छुट्टियों के शुरू होते ही बच्चे दिनभर दौड़ भाग और उछलकूद में व्यस्त रहते हैं। इससे पेरेंटस भी बेहद परेशान हो जाते हैं। उर्जा से भरपूर बच्चों को बिजी रखने के लिए पेरेंटस भी अच्छी एक्टिविटीज़ की तलाश में रहते हैं। हांलाकि बच्चों के वेकेशंस को यादगार बनाने के लिए यूं तो पेंरेंटस बच्चों को कुछ दिन के लिए आउटिंग पर ले जाते हैं। मगर अत्यधिक एनर्जी और कुछ नया सीखने की ललक के चलते बोर होने लगते हैं। अगर आप भी बच्चों के वेकेशंस (kids in vacations) में उन्हें बिजी रखने का प्लान बना रही हैं, तो इन एक्टिविटीज का ले सकती हैं सहारा।
दौड़ने भागने और खेलने से बच्चे न केवल एक्टिव रहते हैं बल्कि उनकी लंबाई भी बढ़ने लगती है। स्पोर्टस के ज़रिए बच्चे के अंदर काफिडेंस बढ़ता है। साथ ही बच्चा हर वक्त एक्टिव बना रहता है। इससे बच्चों के मसल्स का विकास होता है। मेंटल हेल्थ भी उचित बनी रहती है। स्पोर्टस के अलावा बच्चों को एरोबिक्स और योगा क्लासिस भी ज्वाइन करवा सकते हैं। इससे बच्चों के शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है।
पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए हमें अपनी अगली पीढ़ी को जागरूक करना चाहिए। पौधों को पानी देने से लेकर पौधारोपण तक उन्हें हर बात की जानकारी देनी चाहिए। गार्डनिंग के ज़रिए बच्चे कई नई चीजों को सीखते हैं और पर्यावरण को साफ सुथरा रखने की समझ भी उनके अंदर बढ़ने लगती है। छुट्टियों के दौरान बच्चों को गार्डनिंग में एंगेज कर दें।
बच्चों को क्रिएटिव आर्ट में वेस्ट मैटीरियल से चीजें बनाना, पेंटिंग और ड्राइंग यानि चित्रकारी जैसी चीजों की जानकारी दें । इसमें बच्चे दरे तक व्यस्त रहते हैं। बच्चों को एक्टिविटीज़ में एगेंज करने के साथ साथ उन्हें मॉनिटर करना भी ज़रूरी है। क्रिएटिव आर्ट से बच्चों की इमेजिनेशन पावर बढ़ने लगती है और उनके अंदर क्रिएटिव सेंस डेवलप होती है। साथ ही बच्चों में चीजों की रिसाइकलिंग, कलरिंग और पेपर वर्क की नॉलेज बढ़ती है। क्रिएटिव आर्ट में घण्टों व्यस्त रहने वाले बच्चों के राइटिंग सिकल्स भी सुधरने लगते हैं।
कुछ बच्चों को गिटार पसंद है, तो कोई सिंगिग व डासिंग सीखना चाहता है। ऐसे में बच्चों को अपने शौंक के हिसाब से एक्टिविटीज़ एनरॉलमेंट करवाएं। इससे बच्चे की प्रतिभा बढ़़ती है। प्रतिभाशाली बच्चे मेंटल तौर पर भी हेल्दी रहते हैं। साथ ही उनका काफी वक्त अपने पसंदीदा कामों को करने में गुज़र जाता है।
आज के वर्किंग कल्चर के हिसाब से बच्चों को नॉन फ्लेम कुकिंग ज़रूर सिखाएं। इससे बच्चे अपने लिए कुछ नया और हेल्दी बना सकते हैं। साथ ही इस बात को भी अच्छी तरह से समझ जाते हैं कि कुकिंग करने मेंकितनी मेहनत और वक्त लगता है। ऐसे में वो खाने के महत्व को भी समझने लगते हैं और दिनभर कुछ न कुछ बनाने में एंगेज रहते हैं।
इन चीजों का भी रखें ख्याल
बच्चों को परिवार के साथ समय बिताने के लिए प्रेरित करें। उन्हें परिवारिक रिश्ते नातों की जानकारी दें।
कम्यूनिकेशन स्किल्स को डेवलप करने के लिए उनसे कुछ देर बात करें।
इसके अलावा बच्चों को शॉपिंग की भी जानकारी दें ताकि उन्हें पैसों की बचत और वैल्यू का अंदाज़ा हो।
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