अमेरिकन एक्ट्रेस और सिंगर सेलिना गोमेज़ ने हाल में अपना 31 वां जन्मदिन (Selena Gomez birthday-22 July) मनाया। उनके जन्मदिन पार्टी की दुनियाभर में तारीफ हुई। दरअसल, इस पार्टी में सेलेना ने अपने मेंटल डिसऑर्डर साइकोटिक ब्रेकडाउन के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट से लोगों से इस रोग के बारे में जानने, पीड़ितों की मदद करने और लोगों को जागरूक करने की भी अपील की। साइकोटिक ब्रेकडाउन (psychotic breakdown) के बारे में जानने से पहले यह जानते हैं कि खुद सेलिना को इस रोग से पीड़ित होने के बारे में कैसे पता चला।
वर्ष 2018 में इसकी शुरुआत तब हुई जब सेलिना अपने अंदर बेचैनी महसूस करने लगीं। वे सभी व्यक्ति को अविश्वास की नजर से देखने लगीं। उन्हें लगता कि आसपास काफी शोरगुल और तेज़ आवाजें आ रही हैं। साइकोटिक ब्रेकडाउन की शिकार होने पर उन्हें उस समय की घटनाओं के बारे में अधिक याद नहीं है। उन्हें कई महीनों तक उपचार केंद्र में रहना पड़ा था। उन्होंने बताया कि यह एक मनोविकृति है। यह किसी को भी हो सकता है, जिसका उपचार जरूर कराना चाहिए।
मनस्थली संस्था की फाउंडर और सीनियर साइकोलोजिस्ट डॉ. ज्योति कपूर बताती हैं, ‘साइकोटिक ब्रेकडाउन एक प्रकार का नर्वस ब्रेकडाउन है, जो मनोविकृति के लक्षणों को (psychosis) ट्रिगर करता है। इसके कारण व्यक्ति वास्तविकता की बजाय कल्पना जगत (Hallucination) में रहने लगता है।
मनोविकृति या साइकोसिस अक्सर सिज़ोफ्रेनिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारियों से जुड़ी होती है। यदि व्यक्ति अत्यधिक तनाव से गुजर रहा है, तो इस बीमारी के लक्षणों का अनुभव हो सकता है। इससे ब्रेकडाउन की स्थिति पैदा हो सकती है।’
सायकोटिक ब्रेकडाउन होने पर व्यक्ति के विचार और धारणाएं बाधित होने लगती हैं। वह असामान्य व्यवहार करने लग सकता है। वह भ्रम यानी इलूजन में जीने लगता है। वह अस्त व्यस्त तरीके से बोल और रह सकता है। भावनाओं के प्रदर्शन में भी जबरदस्त कमी आ सकती है।
सायकोटिक ब्रेकडाउन से शिकार व्यक्ति दूसरों पर संदेह करने लग सकता है या या दूसरों के प्रति बेचैनी का भी प्रदर्शन कर सकता है। उसे किसी भी विषय पर स्पष्ट और तार्किक रूप से सोचने में परेशानी होने लगती है। वह अलग-थलग रहने लग जा सकता (psychotic breakdown) है। वह बहुत अधिक समय अकेले रहना शुरू कर सकता है। वह असामान्य विचार या दूसरों के प्रति अजीब भावना या व्यवहार कर सकता है। वह सेल्फ केयर और खुद की साफ़-सफाई पर ध्यान देना भी छोड़ सकता है।
कुछ लोगों को मनोविकृति के केवल कुछ एपिसोड या संक्षिप्त एपिसोड का अनुभव होता है। यह कुछ दिनों या हफ्तों तक रहता है। सिज़ोफ्रेनिया जैसी क्रोनिक डिजीज होने पर इसके लक्षण अधिक दिखाई पड़ते हैं। सायकोटिक ब्रेकडाउन आमतौर पर किसी व्यक्ति की किशोरावस्था के अंत या 20 वर्ष की शुरुआत में होता है।
सायकोटिक ब्रेकडाउन शारीरिक बीमारी या चोट लगने के कारण हो सकता है। यदि तेज बुखार है और सिर में चोट लगी है, तो इसके लक्ष्ण दिखाई दे सकते हैं। किसी तरह का दुर्व्यवहार होने पर व्यक्ति अत्यधिक स्ट्रेस का अनुभव हो सकता है। या फिर ट्रॉमा भी इसकी वजह बन सकता है।
ड्रग्स लेने, शराब और स्मोकिंग अधिक करने पर भी यह बीमारी (psychotic breakdown) हो सकती है। सायकोटिक ब्रेकडाउन के कारण लोगों में नींद की गड़बड़ी होने लगती है। इसके कारण कई दिनों तक लगातार नींद नहीं आती है। नींद न आने की समस्या इसके लक्षणों को बढ़ा देते हैं।
प्रत्येक 100 लोगों में से लगभग 3 को इस रोग का अनुभव हो सकता है। ज्यादातर लोग इस मेंटल डिसआर्डर से पूरी तरह उबर जाते हैं। यह किसी को भी हो सकता है। सायकोटिक ब्रेकडाउन का इलाज और इससे उबरना संभव है। साइकोलोजिकल थेरेपी के माध्यम से इसका इलाज किया जाता है।
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