बिजी कार्यक्रम और सिटी लाइफ के कारण हम बुरी तरह थक जाते हैं। ऐसी स्थिति में खुद को रिजुवेनेट (Rejuvenate) करना जरूरी हो जाता है। ऐसा हम प्रकृति के बीच जाकर ही महसूस कर सकते हैं। नेचर ट्रिप (Nature Trip) न सिर्फ हमें एडवेंचर से रू ब रू कराती हैं, बल्कि हेल्दी लाइफ को भी प्रमोट करती हैं। यही वजह है कि हाल के वर्षों में नेचर ट्रिप पर जाने वालों की संख्या में बहुत बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि प्राकृतिक स्थलो की सैर न सिर्फ आपका मूड बूस्ट करती है, बल्कि आपको फिजिकली फिट रखने में भी मदद करती है। तो आइए इस वर्ल्ड टूरिज्म डे (World Tourism Day) पर समझें आपकी सेहत के लिए कितना और कैसे फायदेमंद है पर्यटन।
सोशल, कल्चरल, पोलिटिकल लेवल पर टूरिज्म के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर वर्ष 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस (World Tourism Day) के तौर पर मनाया जाता है। पर्यटन को बढ़ावा मिलने से ही हम प्रकृति के महत्व को समझ पाएंगे। प्रकृति के बीच जाने पर हम मानसिक और शारीरिक स्तर पर स्वस्थ भी रह सकेंगे।
वर्ष 2019 में अमेरिकी साइकोलोजिस्ट मैथ्यू पी वाइट और आई अल्कोक ने शोध कर यह निष्कर्ष निकाला कि सप्ताह में 120 मिनट प्रकृति के बीच रहने पर वयस्कों में हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह, अस्थमा, मेंटल हेल्थ के प्रभावित होने की आशंका और अंत में मृत्यु दर की संभावना घट जाती है। बच्चों के प्रकृति के बीच रहने पर उनमें मोटापा और मायोपिया का जोखिम भी घट जाता है।
जब भी समय मिले आसपास के प्राकृतिक वातावरण में जाने की कोशिश करें। इससे मन सुकून से भरपूर होगा, शरीर भी स्वस्थ रहेगा।
योग, ध्यान और पिलेट्स जैसे माइंडफुलनेस अभ्यास स्वस्थ रहने के लिए जरूरी हैं। ये न केवल मन और शरीर के लिए, बल्कि किसी व्यक्ति की वैलनेस के लिए जरूरी माना जाता है। प्रकृति के साथ एकाकार होने से हमारी इंद्रियां अधिक कार्य करने लग जाती हैं। व्यक्ति अपने शरीर के साथ-साथ वातावरण में होने वाली चीजों पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।
पर्यावरण के बीच जाने पर आप विशिष्ट तरह की गंध, ध्वनि और दूसरे तरह के पर्यावरणीय विवरणों पर मन को केंद्रित कर पाती हैं। यह माइंडफुलनेस मेडिटेशन की ओर जाने का पहला कदम माना जाता है। इस तरह नेचर ट्रिप माइंडफुलनेस को बढ़ाती है।
शहर में परिवहन के विभिन्न साधन मौजूद हैं। इसके कारण प्रदूषण भी है। यह माना जा सकता है कि जिस शहर में आप रहती हैं, आप जिस हवा में सांस लेती हैं, वह पहले से ही प्रदूषित है। लगातार इस हवा में सांस लेने पर आप बीमार महसूस कर सकती हैं। डॉक्टर की दवाओं से आप ठीक तो हो जाती हैं, लेकिन मन बीमार सा ही लगता है।
पबमेड सेंट्रल की रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि प्राकृतिक आबोहवा मेंटल हेल्थ के लिए बढ़िया है। यह आपको बेहतर महसूस कराने में मदद करती है।
यह उन महिलाओं के लिए भी अनुकूल है जो अपना अधिकांश समय घर के अंदर बिताती हैं। अध्ययन बताते हैं कि कभी कभी बाहरी परिदृश्य की तुलना में घर में पॉलुशन कंसंट्रेशन अधिक होती है। पेड़ प्राकृतिक एयर मेकर(Air Maker) या प्रदूषण क्लीनर (Pollution Cleaner) हैं। जब आप प्रकृति की यात्रा पर होती हैं तो आप जिस हवा में सांस लेती हैं, वह निश्चित रूप से अधिक स्वच्छ होती है, जिससे आप स्वस्थ रह पाती हैं।
सूरज विटामिन डी का सबसे अच्छा प्राकृतिक स्रोत है। विटामिन डी शरीर को कैल्शियम अवशोषित करने में मदद करता है। यह हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक है। यह शरीर के अन्य कार्यों के साथ-साथ बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए भी जरूरी है।
अध्ययन बताते हैं कि अधिकतम आधे घंटे तक धूप में रहने से शरीर को पर्याप्त विटामिन डी मिल जाता है। यदि आप प्रकृति की यात्रा पर हैं, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि आप पूरे दिन सूर्य के संपर्क में रहेंगी। यह आपके शरीर के लिए अच्छा है। प्रकृति यात्रा आपके शरीर के विटामिन डी को बढ़ावा देगी।
हाल के वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे बढे हैं, जिनमें अवसाद और चिंता शामिल हो सकते हैं। यह किसी व्यक्ति के मूड से भी जुड़े हो सकते हैं। ऑहियो यूनिवर्सिटी के अध्ययन बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों वाले लोग शांत और प्राकृतिक वातावरण में लगातार बाहर टहलते हैं, तो उनकी स्थिति में काफी सुधार होता है। प्रकृति के साथ रहने पर अवसाद और चिंता के लक्षण काफी कम हो जाते हैं। इससे उनके समग्र मूड में सुधार होता है।
जो लोग मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से पीड़ित नहीं हैं, वे भी प्रकृति की यात्रा से लाभान्वित हो सकते हैं। समुद्र तट का दृश्य, जंगल की पगडंडी पर टहलना या एक पेड़ की छाया के नीचे बैठकर बादलों को देखने से भी अवसाद दूर हो जाता है।
स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चेर ने पाया कि प्रकृति के बीच घूमने और चलते हुए चिड़ियों की चहचहाहट सुनने और सुंदर जीवों को देखने पर एंग्जायटी और स्ट्रेस तो दूर होते ही हैं| ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल होता है।इससे हार्ट हेल्थ को बढ़ावा मिलता है।
यह भी पढ़ें :-फेफड़ों को स्वस्थ रखना है, तो आहार में शामिल करें इन 5 फ़ूड को