भी खतरा है। खासकर 70 वर्ष की आयु के बाद।
जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, हड्डियों का नुकसान होने लगता है और नई हड्डियों का विकास धीमा हो जाता है। समय के साथ, आपकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
सिलेंडर और पतली हड्डियों वाले पुरुष एवं महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा सबसे अधिक होता है, क्योंकि इनमें सामान्य बोन डेंसिटी वाले व्यक्ति की तुलना में हड्डियां कम होती हैं।
यदि आपके माता-पिता में से किसी एक को ऑस्टियोपोरोसिस या कूल्हे के फ्रैक्चर का इतिहास रहा है, तो आपमें ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा अधिक होता है।
कुछ हार्मोनों के निम्न स्तर से ऑस्टियोपोरोसिस विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर कम होने के साथ ही हार्मोन विकारों या अत्यधिक शारीरिक गतिविधि के कारण मेनोपॉजल महिलाओं में मासिक धर्म की असामान्य अनुपस्थिति से एस्ट्रोजन का निम्न स्तर भी ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ा देता है।
बचपन से लेकर बुढ़ापे तक, कम कैल्शियम और विटामिन डी वाला आहार ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर के खतरे को बढ़ा सकता है। अत्यधिक परहेज़ या कम प्रोटीन के सेवन से हड्डियों के नुकसान और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है।
चिकित्सीय स्थितियां जिनका आप इलाज या प्रबंधन कर रही हैं, वे भी ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ा सकती हैं। हार्मोनल रोग, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग, कुछ प्रकार के कैंसर, एचआईवी/एड्स और एनोरेक्सिया नर्वोसा जैसी स्वस्थ स्थितियां ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ा देती हैं।
कुछ दवाओं का लंबे समय तक उपयोग करने से आपमें हड्डियों के नुकसान और ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है।
हड्डियों को मजबूत बनाये रखने के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली महत्वपूर्ण है। हड्डियों के नुकसान में योगदान देने वाले कारकों में शामिल है, शारीरिक स्थिरता यह ऑस्टियोपोरोसिस का एक सबसे बड़ा कारण हो सकती है। लगातार भारी मात्रा में शराब पीना ऑस्टियोपोरोसिस के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है। वहीं धूम्रपान भी ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर के लिए एक जोखिम कारक है।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण अन्य स्वास्थ्य स्थितियों की तरह नजर नहीं आते हैं। ऐसे में डॉक्टर्स इसे साइलेंट डिजीज का नाम देते हैं। इस स्थिति में आपको सिरदर्द, बुखार या पेट दर्द जैसा कुछ नहीं होता।
इसके सबसे आम “लक्षण” में शामिल है अचानक से हड्डी टूटना, विशेष रूप से किसी छोटी दुर्घटना के बाद जो आमतौर पर आपको चोट नहीं पहुंचाती है।
भले ही ऑस्टियोपोरोसिस सीधे तौर पर लक्षणों का कारण नहीं बनता है, आप अपने शरीर में कुछ बदलाव देख सकते हैं। जिसका मतलब यह हो सकता है कि आपकी हड्डियां ताकत या घनत्व खो रही हैं।
आपकी हइट का एक इंच या उससे अधिक कम होना।
आपकी प्राकृतिक मुद्रा में परिवर्तन आना (अधिक झुकना या आगे झुकना)।
सांस लेने में तकलीफ होना (यदि आपकी रीढ़ की डिस्क आपके फेफड़ों की क्षमता को कम करने के लिए पर्याप्त रूप से संकुचित है)।
पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहना।
आपकी स्वयं की शारीरिक बनावट में हो रहे बदलावों को नोटिस करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में यदि आपके परिजनों में से कोई आपके शरीर (विशेषकर आपकी ऊंचाई या मुद्रा) में परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है तो इसे कभी भी नजरअंदाज न करें।
बोन मिनिरल डेंसिटी को मापने के लिए सबसे आम परीक्षण ड्यूल एनर्जी एक्स-रे अब्जॉर्बसिमेट्री (डीएक्सए) है। यह एक त्वरित, दर्द रहित और गैर-आक्रामक परीक्षण है। डीएक्सए निम्न स्तर के एक्स-रे का उपयोग करता है क्योंकि जब आप गद्देदार मेज पर लेटे होते हैं तो यह आपके शरीर के ऊपर से स्कैनर गुजारता है। परीक्षण आपके स्केलेटन के बीएमडी और विभिन्न स्थानों पर जहां फ्रैक्चर होने का खतरा होता है, जैसे कूल्हे और रीढ़ को मापता है। कूल्हे और रीढ़ की हड्डी में डीएक्सए द्वारा बोन डेंसिटी के माप को आमतौर पर ऑस्टियोपोरोसिस का निदान और फ्रैक्चर जोखिम की भविष्यवाणी का सबसे विश्वसनीय तरीका माना जाता है।
कुछ लोगों में पेरीफेरल डीएक्सए (DXA) होता है, जो कलाई और एड़ी में हड्डियों के घनत्व को मापता है। इस प्रकार का डीएक्सए पोर्टेबल है और इससे स्क्रीनिंग आसान हो सकती है। हालांकि, परिणाम स्वरूप यह डॉक्टरों को भविष्य में फ्रैक्चर के जोखिम का स्पष्ट अनुमान लगाने या बीमारी पर आपकी दवाओं के प्रभाव की निगरानी करने में मदद नहीं कर पाता।
डॉक्टर आपके बीएमडी परीक्षण परिणामों की तुलना युवा, स्वस्थ लोगों की औसत बोन डेंसिटी और आपकी उम्र, लिंग और जाति के अन्य लोगों की औसत बोन डेंसिटी से करते हैं। यदि आपका बीएमडी एक निश्चित स्तर से नीचे है, तो आप ऑस्टियोपोरोसिस के घेरे में हो सकती हैं और इस स्थिति में डॉक्टर हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जीवनशैली के दृष्टिकोण में बदलाव करने के साथ ही हड्डी टूटने की संभावना को कम करने के लिए दवाओं की सिफारिश करते हैं।
कभी-कभी, आपका डॉक्टर एड़ी के क्वानटेटिव अल्ट्रासाउंड (क्यूयूएस) की सिफारिश कर सकता है। यह एक परीक्षण है जो हड्डी का मूल्यांकन करता है लेकिन बीएमडी को नहीं मापता। यदि क्यूयूएस के रिपोर्ट के अनुसार आपकी हड्डियों का नुकसान हुआ है, तो भी आपको हड्डी के नुकसान और ऑस्टियोपोरोसिस के निदान के लिए डीएक्सए परीक्षण की आवश्यकता पड़ती है।
नियमित एक्सरसाइज आपकी हड्डियों को मजबूत बनाती है। ऐसे में अपनी मांसपेशियों को मजबूती देने वाले और बैलेंस मेंटेन करने वाले एक्सरसाइज में भाग लें। इसके अलावा वॉकिंग, योग, पाइलेट्स जैसी शारीरिक गतिविधियां भी हड्डियों को मजबूती प्रदान करती है और बॉडी बैलेंस को बनाए रखती हैं। यदि आपको ऑस्टियोपोरोसिस है, तो किसी भी प्रकार के एक्सरसाइज की शुरुआत करने से पहले फिजिकल थैरेपिस्ट की सलाह जरूर लें।
ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में डॉक्टर दर्द को नियंत्रित रखने के लिए एवं समस्या को बढ़ाने से रोकने के लिए मेडिकेशन सजेस्ट करते हैं। वहीं इस स्थिति में ज्यादातर मेडिकेशंस इंजेक्शन द्वारा दिए जाते हैं।
इस स्थिति में कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट सबसे जरूरी होते हैं। इन सप्लीमेंट्स को कब और कितनी मात्रा में लेना है यह आपकी स्थिति पर निर्भर करता है। इसे लेने की सही जानकारी चेकअप के बाद हेल्थ केयर एडवाइजर निर्धारित करते हैं।
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हाइट का काम होना, पोश्चर में बदलाव आना, सांस लेने में तकलीफ होना, सामान्य गतिविधियों को करते हुए हड्डियों में फ्रैक्चर आना, पीठ के निचले में असामान्य रूप से दर्द महसूस होना यह सभी ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण में शामिल हैं।
नहीं, ऑस्टियोपोरोसिस को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। यह पूरी उम्र आपके साथ रहता है। हालांकि, जीवन शैली की गतिविधियों में बदलाव कर और इलाज से इसके लक्षणों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति आम तौर पर कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से उत्पन्न होती है। वहीं शरीर में अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की कमी भी इसका कारण बन सकती हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती हैं और आसानी से इनमें फ्रैक्चर हो सकता है, ऐसे में भारी शारीरिक गतिविधियों को करने से बचना चाहिए। रीड की हड्डी को अधिक घुमाने वाली गतिविधियों सहित, आगे की ओर झुकना, पैर की उंगलियों को छूने की कोशिश करना, आदि से जितना हो सके उतना बचें।