क्यों कुछ लोगों को ज्यादा आती है छींक? एक्सपर्ट बता रहे हैं इसका कारण और बचाव के उपाय

छींक वास्तव में शरीर को राहत देने वाली एक प्रक्रिया है। छींकने से नाक और गले में मौजूद इरीटेंट्स से राहत मिल जाती है। मगर लगातार छींक आना कुछ अंतर्निहित समस्याओं का संकेत हो सकता है।
Sneezing ke kaaran jaanein
जब आप छींकते हैं, तो इसके कारण कई और लोग उन संक्रामक बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं, जिनसे आप पीड़ित हैं। चित्र- अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Updated: 29 Apr 2024, 01:38 pm IST
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मेडिकली रिव्यूड

छींक एक ऐसी स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो बिन बताए कभी भी किसी को भी आ सकती है। स्नीजिंग (sneezing) को स्टरन्यूटेशन (sternutation) भी कहा जाता है, जो धूल, मिट्टी, बारिश और सर्द हवाओं के चलते अक्सर लोगों की परेशानी का कारण बनने लगती है। लगातार छींक आना चिंताएं बढ़ा देती है। दरअसल, छींक आने से गले और नाक में मौजूद डस्ट पार्टिकल्स बाहर निकल जाते हैं, जिससे व्यक्ति सुकून महसूस करता है। जानते हैं छींक आने के कारण और उससे डील करने के उपाय।

क्यों कुछ लोगों को ज्यादा आती है छींक

इस बारे में पल्मोनोलॉजी, कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन डॉ अवि कुमार कहते हैं, “छींक वास्तव में शरीर को राहत देने वाली एक प्रक्रिया है। छींकने से नाक और गले में मौजूद इरीटेंट्स से राहत मिल जाती है। मगर लगातार छींक आना कुछ अंतर्निहित समस्याओं का संकेत हो सकता है। वहीं जब आप छींकते हैं, तो इसके कारण कई और लोग उन संक्रामक बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं, जिनसे आप पीड़ित हैं।”

वॉशिंगटन युनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसार एक छींक आने से 20,000 वायरस से भरपूर बूंदों का निर्माण होता है, जो 10 मिनट तक हवा में मौजूद रहती हैं। वहीं खांसने से 3,000 ड्रॉपलेट्स हवा में कुछ मिनटों तक पाए जाते हैं। ऐसे में खांसने और छींकने से बचने के लिए इसके कारण और बचाव के उपायों को समझना आवश्यक है।

जब आपको लगातार छींक आती है, तब इसके कुछ नकारात्मक प्रभावों का भी सामना करना पड़ता है। कुछ लोगों को इस दौरान सांस फूलने का भी अनुभव होता है। इसलिए जरूरी है कि छींक को ट्रिगर करने वाले कारकों को जानकर उनसे बचा जाए। धूल, मिट्टी, पोलन और मौसम में आने वाला बदलाव, कॉमन कारक हैं जो लगातार छींक का कारण बनते हैं।

Sneezing ke jokhim se kaise bachein
जरूरी है कि छींक को ट्रिगर करने वाले कारकों को जानकर उनसे बचा जाए। धूल, मिट्टी, पोलन और मौसम में आने वाला बदलाव, कॉमन कारक हैं जो लगातार छींक का कारण बनते हैं। चित्र- अडोबी स्टॉक

क्या हैं छींक आने के कारण (Causes of sneezing)

1 एलर्जी (Allergy)

डॉ अवि कुमार बताते हैं कि अधिकतर लोगों को डस्ट और पोलन एलर्जी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पेट्स यानि पालतू पशुओं के संपर्क में आने से भी छींकने की समस्या बढ़ने लगती है। दरअसल, नाक के ज़रिए इरिटेंटस गले में पहुंचकर छीकं का कारण साबित होते हैं।

2 मौसम में बदलाव (Seasonal changes)

कभी गर्मी, कभी सर्दी, तो कभी बरसात होने से स्वस्थ्य पर इसका प्रभाव नज़र आता है। एनआईएच की रिसर्च के अनुसार मौसम में बदलाव आने से रेसपीरेटरी एलर्जी बढ़ने लगती है। इसके चलते अपर रेसपीरेटी ट्रैक में रनिंग नोज़, स्नीजिंग और लाल व इची आइज़ की सींावना बढ़ जाती है।

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3 एयर पॉल्यूशन (Air pollution)

डॉ अवि कुमार के मुताबिक घर से बाहते निकलते ही पाल्यूटेंटस का प्रभाव शरीर पर तेज़ी से बढ़ने लगता है। इससे नाक में जलन, सूजन और इरिटेशन की समस्या गले, आंखों और कान में खराश और छींक का कारण बनने लगती है। इसके अलावा ब्रीदिंग प्रोबल्म और राइनीटिस की समस्या को भी बढ़ा देती है। ऐसे से घर से बाहर निकलने से पहले अपने मुंह को ढ़ककर रखें।

air pollution ke nuksaan
घर से बाहते निकलते ही पाल्यूटेंटस का प्रभाव शरीर पर तेज़ी से बढ़ने लगता है। इससे नाक में जलन, सूजन और इरिटेशन की समस्या गले, आंखों और कान में खराश और छींक का कारण बनने लगती है । चित्र- अडोबीस्टॉक

4 वेंटिलेशन की कमी (Poor ventilation)

अमूमन बदलते लाइफस्टाइल के साथ घरों में खिड़कियों और रोशनदान का चलन खत्म हो रहा है। इससे प्रॉपर वेंटिलेशन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, पुअर वेंटिलेशन घुटन, छींक और सिरदर्द की समस्या को बढ़ाने लगती है। डॉ अवि कुमार बताते हैं कि वेंटिलेशन की कमी के चलते इनडोर बैक्टीरिया, डस्ट माइट्स जो तकियों में पाए जाते हैं और वायरस का सामना करना पड़ता है।

5 खान-पान में कोताही (Unhealthy food)

कुछ फूड्स भी एलर्जी की समस्या को बढ़ावा देते हैं, जिससे बार बार छींकों की समस्या का सामना करना पड़ता है। वे फूड्स जो एलर्जी की समस्या को बढ़ा देते हैं। उन्हें खाने से परहेज़ करें। इसके अलावा अत्यधिक ठंडा खाने से भी बचें।

क्या हो सकता है बार-बार आने वाली छींकों से बचने के उपाय (How to prevent frequent sneezing)

1 ट्रिगर प्वाइंटस पहचानें

सबसे पहले इस बात की जानकारी एकत्रित करें कि किन कारणों से बार बार छींक आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। कारणों की रोकथाम करने से समस्या को सुलझाने की ओर पहला कदम बढ़ाने के सामन है। बैक्टीरिया, पोलन और डस्ट जैसी चीजों से खुद का सुरक्षित करे।

2 एअर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें

घरों में बढ़ने वाली वेंटिलेशन की कमी की रोकथाम के लिए एअर प्यूरिफायर की मदद लें। अपने आसपास के माहौल को बैक्टीरिया से मुक्त करने के लिए रात में एअर प्यूरिफायर लगाकर सो जाएं। इससे सुबह उठते ही छींकों की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।

air purifier ka prayog
एयर प्यूरिफाएर का प्रयोग करने से घर के अंदर की हवा शुद्ध होती है. चित्र ; शटरस्टॉक

3 डॉक्टर से सही नेज़ल स्प्रे लें

इस बारे में डॉ अवि कुमार बताते हैं कि नाक के रास्ते गले में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया को दूर करने के लिए एंटी एलर्जिंक नेज़ल स्प्रे का इस्तेमाल करें। इससे धूल मिट्टी के कारण बढ़ने वाली इरिटेशन और नेज़ल इंचिंग से राहत मिल जाती है।

4 घर में और अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें

इंडोर बैक्टीरिया और डस्ट माइट्स से बचने के लिए नियमित तौर पर क्लीनिंग करें और चादर, परदे और पिलो कवर्स को रोज़ाना बदलें। इसके अलावा घर के सामान को वैक्यूम क्लीनर्स की मदद से साप्ताहिक साफ करें। अपने दफ्तर, जिम, लॉन आदि क्षेत्रों को भी, जहां आप हर रोज़ जाते हैं, वहां भी सफाई का ध्यान रखें।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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