कोविड के बाद हमारे जीवन में एक नए शब्द ने कदम रखा और उसका नाम है आइसोलेशन। खुद को अन्य लोगों से प्रोटेक्ट करने के लिए शुरू की गई ये टर्म आज लोगों के जीवन की एक बड़ी समस्या बन चुकी है। दूसरों की बातों और उनके एटीट्यूड से बचने और जीवन को अपने हिसाब से जीने के लिए लोग खुद को दूसरों से अलग कर लेते हैं, जिसे सेल्फ आइसोलेशन भी कहा जाता है। इसके चलते वे दिनों दिन सोशल सर्कल से कटने लगते हैं और जीवन को अपने अनुरूप जीने लगते हैं।
जिंदगी की खींचतान और बिहेवियर हमारी जिंदगी पर कई प्रकार से असर डालता है। ऐसे में मानसिक शांति की खोज के लिए लोग सेल्फ आइसोलेशन (self isolation) की ओर बढ़ने लगते हैं। पर क्या यह लॉन्ग टर्म में भी आपके लिए फायदेमंद होगा? या इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं! आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
तुलाने यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के मुताबिक जल्दी प्लान कैंसिल करना, देर तक अकेले बैठना और तनाव में रहना सेल्फ आइसोलेशन के लक्षण होते हैं। खुद को आइसोलेट करने का अर्थ है, दूसरों से धीरे-धीरे दूरी बना लेना और अपने हिसाब से जिंदगी को जीना। कई बार दूसरों की बातें और हरकतें हमारे जीवन में बाधा बनने लगते हैं। ऐसे में अपने जीवन को अपने मुताबिक आगे बढ़ाने के लिए लोग सेल्फ आइसोलेशन यानि एकांत को चुन लेते हैं। एकांत (loneliness) जहां हमारे प्रयासों में काफी मददगार साबित होता है, तो वहीं हमारी मेंटल हेल्थ को नुकसान भी पहुंचा सकता है।
इस बारे में बातचीत करते हुए राजकीय मेडिकल कालेज हलद्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि सेल्फ आइसोलेशन एक इमोशनल डिसीज़न (Emotional decision) होता है। कोई व्यक्ति उस वक्त खुद को आइसोलेट कर लेता है, जब वह नीतिबद्ध तरीके से किसी मिशन पर काम करता है। इसके अलावा कुछ लोग मानसिक शांति की तलाश में भी अलग रहने का डिसीज़न लते हैं।
परिवार में होने वाली छोटी-बड़ी नोंक-झोंक किसी व्यक्ति के तनाव की वजह बनने लगती है, जिसे वे ज्यादा समय तक झेल नहीं पाता है। इसलिए भी लोग खुद को दूसरे से अलग यानी आइसोलेट कर लेते हैं। हालांकि इससे आप अपने जीवन में कुछ शांति का अनुभव करते हैं और अपने काम पर बेहतर तरीके से फोकस कर पाते हैं।
किसी विषय को लेकर अगर आप तनाव में है, तो आप खुद को अन्य लोगों से अलग कर लेते हैं। आप अपनी अलग दुनिया में रहने लगते हैं। इसका प्रभाव आपकी मेंटल हेल्थ पर भी पड़ने लगता है। खुद को सोशनी आइसोलेट करने से आप बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कट जाते हैं।
बहुत से लोग जब प्यार में धोखा खाते है या किसी खास को खो देते हैं, तो ऐसे में उनकी मेंटल स्टेट प्रभावित होने लगती है। वे एकांत की खोज करते हैं और दूसरों से अपने मन की बात कहने से भी कतराने लगते है। ऐसे कंडीशन में अक्सर लोग आइसोलेशन का शिकार हो जाते हैं।
घंटों स्क्रीन के सामने बैठकर बिताने से आपका इंटरस्ट आउटर वर्ल्ड में खत्म होने लगता है। आपकी दुनिया केवल मोबाइल और लैपटॉप तक सीमित होरक रह जाती है। इससे आप दिनभर व्यस्त रहते है, जिसके चलते दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ समय बिताने का वक्त नहीं मिल पाता है।
वे लोग जो लंबे वक्त से किसी बीमारी को झेल रहे हैं, वे अपने आप बाहरी दुनिया से अलग-थलग हो जाते हैं। बीमार रहने से उनका लोगों के साथ संपर्क कम हो जाता है। बातचीत से लेकर मेल-जोल तक वे ज्यादा सक्रिय नहीं रहते हैं। इसके चलते वे न चाहते हुए भी खुद को आइसोलेट कर लेते हैं।
वे लोग जो अकेले रहते है। एक समय के बाद उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन नज़र आने लगता है। दरअसल, वे बात करने के लिए अन्य लोगों को खोजने लगते है। मगर खुद को अकेला पाकर अंदर ही अंदर परेशान होने लगते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंअकेले रहने से कई बार व्यक्ति नींद न आने की समस्या से ग्रस्त हो जाता है। रात देर तक जागना और सोच विचार करने से उसका प्रभाव नींद की गुणवत्ता पर भी दिखने लगता है। नींद की कमी से आपका माइंड थ्का हुआ रहता है।
वे लोग जो खुद को सेल्फ आइसोलेट कर लेते है। वे कई प्रकार की पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं से घिर जाते हैं। इसका प्रभाव उनकी मोबिलिटी पर भी दिखने लगता है। कई बार अलग रहने वाले लोग सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले पाते हैं। वे खुद को बीमारी महसूस करने लगते है। इसका प्रभाव उनकी मेंअल हेल्थ पर भी दिखने लगता है।
अगर आप लंबे वक्त से किसी भी कारणवश आइसोलेशन में है, तो अपने आप को दोबारा सोशली एक्टिव करें। लोगों से मिलें, मोबाइल के ज़रिए संकर्प करे और किटी पार्टीज़ या फैमिली गेट टुगेदर का हिस्सा बनें। बाहरी दुनिया से कनैक्टिड रहना बहुत ज़रूरी है। इससे आपको मानसिक तौर पर मज़बूती मिलती है।
सुबह जल्दी उठने से लेकर रात को जल्दी सोने तक हेल्दी हैबिट्स को अपनाएं। अपने लाइफ स्टाइल को बेहतर बनाने के लिए स्वस्थ आहार, रूटीन एक्सरसाइज़ और आउटिंग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें। इससे आप खुद को हेल्दी और एक्टिव रख सकते हैं। जो लोगों को खुद ब खुद आपकी ओर आकर्षित करने लगेगा। साथ ही आप अपने आप को कॉफिडेंट फील करेंगे।
अपने दोस्तों और क्लीग्स के साथ वीकेण्ड को सेलिब्रेट करने का प्रोगाम बनाएं। बाहर जाएं, घूमें, मूवी देखें और एजॉ करें। इससे आपके अंदर मौजूद तनाव अपने आप रिलीज़ होने लगता है। हैप्पी हार्मोंस रिलीज़ होने लगते हैं। आप खुद को उर्जावान महसूस करती है और लोगों से संपर्क जुड़ने लगता है।