योग से स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलती है। योग से कई तरह के रोगों से बचाव हो सकता है। योग में प्राणायाम भी शामिल है, जो फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद है। प्राणायाम में सांस लेने की क्रिया पर नियंत्रण विकसित किया जाता है। यह रोजमर्रा के तनाव या एंग्जाइटी से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है। सबसे अच्छी बात है कि इसे कहीं भी और किसी भी समय किया जा सकता है। भ्रामरी प्राणायाम उनमें से एक है। भ्रामरी प्राणायाम दिमाग को शांत कर स्ट्रेस रिलीज (bhramari pranayama for stress release) करता है।
योगाचार्य कौशल किशोर बताते हैं, ‘प्राणायाम सांस लेने और छोड़ने का योग है। यह सांस लेने के पैटर्न और भावनात्मक स्थिति के बीच संबंध बनाता है। यह एंग्जाइटी, घबराहट, क्रोध, उत्तेजना, भय जैसी नकारात्मक भावनात्मक स्थितियों को खत्म करने में मदद करता है।
भ्रामरी प्राणायाम सांस की एक तकनीक है। भ्रामरी शब्द भ्रमर अर्थात भौंरा से बना है। भ्रामरी योग करते समय सांस छोड़ते समय गुनगुनाहट की ध्वनि उत्पन्न होती है। यह मधुमक्खी की भिनभिनाहट जैसा लगता है। इसे सभी आयु वर्ग के लोग आसानी से कर सकते हैं। भ्रामरी योग के साथ निरंतर गुंजन होता है, जो मन पर सुखदायक प्रभाव पैदा करता है। यह शरीर को विश्राम की स्थिति में रखता है।’
भ्रामरी प्राणायाम में गुनगुनाती ध्वनि के साथ सांस लेना और छोड़ना होता है। यह शणमुखी मुद्रा (Shanmukhi mudra) के बिना किया जाता है।
योगाचार्य कौशल किशोर बताते हैं, ‘इसका अभ्यास शनमुखी मुद्रा के साथ किया जाता है। इसमें आंखें तर्जनी और मध्यमा उंगलियों से, मुंह अनामिका और छोटी उंगलियों से और कान अंगूठे से बंद किए जाते हैं। फिर गुनगुनाती ध्वनि के साथ सांस लेना और छोड़ना होता है।’
सही तरीके से करने पर भ्रामरी प्राणायाम का अधिकतम लाभ मिल सकता है।
इसकी शुरुआत ध्यान मुद्रा से की जा सकती है।
बैठते समय रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए कंधों को फैला लें।
भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए आंखें बंद करें और नाक से गहरी सांस लें।
सांस पर नियंत्रण रखते हुए मधुमक्खी की भिनभिनाहट जैसी गहरी और स्थिर गुंजन ध्वनि निकालते हुए धीरे-धीरे सांस (bhramari pranayama for stress release) छोड़ें।
इसकी दो-तीन बार पुनरावृत्ति की जा सकती है।
भ्रामरी प्राणायाम के लिए सीधे बैठें। आंखें तर्जनी और मध्यमा उंगलियों से, मुंह अनामिका और छोटी उंगलियों से और कान अंगूठे से बंद कर लें।
आई बॉल पर बहुत हल्का दबाव डालें।
सांस पर नियंत्रण रखते हुए मधुमक्खी की भिनभिनाहट जैसी गहरी और स्थिर गुंजन ध्वनि निकालते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
निम्न से मध्यम स्वर वाली भ्रामरी के छह चक्र करें।अपने हाथ नीचे कर लें और प्रभाव देखें।
इसे दो या अधिक राउंड के लिए दोहराएं।
योगाचार्य कौशल किशोर के अनुसार, अगर आप तनाव और एंग्जाइटी से जूझ रही हैं, तो भ्रामरी प्राणायाम (bhramari pranayama for stress release) जरूर करें। यह तनाव दूर करने और शरीर की उपचार क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह मन को शांत कर सकता है। यह खुशी और शांति देकर मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ा सकता है। यह आत्म-सम्मान विकसित करने और दिमाग और शरीर के बीच समन्वय बढ़ाने में मदद कर सकता है।
भ्रामरी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से क्रोध, उत्तेजना, हताशा और भय जैसी नकारात्मक भावनाओं को खत्म करने में मदद (bhramari pranayama for stress release) मिल सकती है। यह अनिद्रा को कम करने में मदद करता है। यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ा सकता है। यह ध्यान और एकाग्रता के लिए उपयोगी प्राणायाम हो सकता है। यह दिमाग पर सूदिंग प्रभाव डाल कर माइग्रेन को खत्म करने में मदद कर सकता है।
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