अपने जीवन में व्यक्ति कभी न कभी मुंह के छालों की समस्या से दो चार अवश्य होता है ये छाले होठों के निचले हिस्से और गालों के पास आमतौर पर बनने लगते हैं। इसके अलावा जीभ पर भी छालों की समस्या पनपने लगती है। इसके चलते लोगों को खान पान की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। जहां इन्हें दवाओं की मदद से दूर किया जा सकता हैं, तो कुछ मम्मी की रसोई में मौजूद खास चीजों से भी इस समस्या को हल करने में मदद मिलती हैं। जानते हैं मुंह में बनने वाले छालों का कारण और इसे ठीक करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घरेलू नुस्खे भी।
इस बारे में पल्मोनोलॉजी कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन डॉ अवि कुमार कहते हैं कि कई कारणों से माउथ अल्सर की समस्या का सामना करना पड़ता है, जो 1 से 2 सप्ताह के भीतर ठीक होने लगते हैं। सबसे पहले कारण की जांच करना ज़रूरी है। अगर पेट की गर्मी, विटामिन बी 12 की डेफिशेंसी और कटने या छिलने से किसी को माउथ अल्सर का सामना करना पड़ रहा है, तो उसका उपचार आसानी से किया जा सकता है। कई बार कुछ लोग आटोइम्यून डिजीज़ का शिकार होते हैं, जिसके चलते उन्हें मुंह के छालों का सामना करना पड़ता है। पूरी जांच के बाद ही इसका उपचार किया जाता है।
मुंह के अंदर मौजूद मुलायम लाइनिंग टिशू के टूटने और कटने से माउथ अल्सर यानि मुंह में बनने वाले छालों का सामना करना पड़ता है। खाना खाने, भागने और जल्दी जल्दी बोलने के दौरान माउथ टिशू इंजरी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते खाना खाने, पानी पीने और बोलने में भी दिक्कत बढ़ने लगती है।
शरीर में बढ़ने वाली निर्जलीकरण की समस्या और गर्मी में ज्यादा वक्त बिताने से भी पेट की गर्मी का सामना करना पड़ता है। अनियमित पाचनतंत्र मुंह में छालों का कारण बनने लगता है। आमतौर पर ये छाले 1 से 2 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। दरअसल, एसिड रिफ्लक्स का बार बार होना पैलेट, जीभ और मसूढ़ों के नज़दीक भी छालों की समस्या को बढ़ा देता है।
डॉ अवि कुमार के अनुसार विटामिन बी 12 की कमी ओरल हेल्थ को नुकसान पुहंचाने लगती है। इससे मुंह में खासतौर से जीभ के आसपास बर्निंग सेंसटशन का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा जीभ के रंग में भी बदलाव दिखने लगता है। दरअसल, विटामिन बी 12 की कमी के चलते शरीर में एबनॉर्मन रेड ब्लड सेल्स बढ़ने लगते हैं, जो अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं करते हैं, जिससे माउथ अल्सर की समस्या का सामना करना पड़ता है।
डॉ अवि कुमार के अनुसार वे लोग जो चेस्ट कंजेशन या अन्य किसी कारण से नेबुलाइज़र का नियमित रूप से प्रयोग रकते हैं। उनमें माउथ अल्सर की समस्या पाई जाते हैं। दरअसल, नेबुलाइज़र की दवाएं लेने के बाद जब कुल्ला नहीं करते हैं, तो वो दवाएं मुंह में जमने लगती हैं। ऐसे में मुंह में अल्सर बढ़ने लगते हैं।
एंटी सेप्टिक और एंटी इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर हल्दी को पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें। अब उसे छालों पर अप्लाई करे। 10 से 15 मिनट तक छालों पर लगा रहने के बाद कुल्ला कर लें।
शहद में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। रूई के फाहे पर शहद को लगाकर मुंह के छालों पर लगाएं। इसके बाद मुंह कुछ देर के लिए बंद कर लें। अब पानी से कुल्ला कर लें।
छालों में बढ़ने वाले दर्द और सूजन को दूर करने के लिए एक कप पानी में 2 लौंग और आधा चम्मच साबुत धनिया डालकर उबालें। पानी जब आधा रह जा, तो उसे ठंडा करने के बाद कुल्ला करे। इससे मुंह में मौजूद स्रकंमण दूर होने लगते हैं।
सिरके को पानी में समान मात्रा में मिलाएं और मुंह में कुछ देर के लिए घुमाते रहें। इससे मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को दूर करने में मदद मिलती है। पानी को गुनगुना करके सिरके में मिलाने से जल्द फायदा मिलता है।
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