कई बार पेरेंट्स का बिगड़ता रिश्ता बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करना शुरू कर देता है। जब बच्चे नकारात्मक माहौल में रहते हैं, तो उनके दिमाग में भी नकारात्मक चीजें अधिक तेजी से पनपती हैं जिसकी वजह से उनकी व्यक्तिगत जिंदगी पर गलत प्रभाव पड़ता है। इसीलिए हमेशा कहा जाता है कि अपने रिश्ते की नकारात्मकता से अपने बच्चों को दूर रखने की कोशिश करें (how parents relationship affects child)।
हेल्थशॉट्स ने इस विषय पर गुरुग्राम हॉस्पिटल की सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, डॉ. आरती आनंद से बातचीत की। उन्होंने कुछ टिप्स देते हुए बताया कि किस तरह आप अपने रिश्ते की परेशानियों को अपने बच्चे से दूर रख सकती हैं। तो आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
कई बार पेरेंट्स को इस बात की जानकारी भी नहीं होती कि उनका बच्चा उन्हें देख रहा होता है। बच्चे काफी कुछ ऑब्जर्व करते हैं। वहीं घर में चल रहा अनबन या घर का नकारात्मक माहौल बच्चों को अपनी और अधिक आकर्षित करता है। बच्चे ग्रो कर रहे होते हैं इस दौरान वे स्पंज की तरह होते हैं और आसपास चल रही सभी चीजों को अपने अंदर अवशोषित करते हैं। खासकर के बच्चे भावनात्मक रूप से बच्चे काफी कमजोर होते हैं और समय के साथ वे भावनाओं से डील करना सीखते हैं।
मां-बाप एक-दूसरे से जिस तरह का व्यवहार रखते हैं या बातचीत करते हैं बच्चे इससे काफी ज्यादा इन्फ्लुएंस होते हैं। या तो वह उनसे कुछ सकारात्मक सीखते हैं या तो फिर उन पर नकारात्मक असर पड़ता है। पेरेंट्स के रिश्ते में चल रही समस्याएं बच्चों में चिंता और तनाव के खतरे को बढ़ा देती हैं। हो सकता है आपका बच्चा काफी शांत रहने लगे और हर वक्त आप दोनों के आर्गुमेंट को सुनने की कोशिश करें।
ऐसे बच्चे आम बच्चों की तरह खुश नजर नहीं आते, अक्सर डरे हुए और दुखी दिखाई दे सकते हैं। इसके अलावा उनके व्यवहार में बदलाव देखने को मिलेगा जैसे कि हर बात पर ओवररिएक्ट करना और जल्दी अग्रेसिव हो जाना। साथ ही ऐसे बच्चे काफी ज्यादा भावुक होते हैं, छोटी-छोटी बात पर आपको उनके आंसू नजर आ सकते हैं।
यदि आपके और आपके पार्टनर के बीच चीजें सही नहीं चल रही है तो इसका असर अपने बच्चों पर न पड़ने दें। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि आप अपनी समस्याओं को बच्चे के सामने डिस्कस न करें। कई बार चल रही परेशानियों की वजह से हम काफी ज्यादा फ्रस्ट्रेटेड हो जाते हैं और ऊंची आवाज में बात करना, एक दूसरे को बुरा भला कहना, इत्यादि जैसी चीजें करते हैं।
इन सभी प्रक्रियायों का प्रभाव सीधा आपके बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, साथ ही उनके नजर में आपको लेकर अनादर की भावना आ सकती है, क्योंकि बच्चे जो देखते हैं उनके दिमाग में वही चीज सबसे पहले क्लिक करती है।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंयदि आपका रिश्ता सही नहीं चल रहा होता है तो कई बार हम फ्रस्ट्रेशन में एक दूसरे के लिए गलत शब्दों का प्रयोग कर लेते हैं, जो कि बिल्कुल भी उचित नहीं है। खासकर यदि आप पेरेंट्स बन चुके हैं तो इसका विशेष ध्यान रखें। बच्चे के सामने बातचीत करते हुए यदि आप किसी भी गलत शब्द का प्रयोग करती हैं, तो वे इसे सबसे जल्दी कैच करते हैं।
यदि उन्हें इन शब्दों का मतलब समझ आ रहा है तो यह उनकी भावनात्मक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। इसलिए शब्दों का विशेष ध्यान रखें और रिश्ते में एक दूसरे के रिस्पेक्ट को बनाए रखें।
कई बार माता-पिता अपने बहस के बीच बच्चे को घसीट देते हैं और उनसे सवाल-जवाब करना शुरू कर देते हैं। जो बच्चे की मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। एक छोटा बच्चा आपके परेशानियों का समाधान नहीं ढूंढ सकता, उनके खेलने कूदने के दिन में उन्हें एंग्जाइटी जैसी समस्या का शिकार न बनाएं।
कई बार ऐसी स्थिति में बच्चे खुद को कोसना शुरू कर देते हैं और धीरे-धीरे यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ने लगता है। इसलिए हमेशा इस बात का ध्यान रखें और अपनी परेशानी को धीमी आवाज में अकेले में बैठकर सुलझाएं।
यदि आप पेरेंट्स बन चुके हैं और आपके रिश्ते में समस्याएं चल रही हैं, परंतु आप अपने रिश्ते को खत्म करना नहीं चाहती तो ऐसे में अपने बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए छुट्टी के दिन या कभी समय निकालकर कहीं बाहर जाने का प्लान करें।
इस दौरान अपने पुराने वक्त को याद करें जब आपके और आपके पार्टनर के बीच सभी चीजें ठीक थी। उन जगहों पर जाएं जहां आपको जाना पसंद हुआ करता था। इन सभी चीजों में भाग लेने से आपका रिश्ता भी बेहतर होगा साथ ही आपके बच्चे को भी अच्छा महसूस होगा।
कुछ अन्य गतिविधियों में भाग लें जिसमें आप दोनों पार्टनर और आपके बच्चे इंवॉल्व हों। ताकि बच्चों को यह न लगे कि मेरे माता-पिता एक साथ किसी तरह की गतिविधि में पार्टिसिपेट नहीं करते।