Think Positive : यहां जानिए कैसे सकारात्‍मक सोच आपको स्‍वस्‍थ रखती है

सकारात्मक सोच न केवल आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी है, बल्कि यह आपको शारीरिक रूप से भी फिट रख सकती है। यह हम नहीं कह रहे हैं, विज्ञान ने प्रूव किया है!
सारी दुनिया परफेक्‍ट हो यह जरूरी नहीं। फोटो : शटरस्‍टॉक
सारी दुनिया परफेक्‍ट हो यह जरूरी नहीं। फोटो : शटरस्‍टॉक
Updated On: 11 Oct 2023, 04:44 pm IST
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सकारात्‍मक सोच स्‍वस्‍थ और खुशहाल जीवन का मूलमंत्र है। ढेर सारी सूचनाओं और प्रतिस्पर्धी दुनिया में, हम अक्सर उन विचारों में गुम हो जाते हैं, जो हमारे दिमाग को अपने कब्‍जे में ले लेते हैं। जरूरी नहीं कि ये सभी विचार सकात्‍मक हों। अकसर हम तनावपूर्ण चीजों के बारे में ज्‍यादा सोचने लगते हैं। जिससे हमारी शारीरिक ही नहीं मानसिक सेहत भी प्रभावित होती है।

हालांकि, नकारात्मक विचारों के इस चक्र को तोड़ना और सकारात्मक सोच पैदा करना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद साबित होता है।

जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन के एक अध्ययन के अनुसार, हृदय रोग के पारिवारिक इतिहास वाले जिन लोगों के जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण था, उनमें नकारात्‍मक दृष्टिकोण वाले लोगों की तुलना में हार्ट अटैक होने का जोखिम एक तिहाई कम था।

क्या है सकारात्मक सोच ?
सकारात्मक सोच का अर्थ है सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करना। एक व्यक्ति जो सकारात्मक तरीके से सोचता है, वह अपने आसपास के लोगों और घटनाओं के उज्‍ज्‍वल पक्ष पर ही ध्‍यान केंद्रित करता है।

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अन्य बातों के अलावा, सकारात्मक सोच आपको चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकती हैं। फोटो : शटरस्टॉक

सकारात्मक सोच के हैं कई लाभ
सकारात्मक और आशावादी सोच के कई फायदे हैं, अगर आप भी जानना चाहते हैं कि वे आश्चर्यजनक फायदे क्‍या हैं, तो यहां पढ़ि‍ए

वे जीते हैं लंबी उम्र : जॉन्स हॉपकिन्स के अनुसार, जिन लोगों के पास परिवार में हृदय रोग का इतिहास है लेकिन सकारात्मक दृष्टिकोण है, वे दिल का दौरा पड़ने के बाद भी ज्‍यादा लंबी जिंदगी जीते हैं। उनमें किसी भी तरह के जोखिम की संभावना एक तिहाई कम होती है।

मजबूत होती है इम्‍यूनिटी: आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने के प्रमुख तरीकों में से एक सकारात्मक रूप से सोचना है। जब आप सकारात्‍मक तरीके से सोचते हैं, तभी आपकी इम्‍यूनिटी ज्‍यादा बेहतर तरीके से काम करती है और आप बेहतर तरीके से बीमारियों से लड़ पाते हैं।

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स्ट्रेस से उबरने का आपका अपना क्विक फॉर्मूला क्या है?

यह हम नहीं साइंस कह रहा है। केंटकी विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका में किए गए 30 वर्षों में 300 अध्ययनों के मेटा-विश्लेषण, पाया गया कि नकारात्मक सोच शरीर की प्रतिरक्षा कार्यप्रणाली में परिवर्तन करती है। दूसरी तरफ सकारात्मक सोच शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करती है।

रक्तचाप को कम करता है: उच्च रक्तचाप के मुख्य कारणों में से एक बहुत अधिक तनाव है। अगर हम सकारात्मक सोच रखते हैं, तो हम तनाव कम लेते हैं और हमारा रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।

साइकोसोमेटिक मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित एक सहयोगी अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने बुजुर्गों में  उच्च सकारात्मक सोच और निम्न रक्तचाप के बीच संबंध पाया।

सकारात्मक सोच आपको तनाव मुक्त होने में भी मदद कर सकती है। फोटो : शटरस्टॉक।

तनाव प्रबंधन: आपकी सोच जितनी अधिक सकारात्मक होगी आप पर तनाव का दबाव उतना ही कम होगा। वैज्ञानिकों ने पाया है कि सकारात्मक सोच वाले व्‍यक्ति हर घटना के उज्‍ज्‍वल पक्ष को देख सकने में समर्थ होते हैं। जिससे उन्‍हें अगर तनाव होता भी है तो वे उसका असर समग्र स्‍वास्‍थ्‍य पर नहीं पड़ने देते। और बेहतर तरीके से मैनेज कर पाते हैं।

इस तरह करें सकारात्‍मक सोच को अपने जीवन में शामिल

लिखती रहें : Wright State University School of Medicine  के एक अध्‍ययन के अनुसार, लिखने की आदत आपको जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण से भरे रखती हैं। साथ ही यह आपके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य में भी मददगार होती है। यह आपको कृतज्ञता और सुधार का भी अहसास करवाता है।

journaling for mental health
लिखना एक अच्‍छी आदत है, ये आपको सकारात्‍मक बनाए रखती है। फोटो : शटरस्टॉक

मुस्कान: मुस्‍कुराना किसी चमत्‍कार से कम नहीं है ! इससे फर्क नहीं पड़ता कि काम कितना तनावपूर्ण है, मुस्कुराहट के साथ काम करते हुए आप अपने आसपास सकारात्‍मक दृष्टिकोण में इजाफा करते हैं। यह आपको आशावादी भी बनाता है।

अपनी ताकत को हाइलाइट करें: सकारात्मक बने रहने के लिए, आपको अपनी ताकत को याद करते रहना जरूरी है। अपने सामर्थ्‍य की स्‍वयं सराहना करनी आनी चाहिए। अगर नकारात्‍मक सोच को दूर रखना है तो अपने कौशल का इस्‍तेमाल अपनी दैनिक गतिविधियों में करें।

सकारात्मक सोच आपको अपने जीवन के बारे में बेहतर निर्णय लेने और दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकती है।  इससे आप यह महसूस करेंगी कि आपका शरीर और दिमाग काम के साथ-साथ अपने व्‍यक्तिगत संबंधों के प्रति भी ज्‍यादा सजग हो गया है।

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