रोज की भागदौड़ की जिंदगी में हम शायद खुद को कहीं खो बैठते हैं। सुबह से शाम तक काम और अन्य जिम्मेदारियों के चलते खुद को समय देने का वक़्त ही नही मिलता। यही कारण हैं कि आज के समय में हर दूसरा व्यक्ति एंग्जाइटी की समस्या से जूझ रहा है।
रिश्तों के तनाव, जिम्मेदारियों का बोझ, काम का तनाव आदि कई कारण एंग्जाइटी का कारण बन रहे हैं। एंग्जाइटी पर ध्यान देना इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि यह दिमाग के साथ हमारे शरीर को भी नुकसान पहुंचाती है। एंग्जाइटी के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसके कुछ लक्षण सामने ही नही आते। इस विषय पर खुलकर बात करते हुए मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ ललिता का एक इंस्टाग्राम पोस्ट सामने आया है। जिसमें एंग्जाइटी के लक्षणों पर खुलकर बात की गई है। आइये जानते हैं इन लक्षणों के बारें में।
एंग्जाइटी एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को बैचेनी होने के साथ लगातार नकारात्मक विचार आने लगते हैं। इसके साथ ही इसमें शारीरिक बदलाव जैसे कि हाथ कांपना, पसीने आना आदि समस्याएं होने लगती है। अगर इस समस्या का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
एंग्जाइटी से ग्रस्त व्यक्ति हमेशा अपनी सोच में खोए रहता है। यह समस्या अकेलेपन का आभास करने वाले व्यक्तियों में ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसे में इन्हे खुद से बात करने, दूसरों को गलत समझने और अपने विचारों में खोए रहने की आदत होती है।
ब्रेन फॉग एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को विचारों को लेकर कंफ्यूजन रहनी शुरू हो जाती है। डॉ ललिता के मुताबिक ब्रेन फॉग के बार व्यक्ति को कंफ्यूजन, भूलने की बीमारी, किसी काम में स्पष्टता न होना जैसी परेशानियां होती हैं। एंग्जाइटी में होना ब्रेन फॉग का सबसे बड़ा कारण हो सकता है।
एंग्जाइटी से ग्रस्त व्यक्ति ज्यादातर समय इरिटेट ही रहता है। उसके मन में खुद को लेकर कॉन्फिडेंस की कमी रहती है। साथ ही हर चीज पर बात करते हुए गुस्सा करना, चिल्लाना और जल्दी परेशान होने जैसी समस्या होने लगती है।
एंग्जाइटी का सबसे बड़ा असर स्लीप पैटर्न पर पड़ता है। मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ ललिता के मुताबिक एंग्जाइटी से ग्रस्त व्यक्ति को नींद न आना, बहुत ज्यादा नींद आना या सोने के बावजूद थकावट होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
ऐसी समस्या में व्यक्ति का खुद के विचारों पर कंट्रोल नही रहता। वो जिन बातों से दूर भागना चाहता है, वही चीजें उसे बार-बार याद आती रहती है। कोशिशों के बावजूद वो खुद को संभाल नही पाता है। खराब विचार उसकी एंग्जाइटी को बढ़ाने का कारण बनने लगते हैं।
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डॉ ललिता के मुताबिक एंग्जाइटी की समस्या बढ़ने पर व्यक्ति अपने शरीर से अपना कंट्रोल खोने लगता है। ऐसे में उसे कई बार चोट का आभास भी नही होता। ऐसे व्यक्तियों को कई बार समझ नही आता की इनके साथ क्या हो रहा है। ऐसे में व्यक्ति अपने विचारों में खोये रहता है।
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कस्टमाइज़ करेंइस स्थिति से ग्रस्त व्यक्ति में हमेशा डर रहता है कि उसके साथ कुछ बुरा हो सकता है। उसे हमेशा ऐसा महसूस होता है कि उसका खुद पर कोई कंट्रोल नही है। वो सोशल लाइफ से दूर होकर अकेले रहना ज्यादा पसंद करने लगता है। साथ ही खुद पर कॉन्फिडेंस न होने के कारण जरूरी चीजों का सामना करने से पीछे भागने लगता है।
फोकस में कमी इस समस्या के मुख्य लक्षणों में शामिल है। ऐसे में व्यक्ति को न सिर्फ पढ़ते या काम करते वक़्त बल्कि दूसरों से बातचीत करते दौरान भी फोकस नही रहता है। ऐसे में व्यक्ति सामने वाले की बात को सुन तो रहा होता है, लेकिन उसको ठीक से समझ नही पा रहा होता।
एंग्जाइटी एक गम्भीर समस्या है, इसलिए अगर आपको किसी करीबी में इसके लक्षण नजर आते हैं, तो उनसे खुलकर बात करने की कोशिश करें। कुछ खास प्रकार की साइकोथेरेपी समस्या को कंट्रोल करने में मदद कर सकती है। डाइट में बदलाव, अच्छे संगीत की आदत, कुछ खास एक्सरसाइज इस समस्या से जल्द राहत दे सकती है।
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