डिजिटल वर्ल्ड में तेज़ी से बदलाव आ रहे है, जिससे युवा इस ओर तीव्र गति से आकर्षित होने लगे हैं। डिजिटल युग ने व्यक्ति को चंद क्लिक्स के ज़रिए विश्वभर से जोड़ने की महारत हासिल कर ली है। मगर धीरे धीरे ये लोगों की एडिक्शन का कारण भी बनने लगा है। इंटरनेट का ये डिजिटल माध्यम लोगों को अपना एडिक्ट बना रहा है। लोग इस कदर मोबाइल से जुड़ हो चुके हैं, कि उन्हें इसके अलावा और किसी चीज़ की कोई सुध बुध नहीं है। घंटों बिना किसी से बात किए लोग रील्स, विडियो गेम और मूवीज़ पर बर्बाद कर रहे हैं, जिससे उन्हें अन्य कार्यों में विलम्भ का सामना करना पड़ता है। जानते हैं नोमोफोबिया क्या है और इसके कारण व इससे बचने के उपाय भी।
आधुनिकता के इस दौर में व्यक्ति की फोन पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। डिजिटल उपकरण दिनों दिन व्यक्ति को अपना एडिक्ट बना रहा है। ऐसे में फोन का पास न होना बेचैनी, चिंता और तनाव का कारण बनने लगता है। कुछ देर के लिए अगर किसी व्यक्ति का फोन उससे दूर हो जाए या वो किन्हीं कारणों से इस्तेमाल न कर पाए, तो उस स्थिति को नोमोफोबिया कहा जाता है। डिजिटल माध्यम का अत्यधिक इस्तेमाल एक विश्वव्यापी समस्या बनकर उभर रहा है।
हर व्यक्ति फोन को अपने हाथ, पॉकेट या बैग में महफूज़ तरीके से रखता है, जो न केवल बातचीत का एक ज़रिया है बल्कि मनोरंजन का भी मुख्य साधन बनता जा रहा है। वे लोग जो दिनभर अपने कार्यों के लिए इस पर निर्भर रहते हैं। उन्हें डिजिटल एडिक्ट कहा जाता ळैं। जानें डिजिटल एडिक्ट के कुछ लक्षण।
अपने डिजिटल उपकरण को बार बार देखने की जगह उसके लिए एक समय निर्धारित करें। खाली वक्त में कुछ देर के लिए मेल बॉक्स, चैट वॉक्स और आवश्यक विडियोज़ देखें। हमेशा टाइमर सेट करके ही डिजिटल उपकरण के साथ समय बिताएं।
नोटिफिकेशन कई बार काम के बीच बाधा का कारण बनने लगती हैं। इससे फोकस डाइवर्ट होने लगता है, जिसका असर कार्यक्षमता पर भी दिखता है। वर्कप्लेस पर नोटिफिकेशन को बंद करके रखें। इससे फोन की ओर ध्यान आकर्ष्ज्ञित होने से बच सकता है।
नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने और फोन से खुद को दूर रखने के लिए रात को सोने से पहले फोन का इस्तेमाल करने से परहेज करें। इससे आंखों पर पड़ने वाले ब्लू लाइट के प्रभाव से भी बचा जा सकता है। फोने से दूरी बनाए रखने के लिए डिजिटल उपकरण को हर समय अपने साथ रखने से बचना चाहिए।
फोने पर अपना अधिक समय बिताने की जगह लोगों से मिलजुले और सोशन सर्कल को बढ़ाने का प्रयास करें। इससे व्यक्ति अन्य लोगों के संपर्क में आने लगता है और फोन के प्रति उसका आर्कषण कम हो जाता है। आवश्यकतानुसार ही फोन का इस्तेमाल करें।
हर पल चार दीवारी में खुद को कैद रखने की जगह घर से बाहर निकलने का प्रयास करें और इंडोर की जगह आउटडोर गतिविधियों में समय व्यतीत करें। इससे शारीरिक स्वास्यि के साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा मिलने लगता है।