ईटिंग डिसऑर्डर या खाने संबंधी विकार अक्सर किशोरावस्था के दौरान या शुरुआती एडल्ट एज में विकसित होते हैं। यह टीन एज लड़कियों में अधिक देखा जाता है। इससे किशोर लड़के भी प्रभावित हो सकते हैं। यह उनके लिए बहुत तनावपूर्ण स्थिति हो जाती है। यह उनके समग्र स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इस्सके कारण उनमें सेल्फ रेस्पेक्ट की कमी और समाज से अलग-थलग पद जाना भी हो सकता है। किशोरों को ईटिंग डिसऑर्डर से बचाने के लिए उनका ख्याल करना जरूरी होता है।
बच्चों-किशोरों के लिए समय-समय पर अपने खान-पान की आदतों में बदलाव करना कोई असामान्य बात नहीं है। कुछ टीन्स वजन कम करने के लिए खाने की अलग शैली जैसे प्लांट बेस्ड फ़ूड लेने का प्रयोग कर सकते हैं। वे कभी-कभी भोजन भी छोड़ सकते हैं।ये परिवर्तन कुछ दिनों के लिए ही होना चाहिए। यदि लंबे समय तक उनके खान-पान संबंधी व्यवहार में परिवर्तन देखती हैं, तो सतर्क हो जाएं।
उनके खाने के पैटर्न को ध्यान से देखें। इससे कभी-कभार की जाने वाली डाइटिंग और ईटिंग डिसऑर्डर के बीच अंतर जानने में मदद मिलेगी।
वे अत्यधिक खाने के विकार (binge eating disorder), बुलिमिया (bulimia और एनोरेक्सिया (anorexia) के भी शिकार हो सकते हैं। यदि आप अपने किशोर को खाने सम्बन्धी कोई भी अलग तरह का बर्ताव देखती हैं, तो डॉक्टर से बात करें।
एक व्यक्ति नियमित रूप से 3 महीने तक सप्ताह में कम से कम एक बार) अपने-आप पर बिना नियंत्रण के साथ कम समय में बड़ी मात्रा में भोजन खा लेता है, तो इसे बिंग ईटिंग डिसऑर्डर कहा जाता है।
बुलिमिया से पीड़ित होने पर व्यक्ति एक बार में बहुत सारा खाना खा लेते हैं। फिर भोजन को अपने शरीर से निकालने के लिए वे उल्टी कर देते हैं या लैक्सेटिव का उपयोग करते हैं।
एनोरेक्सिया से पीड़ित होने पर पतले होने का जुनून सवार हो जाता है। वे खाना नहीं चाहते और उन्हें वजन बढ़ने का डर बना रहता है।
यदि किसी टीन को ईटिंग डिसऑर्डर है, तो उसे अपने शरीर और दिमाग के इलाज के लिए प्रोफेशनल हेल्प की ज़रूरत होती है। किशोरों को अपने वजन और जीवन के अन्य मुद्दों के बारे में बात करने के लिए सही सलाह की जरूरत होती है। इसलिए मेंटल एक्सपर्ट और डाइट एक्सपर्ट दोनों से बात कराएं। कभी भी उनके ईटिंग डिसऑर्डर के बारे में डांट कर उनसे कुछ नहीं कहें। इससे उनका कांफिडेंस लो हो सकता है। उपचार के समय दोस्तों, घर-परिवार सभी का सहयोग मिलना चाहिए।
1अपनी बातों से टीन गर्ल या बॉयज को समझाएं कि शरीर का स्वस्थ रहना जरूरी है। अपने वज़न के बारे में शिकायत न करें या स्वयं को मोटा न कहें।
2 अपने किशोर के वजन या शारीरिक बनावट पर टिप्पणी करने से बचें। दूसरे लोगों के वजन या शारीरिक बनावट की आलोचना न करें।
3 घर में हेल्दी फ़ूड के ढेर सारे विकल्प होने चाहिए।
4 स्वस्थ और मजबूत रहने के लिए शारीरिक गतिविधि के फायदों के बारे में बात करें, न कि वजन कम करने के लिए।
5 स्वस्थ भोजन और एक्सरसाइज करने के अपनी आदतों का उदाहरण पेश करें।
6 हमेशा किशोर के आत्म-सम्मान को सपोर्ट करें। किसी भी प्रकार के उनके प्रयासों के लिए बधाई दें। उनकी राय पूछें और उनकी रुचियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें।
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