टाइफाइड साल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण होने वाला संक्रमण है। इसके कारण तेज़ बुखार, दस्त और उल्टी भी हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति को एंटीबायोटिक दवाओं से शीघ्र उपचार नहीं मिलता है, तो यह जीवन के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
टाइफाइड बुखार, जिसे एंट्रीक फीवर भी कहा जाता है, साल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण होता है। स्वास्थ्य के लिए यह एक गंभीर खतरा हो सकता है। बच्चों को इस बुखार से और अधिक सावधान होने की जरूरत है। दरअसल, बैक्टीरिया से संक्रमित हुए भोजन और पानी टाइफाइड बुखार का कारण बनते हैं। साल्मोनेला बैक्टीरिया से संक्रमित व्यक्ति के नजदीक रहने से भी दूसरा व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है। यह अनहाइजेनिक जगहों पर अधिक आम है।
29 अगस्त 2023 तक टाइफाइड के कुल 2389 संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिनमें 52 मौतें भी शामिल हैं।अधिकांश लोग जिन्हें टाइफाइड बुखार होता है, वे बैक्टीरिया को मारने के लिए एंटीबायोटिक्स उपचार शुरू करने के लगभग एक सप्ताह बाद बेहतर महसूस करने लग जाते हैं। उपचार नहीं कराने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
जटिलता बढ़ने पर इससे मृत्यु का जोखिम भी हो सकता है। हालांकि टाइफाइड बुखार के लिए वैक्सीन उपलब्ध है और यह बचाव में काफी हद तक कारगर है।
टाइफाइड बैक्टीरिया एस टाइफी के कारण होता है। यह भोजन, पेय और पीने के पानी से फैलता है, जो संक्रमित मल पदार्थ से दूषित होते हैं। यदि पानी दूषित है, तो फलों और सब्जियों को इससे धोने से भी फैल सकता है।
कुछ लोगों को बिना किसी लक्षण के टाइफाइड हो जाता है। दूसरों में लक्षण खत्म होने के बाद भी बैक्टीरिया का पनपना जारी रहता है। कभी-कभी यह रोग दोबारा प्रकट हो सकता है। जो लोग टाइफाइड पॉजिटिव होते हैं, संक्रमण फैलने के डर से बच्चों या बड़े वयस्कों के साथ उन्हें काम करने की अनुमति नहीं दी जाती है, जब तक कि उनका परीक्षण नेगेटिव न हो जाए।
आमतौर पर बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 1-3 सप्ताह बाद ही इसके लक्षण दिखाई देने शुरू होते हैं। टाइफाइड के दो मुख्य लक्षण बुखार और दाने हैं। इसका बुखार तेज़ होता है, जो धीरे-धीरे कई दिनों में 104ºF तक बढ़ जाता है। हालांकि हर व्यक्ति को दाने हों, यह जरूरी नहीं। इसके कारण शरीर पर गुलाबी रंग के धब्बे हो सकते हैं, खासकर गर्दन और पेट पर।
इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं :
टाइफाइड बुखार बहुत तेज़ होता है। तेज बुखार आने पर ज़्यादा तरल पदार्थ पिएं। टाइफाइड बुखार से उल्टी और दस्त हो सकते हैं, जिससे शरीर में पानी की बहुत कमी हो सकती है। ठंडी पट्टी का इस्तेमाल करें। साथ ही डॉक्टर के निर्देश के अनुसार दवा लें।
एक डॉक्टर आम तौर पर किसी व्यक्ति की हेल्थ हिस्ट्री के आधार पर टाइफाइड बुखार का निदान करता है। ताकि इसे पैराटाइफाइड से अलग किया जा सके। पैराटाइफाइड साल्मोनेला एंटरिका के कारण होने वाला संक्रमण है। इस संक्रमण के लक्षण टाइफाइड के समान हैं, लेकिन इसके घातक होने की संभावना कम होती है।
डॉक्टर व्यक्ति से इस बारे में प्रश्न पूछता है कि क्या उन्होंने उन क्षेत्रों में यात्रा की है या वहां रहे हैं जहां यह बीमारी स्थानिक है या जहां इसका प्रकोप पहले से हो या बढ़ रहा हो। वे यह भी जानना चाहेंगे कि क्या व्यक्ति को टीकाकरण मिला है, वे कहां और कैसे रहते हैं, और क्या वे कोई दवा ले रहे हैं। वे शायद यह भी जानना चाहेंगे कि क्या वह व्यक्ति अशुद्ध भोजन या पानी के संपर्क में तो नहीं आया।
टाइफाइड का एकमात्र प्रभावी उपचार एंटीबायोटिक्स हैं। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, यहां तक कि प्रेगनेंसी में भी। डॉक्टर आमतौर पर नॉन प्रेगनेंट महिलाओं के लिए सिप्रोफ्लोक्सासिन का उपयोग करते हैं।
डॉक्टर द्वारा उपयोग की जा सकने वाली अन्य एंटीबायोटिक्स हैं:
टाइफाइड से पीड़ित व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर हाइड्रेट रहने की हिदायत दी जाती है। अधिक गंभीर मामलों में, जब आंतों में छेद होने की स्थिति हो, तो व्यक्ति को सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। साथ ही वैक्सीन लेना, निजी और घरेलू स्वच्छता में सुधार लाना, संक्रमण को सीमित करने के लिए संक्रमण से ग्रस्त लोगों को दूसरों के संपर्क में आने से बचाना भी शामिल है।
टाइफाइड बुखार के लक्षण आमतौर पर किसी व्यक्ति के साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से संक्रमित होने के 1 या 2 सप्ताह बाद विकसित होते हैं। उपचार से टाइफाइड बुखार के लक्षणों में 3 से 5 दिनों के भीतर तेजी से सुधार होना चाहिए।
उन सभी खाद्य पदार्थों से बचें जिनमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इन्हें पचाना मुश्किल होता है और ये पाचन तंत्र पर दबाव डालते हैं। टाइफाइड के दौरान मरीजों का पेट खराब हो जाता है और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ खाने से पेट और ज्यादा खराब हो सकता है। कच्चे फल, सब्जियां, ओट्स, जौ, बीज, साबुत अनाज, मेवे और बीन्स खाने से भी बचना चाहिए।
वे आपकी आंतों में और फिर आपके रक्त में चले जाते हैं। रक्त में, वे आपके लिम्फ नोड्स, पित्ताशय, यकृत, प्लीहा और शरीर के अन्य भागों तक जाते हैं। कुछ लोग एस टाइफी के वाहक बन जाते हैं और कभी-कभी वर्षों तक अपने मल में बैक्टीरिया छोड़ते रहते हैं, जिससे बीमारी फैलती रहती है।
टाइफाइड के मरीज दूध का सेवन कर सकते हैं। बैक्टीरिया के हमले की संभावना को कम करने के लिए सेवन से पहले दूध को ठीक से उबालना आवश्यक है।
केला विशेष रूप से जब स्किम्ड दूध या छाछ के साथ लिया जाता है, तो टाइफाइड रोगियों में पोषण के लिए जरूरी भोजन बन जाता है। यह कैलोरी, मिनरल और विटामिन की आपूर्ति करता है। यह आसानी से पच जाता है। इसलिए टाइफाइड का मरीज इसे खा सकता है।