शरीर में अन्य पोषक तत्वों के समान ही विटामिन डी भी बेहद महत्वपूर्ण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर की आबादी का 50 फीसदी विटामिन डी की कमी से ग्रस्त है। इसकी कमी के चलते शरीर को मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, डाइबिटीज़ और मांसपेशियों में दर्द समेत कई समस्याएं घेर लेती है। इसके चलते व्यक्ति अक्सर थकान महसूस करता है और मूड स्विंग की समस्या से होकर गुज़रता है। जानते हैं इस सनशाइन विटामिन डी के फायदे (Vitamin D benefits) और इसकी कमी के कारण भी।
ज्यादा वक्त खुद को चार दीवारी में कैद रखना विटामिन डी की कमी को मुख्य कारण साबित होता है।
आस पास प्रदूषण का स्तर बढ़ने से भी शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है।
अधिक आबादी वाली जगहों पर रहना, जहां धूप न मिल पाना भी इसका एक कारण है।
विटामिन डी रिच डाइट को सेवन न करना भी इसकी कमी को शरीर में बढ़ा सकता है।
इंटरनेशनल जर्नल फॉर विटामिन एंड रिसर्च के एक रिसर्च की मानें, तो 18 से लेकर 65 साल की उम्र के सभी व्यक्तियों को 600 आईयू विटामिन डी इनटेक लेना चाहिए। शरीर में इस पोषक तत्व की कमी को पूरा करने के लिए अपनी डाइट में मशरूम, अंडे, फोर्टिफाइड मिल्क ,साबुत अनाज, दही, कॉड लीवर ऑयल और ऑरेंज जूस को एड कर सकते हैं। इससे शरीर हेल्दी बना रहता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार शरीर में विटामिन डी की कमी होने से हाईपरटेंशन, हार्ट फेलियर (heart failure) और स्ट्रोक (stroke) का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में डाक्टरी सलाह से विटामिन डी के सप्लीमेंटस या फूडस को अपने रूटीन में शामिल करें। रोज़ाना मॉर्निग वॉक नेचुरल तरीके से शरीर में विटामिन डी (Vitamin D) की कमी को पूरा करने में कारगर साबित होती है।
विटामिन डी हड्डियों को फायदा पहुंचाता है। दरअसल, इसकी मदद से इंटेस्टाइंस में कैल्शियम को सीक्रीट किया जाता है। इसका नियमित सेवन करने से हर उम्र के लोगों में होने वाले हड्डियों के दर्द व अन्य समस्याओं से बचा जा सकता है। इसके सेवन से शरीर का एनर्जी लेवन बना रहता है। इसके अलावा महिलाओं में खासतौर से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हो जाता है।
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्क के मुताबिक वे लोग जो मोटापे के शिकार होते हैं। उनमें अक्सर विटामिन डी की कमी पाई जाती है। एक रिसर्व के मुताबिक वे लोग जो मील में कैल्शियम और विटामिन डी को सम्मिलित करते हैं। उन्हें बार बार भूख लगने की समस्या से राहत मिल जाती है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन के अनुसार वेटलॉस को लेकर पोस्टमेनोपॉज़ल दौर से गुज़र रहीं महिलाओं में विटामिन डी 3 सप्लीमेंट पर रिसर्च किया गया। अध्ययन में पाया गया कि वो महिलाएं जिनके ब्लड में विटामिन डी की नियमित मात्रा मौजूद है। वे महिलाएं वज़न कम करने में कारगर साबित हुईं। इससे कमर के आसपास बढ़े फैट्स को आसानी से बर्न किया जा सकता है।
सेक्सुअल लाइफ (sexual life) को हेल्दी बनाने के लिए विटामिन डी सप्लीमेंटस बेहद कारगर साबित हो सकते हैं। इससे लिबिडो बढ़ने लगता है। साथ ही व्यवहार में चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग होने की समस्या भी दूर हो जाती है। एनीसबीआई के अनुसार विटामिन डी जहां पुरूषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या को दूर करता है। तो वहीं महिलाओं को पीसीओएस से राहत मिल जाती है।
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