Sleep Divorce : रिश्ते में दरार भी ला सकता है लंबे समय तक अलग-अलग सोना, जानिए स्लीप डाइवोर्स के साइड इफेक्ट्स

अबाधित नींद, आराम और निजी स्पेस के लिए बहुत सारे लोग स्लीप डाइवोर्स को फॉलो कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में दोनों पार्टनर अलग-अलग कमरों में सोते हैं। पर इसके सिर्फ फायदे ही नहीं है, कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं
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अलग-अलग सोना कुछ समय के लिए तो फायदेमंद है। मगर लंबे वक्त तक इसी रूटीन को फॉलो किया जाए, तो इसका खामियाजा रिश्तों को उठाना पड़ सकता है। चित्र : अडोबीस्टॉक
ज्योति सोही Published: 16 May 2024, 06:40 pm IST
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शादी के बाद जो कपल्स कई सालों तक एक-दूसरे के साथ हर जगह स्पेस शेयर करते हैं, फिर चाहे वो बेड हो, किचन हो या अलमीरा। वो अचानक एक दिन अपने बेडरूम्स को सेपरेट करने लगते हैं और मी टाइम की तलाश में निकल पड़ते हैं। जिसे स्लीप सेपरेशन या स्लीप डाइवोर्स कहा जा रहा है। अबाधित नींद, आराम और निजी स्पेस के लिए बहुत सारे लोग इस पैटर्न को फॉलो कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में दोनों पार्टनर अलग-अलग कमरों में सोते हैं। जिन लोगों को देर रात तक काम करना होता है, वे लोग भी पार्टनर की सहुलियत के लिए ऐसा करना चुनते हैं। पर इसके सिर्फ फायदे ही नहीं है, कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। जिनका पता आपको बहुत देरी से चलता है।

पहले जानें स्लीप डाइवोर्स किसे कहा जाता है (Sleep divorce)

जब दो लोग किन्हीं कारणों से अपने बेडरूम अलग अलग कर लें, तो उस स्थिति को स्लीप डाइवोर्स कहा जाता है। कोई लाइट जलाकर सोना चाहता है, तो कोई देर तक काम करने का आदी है। ऐसे में दूसरा व्यक्ति हर बार अपनी नींद से समझौता करने लगता है। मगर लंबे वक्त इस समस्या से दो चार होने के बाद अक्सर पार्टनर नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अलग सोने का फैसला करते हैं। अब वे अपने लिए अलग बेडरूम की तलाश करते हैं, जिसे स्लीप डाइवोर्स कहा जाता है।

वहीं इंटरनेशनल हाउसवेयर एसोसिएशन के अनुसार शादी या रिलेशन के कुछ सालों बाद हर 5 में से 1 कपल अलग-अलग सोने लगता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार एक तिहाई लोग घर खरीदने से पहले दोहरे मास्टर बेडरूम की तलाश करते हैं। अलग-अलग सोना कुछ समय के लिए तो फायदेमंद है। मगर लंबे वक्त तक अगर इसी रूटीन को फॉलो किया जाए, तो इसका खामियाजा आपके रिश्तों को उठाना पड़ सकता है।

Sleep divorce ke fayde aur nuksaan
स्लीप डाइवोर्स में पार्टनर्स अपने सोने की व्यवस्था अपने हिसाब से करने का निर्णय लेते हैं। चित्र- अडोबी स्टॉक

क्यों बढ़ने लगे हैं, स्लीप डाइवोर्स के मामले

इस बारे में डॉ आरती आनंद बताती हैं कि नींद हमारे मानसिक स्वास्थ्य की बुनियाद है। नींद की गुणवत्ता में सुधार लाने से व्यक्ति तनाव, चिंता और डिप्रेशन से बचा रहता है। अगर आप पूरी नींद लेते हैं, तो उससे पार्टनर के साथ व्यवहार में भी बदलाव आने लगता है। न केवल कम्यूनिकेशन बेहतर होने लगता है बल्कि व्यक्ति को पर्सनल स्पेस मिलने लगता है। मगर कहीं न कहीं इससे रिलेशनशिप में चेंजिज़ आने लगते हैं। जहां सेक्सुअल लाइफ पर विराम लग जाता है, तो वहीं इमोशनल कनेक्शन लॉस होने लगता है। व्यक्ति इनसिक्योर फील करने लगता है और काफॅल्किट्स भी बढ़ जाते हैं।

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यहां जानें स्लीप डाइवोर्स के साइड इफे्क्टस (Sleep divorce side effects)

1 इमोशनल कनेक्शन लॉस

अच्छी नींद पाने के लिए स्‍लीप डिवोर्स इन दिनों खूब ट्रेंड में हैं। मगर दिनभर की दौड़भाग के बाद व्यक्ति अपने पार्टनर से अपनी दिनचर्या को साझा करता है और अपने अनुभव भी शेयर करता है। अकेले सोने से व्यक्ति उन सभी चीजों से वंचित रह जाता है। दरअसल, आपको सुनने वाला व्यक्ति आपके आसपास नहीं रहता है। इससे दो लोगों के मध्य बनने वाला इमोशनल कनेक्शन लॉस होने लगता है।

2 इंटिमेसी की कमी

टचिंग, किसिंग, कडलिंग और स्पूनिंग पार्टनर के साथ रिश्ते को मज़बूत बनाते हैं। सेपरेट स्लीप के दौरान व्यक्ति पहले पहल पार्टनर को मिस करने लगता है और फिर उसी रूटीन को फॉलो करने लगता है। इससे सेक्सुअल लाइफ प्रभावित होती है, जिससे कुछ लोग तनाव का सामना करने लगते हैं।

Sleep divorce mei intimacy ki kami badhne lagti hai
सेपरेट स्लीप के दौरान व्यक्ति पहले पहल पार्टनर को मिस करने लगता है और फिर उसी रूटीन को फॉलो करने लगता है। चित्र : एडोबी स्टॉक

3 अकेलापन बढ़ना

स्लीप क्वालिटी को बढ़ाने के लिए अक्सर कपल्स स्लीप डाइवोर्स को अपनाते हैं। मगर दूर दूर सोने से व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करने लगता है। इससे संबधों में दूरियां बढ़ने लगती है और ये मिसअंडरस्टैंडिग का कारण भी बन जाता है। दरअसल, स्लीप डाइवोर्स में लोग खुद को इनसिक्योर समझने लगते हैं।

4 रिश्ता टूट भी सकता है

कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि जो जोड़े एक साथ बिस्तर शेयर करते हैं, उनमें मनमुटाव या विवाद के सुलझने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। जबकि अलग-अलग सोने वाले जोड़े एक ही मुद्दे पर लंबे समय तक झगड़ते रह सकते हैं। ऐसे में रिश्ता टूटने या किसी एक या दोनों के कहीं ओर स्पेस तलाशने का जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है।

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बेहतर नींद और कम्फर्ट के लिए अलग सो रहे हैं, तो इन बातों का रखें ध्यान

  • एक साथ समय कब बिताना है, इस बारे में जरूर बात करें और उस रुटीन को फॉलो करें।
  • मी टाइम के साथ-साथ वी टाइम के महत्व को समझते हुए उसे साथ बिताने के बारे में भी प्लान करें। इससे साथ का अहसास बना रहता है।
  • अलग-अलग कमरों में सोते हैं और किसी मसले पर विवाद है, तो उस पर बात करने का समय निकालें। उसे जल्द से जल्द सुलझाने का प्रयास करें।
  • गैजेट्स को बेडरूम से बाहर रखें। यह आपकी नींद और रिश्ते दोनों के लिए ही अच्छा है।
  • वीकेण्ड पर स्लीप डाइवोर्स से ब्रेक लें। इससे रिश्तों में संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है और फिज़िकल इंटिमेसी बनी रहती है।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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