बदलते दौर के साथ लोग अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं। यही वजह है कि अब उन चीजों, पद्धतियों और उपायों की ओर लोगों का ध्यान गया है, जिनका अभ्यास भारत सदियों से करता आ रहा था। आयुर्वेद भी ऐसी ही एक मूल्यवान पद्धति है। जिसमें व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए जरूरी सभी चीजों का उल्लेख किया गया है। आयुर्वेद में ऋतुओं के अनुकूल यानी बदलते मौसम के हिसाब से फूड और हेबिट्स में बदलाव लाने की सलाह दी गई है। यहां हम शिशिर ऋतु अर्थात सर्दी के मौसम में स्वास्थ्य के लिए जरूरी टिप्स पर और डिटेल में बात करने वाले हैं (ayurvedic tips for winter)।
वास्तव में आयुर्वेद उपचार की बजाए व्यक्ति के निरोग अर्थात रोगमुक्त रहने को प्राथमिकता देता है। यह शरीर को विषैले पदार्थों से मुक्त रखता है और किसी भी समस्या को जड़ से खत्म कर देता है। आयुर्वेद में ऋतुचर्या बेहद महत्वपूर्ण सिद्धांत है। ऋतुचर्या यानि हर ऋतु के अनुसार आहार को तय करना, जो किसी व्यक्ति को मौसमी बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है। जानते हैं ऋतुचर्या को ध्यान में रखते हुए क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
हर मौसम के साथ आयुर्वेद (Ayurved) अपने आहार में परिवर्तन लाने का निर्देश देता है और परहेज बताता है, ताकि शरीर मौसम की मार से बच सके। दरअसल, मौसम के अनुसार पाचन शक्ति प्रभावित होती है। इसके चलते शरीर कई समस्याओं से घिर जाता है। ऐसे में आयुर्वेद की ऋतुचर्या शरीर के अनुसार आहार चुनने की जानकारी देता है। आयुर्वेद (Ayurved) का मकसद व्यक्ति के स्वास्थ्य की को मज़बूत बनाना और रोग मुक्त रखना है। इसी के मद्देनज़र ऋतुचर्या का विधान बनाया गया है।
आयुर्वेद (Ayurved) में काल को ऋतुओं में विभाजित किया गया है। अगर कोई व्यक्ति ऋतुओं के अनुसार बताई गई बातों का नियमित तौर पर पालन करता है, तो शरीर को बीमारियों के साए से बचाया जा सकता है। अगर आप भी मौसमी बीमारियों से खुद को बचाना चाहती हैं, तो इन टिप्स को करें फॉलो।
सर्द हवाओं के साथ जब तापमान में गिरावट महसूस की जाती है, तो उस ऋतु को शिशिर ऋतुचर्या कहा जाता है। जनवरी और फरवरी के महीने के दौरान इस मौसम में शरीर में कई बदलाव आने लगते हैं, जैसे भूख का बढ़ जाना या बार बार भूख लगना, होंठों पर स्किन में रूखापन बढ़ जाना। इसके अलावा सर्दी, खांसी जुकाम और बुखार की समस्या बने रहना। खांसीए दमा आदि रोगों की सम्भावना बढ़ जाती है।
आयुर्वेद (Ayurved) के अनुसार शिशिर ऋतुचर्या में खाए गए भोजन का असर सालभर शरीर पर दिखता है। इसके सेवन से शरीर में इम्यून सिस्टम मज़बूत होने लगता है। इसके अलावा पाचन शक्ति को उचित बनाए रखता है। शरीर को मज़बूती प्रदान करने के लिए इस मौसम में सोंठ, उड़द से बने पदार्थ, गुड़, गेहूं, नारियल, गुड़ और तिल का सेवन लाभदायक साबित होता है।
इन दिनों में सलाद और ज्यादा कच्ची सब्जियों के सेवन से बचें। इसके अलावा ज्यादा खट्टा और ठण्डा खाने से बचे। ठण्डा और बासा खाना खाने से पेट दर्द, उल्टी और डायरिया की समस्या बढ़ने लगती है। खाना खाने के बाद एक दम सोने से भी बचें। आमचूर, अचार व चटनी के सेवन को अधिक मात्रा में न करें।
बढ़ती ठण्ड के कारण देर तक सोने या देर रात सोने से भी शरीर को आहार से मिलने वाला पोषण कम होता है। साथ ही इस मौसम का पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता है।
पाचन को बनाए रखने के लिए हरड़ के चूरन में आंवले का चूरन मिलाकर सेवन करें। इससे पेट में बनने वाली गैस, अपच, ब्लोटिंग और कब्ज की समस्या से बचे रहते हैं।
इस मौसम में शरीर को ठण्डे ड्रिंक्स से बचना चाहिए। इससे शरीर बीमारियों से घिर जाता है। खुद को हेल्दी रखने के लिए दूध में शहद मिलाकर पीने से शरीर मौसमी संकमणों से बचा रहता है।
सर्दियों के मौसम में अत्यधिक कच्ची सब्जियों को खाने से बचें। इससे पेट में दर्द, ब्लोटिंग और पाचनतंत्र में गड़बड़ी का कारण सिद्ध होता है।
शरीर को ठण्ड से बचाने के लिए दिनभर में कुछ देर के लिए धूप में बैठें। इससे शारीरिक अंगों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है। साथ ही शरीर में गर्माहट बढ़ने लगती है। सुबह के समय निकलने वाली धूप त्वचा में विटामिन डी की कमी को भी पूरा करती है।
चेहरे के साथ हाथों और पैरों की त्वचा में बढ़ने वाली शुष्कता को कम करने के लिए कुछ देर ऑयल मसाज करें। इससे त्वचा मॉइश्चराइज़ रहती है और रूखापन कम होने लगता है। नारियल के तेल के अलावा बादाम का तेल और ऑलिव ऑयल भी मसाज के लिए बेहद कारगर है।
रोज़ाना नहाने के लिए सामान्य पानी का ही प्रयोग करें। इससे त्वचा में नमी बनी रहती है। गर्म पानी से नहाने से शरीर पर खुजली और रैशेज की समस्या बनने लगती है।
शरीर को मज़बूत बनाने और ठण्ड की चपेट से खुद को बचाए रखने के लिए कुछ देर के लिए योगाभ्यास करें। इससे शरीर में एनर्जी का लेवल बढ़ता है और मांसपेशियों में आने वाली ऐंठन से भी मुक्ति मिल जाती है।
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