इन 5 तरीकों से बच्चों को बचपन से सिखाएं मुश्किल घड़ी से निपटना

बच्चों को इतनी मज़बूती दें कि वो जीवन में आने वाली मुश्किलात का सामना अकेले कर सके। जानते हैं वो टिप्स जिनकी मदद से बच्चे हर डिसअपाइटमेंट को आसानी से डील कर पाए।
Bachhon ko bhi ho sakti hai anxiety
जानते हैं वो टिप्स जिनकी मदद से बच्चा डिसअपाइटमेंट से डील करना सीख जाता है। चित्र: शटरस्टॉक
ज्योति सोही Updated: 18 Oct 2023, 10:21 am IST
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हर बच्चा एक दूसरे से जुदा होता है। फिर चाहे उनकी खूबियां हो या उनके इंटरस्ट। बच्चों को हर वक्त अनुशासन में रखना और उन पर पाबंदिया लगाना। कहीं न कहीं बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। ऐस में बच्चा गुस्सैल स्वभाव का होने लगता है। अगर बच्चा परेशान रहेगा, तो वे अपने जीवन में किसी गोल को अचाव नहीं कर पाएगा। ऐसे में बच्चों को इतनी मज़बूती दें कि वो जीवन में आने वाली मुश्किलात का सामना अकेले कर सके। जानते हैं वो टिप्स जिनकी मदद से बच्चे हर डिसअपाइटमेंट को आसानी से डील कर पाए (teach our children to deal disappointments )

इस बारे में पेरेंटिंग कोच डॉ पल्लवी राव चतुर्वेदी का कहना है कि छोटी उम्र में बच्चो अपने हर काम के लिए माता पिता पर निर्भर रहता है। मगर वक्त के साथ बच्चो जब बढ़ रहा होता है। तब भी माता पिता ही बचों के डिसीजन लेने लगते है। इससे बच्चों के अंदर माता पिता के प्रति आक्रोश बढ़ने लगता है। से अब भी बच्चे को छोटा समझते हैं औश्र उन्हें कोई कदम इंडिपेंडेटली नही उठाने देते हैं। इसके चलते बच्चा जीवन में निराश होने लगता है। जानते हैं, वो टिप्स जिनकी मदद से बच्चो सिअपाॅइटमेंट से डील करना सीख जाता है।

जानते हैं वो टिप्स जिनकी मदद से बच्चा डिसअपाइटमेंट से डील करना सीख जाता है।

1. बच्चों को एप्रीशिएट करें

बच्चों को खुश रखने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें। इससे उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलती है। उन्हें हर काम के लिए एपरीशिएट करें। इससे हर काम को करने के लिए उनके अंदर उत्साह पैदा होगा। अगली बार से वे पूरे मन से उस काम को करने के लिए तैयार रहेंगे। अगर आप बच्चों को उनकी हर एक्टिीविटी के एपरीशिएट करते रहेंगे, तो इससे मनोबल बढ़ेगा और भावनात्म्क विकास भी होने लगेगा।

Bachon ko apprecipate karein
अगर आप बच्चों को उनकी हर एक्टिीविटी के एपरीशिएट करते रहेंगे, तो इससे मनोबल बढ़ेगा और भावनात्म्क विकास भी होने लगेगा। चित्र : अडोबी स्टाॅक

2. उन्हें रिवार्ड दें

अगर बच्चा कोई भी कार्य कर रहा है, तो उसके लिए बदले में उन्हें रिवार्ड अवश्य दें। रिवार्ड में कोई मंहगा तोहफा देने की जगह एक स्माइली और स्टार भी उन्हें रोमांच से भर देते हैं। वे धीर धीरे आपके साथ अटैच होने लगते हैं। उनके अंदर एक काॅफिडेंस की भावना पैदा होने लगती है। अब वो काम को करने से मन नहीं चुराएंगे।

3. स्टडीज़ पर ओवर फोक्स करने से बचें

पढ़ाई को लेकर हर वक्त बच्चों को डांटना और उन्हें ताने मारना बच्चे की मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकता है। उन्हें टाइमटेबल के मुताबिक पढ़ने के लिए बैठाएं और बाकी वक्त उन्हें खेलने दें। मानसिक विकास के लिए बच्चे का खेलना भी बहुत ज़रूरी है। बच्चा इससे खुद को एनर्जी से भरपूर महसूस करता है। ओवर फोक्स करने से बच्चे पढ़ाई से जी चुराने लगते हैं। इससे उनके अंदर चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है।

4. दूसरे बच्चों से तुलना मत करें

आपका तुल्नात्मक व्यवहार आपको आपके बच्चों से दूर कर सकता है। इससे वे हर वक्त डरे डरे और सहमे सहमे नज़र आएंगे। इस बात को जानना ज़रूरी है कि हर बच्चे की अपनी प्रतिभा और अपना विकास होता है। अगर कोई बच्चा स्टडीज़ में आगे है, तो कोई पेंटिंग या सिंगिग में माहिर हो सकता है। हर बच्चा अलग है और प्रतिभावान है। ऐसे में बच्चों की तुलना करने से बचें।

Bacchon ko compare na karein
आपका तुल्नात्मक व्यवहार आपको आपके बच्चों से दूर कर सकता है। चित्र शटरस्टॉक

5. बच्चों को डिसीज़न लेने दें

अगर बच्चो को ब्लू पसंद है, तो हम उसे येलो लेने के लिए कंविस करने लगते हैं। हर बार अपनी मर्जी बच्चों पर थोपने से बच्चे का मानसिक विकास उचित तरीके से नहीं हो सकता है। इसके लिए बच्चे को इंडिपेंडेंट बनाएं और उन्हें अपने फैसले खुद लेने दें। आप उन्हें सही गलत का फर्क समझाएं। इससे बच्चा कोई भी गलत कार्य नहीं कर पाएगा। इसके अलावा अपने फैसलों में भी बच्चों की मर्जी को शामिल करें।

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लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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