किसी बात पर गुस्सा आ जाना एक सामान्य बात है। मन की इस भावनात्मक स्थिति से कुछ लोग जल्दी बाहर आ जाते हैं, तो कुछ घंटों इसका चिंतन करते हैं। क्रोध से भर जाने के कारण शरीर में कई साइकॉलोजिकल और बायोलॉजिकल बदलाव आने लगते हैं। तेज़ गुस्सा (Anger Management )आने के चलते हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। शरीर में बेचैनी महसूस होती है। इसके चलते शरीर में एनर्जी हार्मोन, एड्रेनालाईन और नॉरएड्रेनालाईन का स्तर भी बढ़ जाता है।
अमेरिकन साकॉलोजिकल एसोसिएशन के मुताबिक इंसान को गुस्सा दो कंडीशन में आता है। पहला है एक्सटर्नल और दूसरा है इंटरनल इवेंट। एक्सटर्नल का मतलब है कि किसी व्यक्ति की बात पर या सिचुएशन पर क्रोध या रोष का अनुभव होना। वहीं इंटरनल इवेंट का मतलब है कि व्यक्ति को अपनी किसी पुरानी असफलता को लेकर या किसी पुरानी बात को याद करके गुस्सा अनुभव होने लगता है। जो उसे अंदर ही अंदर परेशान करता है।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हलद्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि हर व्यक्ति को गुस्सा आता है और ये एक स्वाभाविक इमोशन है। कई बार कुछ लोगों में गुस्से की मात्रा अत्यधिक होती है। जो उसके लिए हानिकारक हो सकता है। उस व्यक्ति को अपने गुस्सा के व्यवहार पर निंयत्रण करने के लिए कुछ तरीकों को अपनाना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले गुस्से की वजह को आइडेंटिफाई करें और फिर उसका कारण खोजें। कारण ढूढ़ने के बाद उसे नियंत्रित करने का तरीका जानें। इस बात को आपको समझना होगा कि हर समस्या का समाधान गुस्से से नहीं हो सकता है। लोगों को उनकी परिस्थितियों के हिसाब से समझने का प्रयास करें।
किसी के द्वारा काम में रुकावट डालना
ऊंची आवाज़ में बात करना
बार-बार किसी काम के लिए टोकना
भावनाओं को न समझना
गलत शब्दों का प्रयोग
खिल्ली उड़ाना
एंगर मैनेजमेंट का अर्थ गुस्से को दबाना नहीं बल्कि सिचुएशन के मुताबिक उसे खुद पर हावी होने से बचाना है। रिएक्शन कई बार स्थिति को खराब कर सकता है। ऐसे में खुद को नकारात्मकता से दूर रखने के लिए पॉजिटिव लाइफस्टाइल को अपनाएं। इसके लिए इन सिंपल टिप्स को फॉलो करें।
अगर आप किसी से नाराज़ है, तो उसे कुछ भी कहने से पहले एक बार ज़रूर सोच लें। इस बात को समझें कि आपके कुछ कहने से दूसरे व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा। क्या इससे आपके रिश्ते बिखर सकते हैं। इसके लिए खुद को 10 से 15 सेकण्ड के लिए शांत कर लें और धैर्य बनाए रखें। कुछ देर विचार करने के बाद जब गुस्सा शांत हो जाए, तब आप ज़रूर अपनी बात को जाहिर करें। इससे दूसरे व्यक्ति को अपनी गलती का पछतावा अवश्य होगा।
कई बार गलत वक्त पर गलत शब्दों का प्रयोग बहुत सी बनती चीजों को बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में अगर आपके अंदर किसी के लिए कोई भावना उठ रही है, चाहे हो अच्छी है या बुरी, तो उसे दबाने की जगह लिखें। लिखने से तनाव रिलीज़ होने लगता है। आप अंदर ही अंदर घुटने की समस्या से बच जाते हैं।
घर में रहकर परेशान और क्रोध में रहने की बजाय कुछ वक्त घर से बाहर रहें और दोस्तों से मिलें। खुद को एंगेंज रखने से एंगजाइटी पर आसानी से काबू पाया जा सकता है। आप चाहें, तो कुछ वक्त अपनी पसंदीदा एक्टिविटीज़ को करने में समय बिताएं। इससे आपका तन और मन दोनों ही शांत होने लगते हैं।
खुद को टेंशन फ्री रखने के लिए कुछ वक्त एक्सरसाइज़ या योग करें। इससे आप खुद को हेल्दी और स्ट्रेस से मुक्त रख पाते हैं। बात बात पर आने वाले गुस्से पर काबू पाने के लिए माइंड को डायवर्ट करना बहुत ज़रूरी है। एक्सरसाइज़ हमारे मांइड को रिलैक्स रखता है। इससे मन की स्थिति मज़बूत बनने लगती है।
अपने आप को अत्यधिक क्रोध से बवाने के लिए खुद को किसी काम में बिजी कर लें। इससे आपका दिमाग अपने आप अन्य कामों में व्यस्त रहने लगता है। इससे आस पास होने वाली छोटी छोटी बातें आपको प्रभावित नहीं कर पाती है। ऐसे में अपने आप को एगेंज रखने से आप बहुत सी चिंताओं से मुक्त रहते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंजब भी गुस्सा आए, तो उसे खुद पर हावी होने से रोकने के लिए रिवर्स काउंटिंग करना शुरू कर दें। इससे आपका क्रेध रिवर्स मोड पर चला जाता है। आप खुद को हल्का और तनाव रहित महसूस करने लगते है। आपका मन संतुलित हो जाता है, जिससे आप जल्दी नॉर्मल पोज़िशन में आने लगते हैं।
सप्ताह के अंत में कुछ वक्त घूमने फिरने के लिए अवश्य निकालें। इससे आप खुद को फ्रैश फील करने लगते हैं। परिवार, दोस्तों या कलीग्स के साथ कुछ वक्त बाहर बिताएं और एजॉय करें। इससे आपके शरीर में हैप्पी हार्मोंस रिलीज़ होने लगते है।
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