Acidity : जानिए क्या होता है जब आप गैस और एसिडिटी को लगातार इग्नोर करते हैं

बहुत से लोग ऐसे है, जिन्हें थोड़े समय के अंतराल में एसिडिटी से होकर गुज़रना पड़ता है। जानते हैं बार बार बढ़ने वाली एसिडिटी की समस्या के दुष्परिणाम और इससे कैसे करें बचाव (frequent gastric issue side effect )।
Kyun badhne lagri hai acidity ki samasya
अनियमित खानपान और गैस्ट्रिक फूड्स का सेवन करने से ग्लैंण्ड एसिड बनाने लगता है। इससे सूजन और अपच का सामना करना पड़ता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक
Published On: 19 Feb 2024, 11:00 am IST
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अधिकतर लोग अपनी डे टू डे लाइफ में गैस्ट्रिक समस्याओं से होकर गुज़रते हैं। मील स्किप करना, व्यायाम की कमी या ज्यादा तला भुना खाना पेट में एसिड बनाने लगता है, जो अम्लता यानि एसिडिटी का कारण साबित होता है। इससे न केवल मेटाबॉलिज्म वीक होता है बल्कि एपिटाइट पर भी इसका प्रभाव दिखने लगता है। इसके चलते अधिकतर लोगों को जलन, पेट में दर्द और फार्टिंग का सामना करना पड़ता है। बहुत से लोग ऐसे भी है, जिन्हें थोड़े समय के अंतराल में एसिडिटी से होकर गुज़रना पड़ता है। जानते हैं बार बार बढ़ने वाली एसिडिटी की समस्या के दुष्परिणाम और इससे कैसे करें बचाव।

समझिए क्यों होती है एसिडिटी

एसिडिटी उस मेडिकल कंडीशन को कहा जाता है, जब पेट में अतिरिक्त एसिड प्रोड्यूस होने लगता है। पेट में मौजूद ग्लैंण्डस उस एसिड को बनाते हैं। बार बार इस एसिड के बनने से पेट में अल्सर, गैस्ट्रिक सूजन, एंग्ज़ाइटी और अपच जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। खाने में अनियमितता, फिज़िकली एक्टीविटी की कमी और स्मोकिंग इस समस्या का मुख्य कारण साबित होते हैं। वे लोग जो ज्यादा ऑयली और स्पाइसी फूड खाते हैं, उनमें एसिडिटी का खतरा बना रहता है।

आर्टिमिस अस्पताल गुरूग्राम में सीनियर फीज़िशियन डॉ पी वेंकट कृष्णन के अनुसार एसिड रिफ्लक्स उस समस्या को कहते है जब शरीर में लोअर ईसोफैगल स्फिंक्टर यानि मांसपेशियों का एक ग्रुप अपने कार्य को सुचारू रूप से नहीं कर पाते है। इससे पेट में एसिड बनने लगता है, जो गले तक पहुंच जाता है। इससे खाना निगलने में भी तकलीफ का सामना करना पड़ता है।

acidity se bachaw kren
एसिडिटी से बचाव के लिए या उनके लक्षणों को कम करने के लिए सबसे जरूरी है लाइफस्टाइल में बदलाव चित्र शटरस्टॉक।

जानें बार बार होने वाली एसिडिटी के दुष्परिणाम

1. निगलने में कठिनाई

वे लोग जो एसिडिटी के शिकार होते हैं, उन्हें कुछ भी निगलने में कठिनाई का भी सामना करना पड़ता है। इस मेडिकल कंडीशन को डिस्पैगिया कहा जाता है। एनआईएच के अनुसार पेट में बनने वाले अतिरिक्त एसिड से एसोफेगस यानि फूड पाइप से खाना निगलने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। इससे पाचन संबधी समस्याएं बए़ने लगती हैं।

2. सीने में जलन

एनआईएच के अनुसार पेट में बनने वाला अतिरिक्त एसिड जब लीक होकर एसोफेगस में पहुंचने लगता है, तो उस वक्त चेस्ट में जलन की समस्या प्रकट होती है। कुछ मिनटों से लेकर कुछ घण्टों तक इस समस्या का सामना करना पड़ता है। कई बार बिंज ईटिंग भी सीने में जलन का कारण बनती है।

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हार्टबर्न और उसके कारणों से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय। चित्र : शटरस्टॉक

3. मुंह के स्वाद का बदलना

वे लोग जो बार बार एसिडिटी की समस्या का शिकार होते हैं, उनके मुंह में खट्टास का अनुभव होता है। पेट के बनने वाला ये एसिड गले की ओर बढ़ने लगता है। इससे मुंह में कड़वा या खट्टे स्वाद का अनुभव होने लगता है।

4. अपच की समस्या

अपच को डिस्प्सीसिया कहा जाता है, जो शरीर में बनने वाली एसिडिटी यानि अम्लता और अन्य पाचन संबधी समस्याओं का कारण बनती है। इसके चलते पेट के अप्पर व मिडल हिस्से में असुविधा व जलन की समस्या बनी रहती है।

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किन बातों का रखें ख्याल

1. हेल्दी फूड्स का करें सेवन

ज्यादा मात्रा में चॉकलेट, कैफीन और कार्बोनेटेड पेय पदार्थों का सेवन स्वास्थ्य को धीरे धीरे नुकसान पहुंचाने लगता है। इससे पेट में दर्द और इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में आसानी से पचने वाले खाने को खाएं। साथ ही रात को सोने से करीबन 2 घंटे पहले खाना खाएं।

2. स्मोकिंग है नुकसानदायक

स्मोकिंग शरीर को नुकसान पहुंचाने लगती है। इससे एसोफेजियल स्फिंक्टर को नुकसान पहुंचता है, जिससे डाइजेशन स्लो होने लगता है और एसिडिटी की समस्या का सामना करना पड़ता है। नियमित तौर पर अल्कोहल और स्मोकिंग गट हेल्थ को नुकसान पहुंचाती है।

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स्मोकिंग शरीर को नुकसान पहुंचाने लगती है। इससे एसोफेजियल स्फिंक्टर को नुकसान पहुंचता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

3. व्यायाम करें

फिजिकल एक्टीविटी से शरीर में बनने वाली एसिडिटी से बचा जा सकता है। इससे शरीर हेल्दी और फिट रहता है। साथ ही बोवेल मूवमेंट उचित बना रहता है। दिनभर में कुछ वक्त मॉडरेट एक्सरसाइज़ और योग के लिए निकालें।

4. तनाव लेने से बचें

छोटी छोटी बातें अगर आपके तनाव का कारण बन रही हैं, तो उसका असर खान पान पर नज़र आने लगता है, जिससे एसिडिटी की समस्या का सामना करना पड़ता है। लंबे वक्त तक कुछ न खाने से शरीर में एसिड को बनाता है, जिससे पेट संबधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।

5. छोटी मील्स लें

एक साथ बहुत कुछ खाने की जगह दिनभर में छोटी मील्स लें। दो घंण्टे के अंतराल में कुछ खाने से बार बार बनने वाली गैस की समस्या हल हो जाती है। साथ ही मोटापे से बचने में भी आसानी होती है।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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