आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में तनाव और एंग्जायटी जैसी मानसिक स्थितियां आम हो गयी हैं। छोटी-छोटी बातों पर बेचैनी होना, धड़कनों का तेज रहना, दिल घबराना, सांस फूलना, नींद की कमी, सभी एंग्जाइटी के लक्षण हो सकते हैं। यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि अनियमित दिनचर्या, खराब लाइफ स्टाइल, गलत व्यवहार, रिश्तो का विवाद, एक- दूसरे से आगे निकलने की दौड़, लड़ाई-झगड़ा, असुरक्षित महसूस करना, समाज से दूर रहना और अपने आप में लीन रहने से तनाव, गुस्सा, एंग्जाइटी और अवसाद का खतरा बढ़ रहा है।
हालांकि, सवाल यह है कि कैसे पता करें कि कोई व्यक्ति तनाव में है या हम स्वयं एंग्जाइटी और डिप्रेशन से पीड़ित है? क्योंकि जब तक आप इन लक्षणों को नहीं पहचानेंगे तब तक आपके लिए इससे बाहर आना बेहद मुश्किल होगा। पहले परेशानी को समझना जरूरी है तब बाद में इसका समाधान निकालना आसान हो जाता है।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर मनस्थली की फाउंडर और सीनियर साइकोलोजिस्ट डॉ. ज्योति कपूर से बात की। उन्होंने तनाव और अवसाद को पहचानने के कुछ सामान्य लक्षण बताये हैं (symptoms of anxiety), तो चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
डिप्रेशन और एंग्जाइटी की स्थिति में अक्सर व्यक्ति अपनी कार्य रूचि खो देता है। यह किसी भी स्थिति में लागु हो सकता है। जब आपको या किसी व्यक्ति को अपने पसंदीदा कार्य को करने का मन न करें या आप पहले जिन चीजों के लिए उत्साहित रहती थीं और अब आपको उनमें रूचि नहीं आ रही हैटी, तो यह एंग्जाइटी के लक्षण हो सकते हैं।
सेक्स डिजायर में कमी आना डिप्रेशन का एक सबसे सामन्य लक्षण है। इसके साथ ही आपको अपने नियमित कार्यों को करने का भी मन नहीं हो सकता है। यदि आपको ऐसा कुछ भी महसूस हो रहा है तो इसपर नियंत्रण पाने का प्रयास करें साथ ही लोगों से इस बारे में चर्चा करें। यदि किसी और में यह लक्षण नजर आता है तो उन्हें अकेला न छोड़ें क्युकी उन्हें आपकी जरुरत हो सकती है।
डॉक्टर के अनुसार घबराहट, बेचैनी, या तनाव की भावना, भय की भावना, हार्टबीट का तेज होना, तेजी से सांस लेना, बेबजह अधिक पसीना आना, कांपना या मांसपेशियों का हिलना, एक केंद्रीय व्यस्तता के अलावा किसी अन्य चीज़ पर स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित करने या सोचने में परेशानी होना एंग्जाइटी और डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं। इन्हे कभी भी नजरअंदाज न करें, ऐसा करना आपके लिए परेशानियों को बढ़ावा देना है।
मेन्टल हेल्थ एक्सपर्ट बताती हैं की एंग्जाइटी की स्थिति में एक क्षण आप अधिक क्रोधित होती हैं तो वहीं दूसरे क्षण आपके आंसू अनियंत्रित रूप से बह रहे होते हैं। अवसाद के कारण आपके मूड में भी काफी ज्यादा उतार चढ़ाव देखने को मिलता है। इस दौरान आप अपनी किसी भी भावना पर नियंत्रण नहीं रख पाती हैं। यदि आप अपनी किसी भावना को सामने वाले व्यक्ति से छिपाना चाहेंगी, ऐसे में एंग्जाइटी की स्थिति में आप इसमें असमर्थ हो सकती हैं।
यदि आपको ऐसे किसी लक्षण का अनुभव हो रहा है या आप किसी और में ऐसा कोई संकेत देख रही हैं तो इसपर फ़ौरन ध्यान दें। जरुरत पड़ने पर मेन्टल हेल्थ एक्सपर्ट से इस विषय पर सलाह लेने से आप समय रहते इस स्थिति से बाहर निकल सकती हैं।
यह भी पढ़ें : फैमिली इश्यू कर रहे हैं आपकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित, तो जानिए इस स्थिति को कैसे डील करना है
डिप्रेशन और एंग्जाइटी की स्थिति में आप अपने पसंदीदा कार्यों को करने में रूचि कहना शुरू कर देती हैं और अधिक थकान का अनुभव करती हैं। एक्सपर्ट के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्युकी अवसाद और चिंता शरीर में ऊर्जा की कमी का कारण बनते हैं और लो एनर्जी लेवल आपको थका हुआ महसूस करने पर मजबूर करती हैं। इस दौरान आपके ब्रेन को एनर्जी और मूड को बूस्ट करने के लिए उचित सिंग्नल प्राप्त नहीं हो पाते।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंयदि आपको भी बिना कुछ किये थकान का अनुभव हो रहा है और आपमें अवसाद के अन्य लक्षण भी नजर आ रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें विशेषज्ञ से राय लें और इसपर कार्य शुरू करें।
ज्योति कपूर के अनुसार नींद और डिप्रेशन एक दूसरे से जुड़े होते हैं, यदि आप उचित नींद प्राप्त करने में असमर्थ हैं तो आपमें एंग्जाइटी की शिकायत हो सकती है। वहीं यदि आप एंग्जाइटी से पीड़ित हैं तो आपमें नींद की कमी हो सकती है। डिप्रेशन की स्थिति में आमतौर पर इन्सोम्निया, हाइपरसोमनिया, और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जैसी नींद की समस्याएं देखने को मिलती है।
चिंता और अवसाद से पीड़ित व्यक्ति सुबह जल्दी उठ जाते हैं और रात को इन्हे सोने के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ता है। यदि आपको भी नींद की समस्या है तो इसमें सुधार करें, समय से बेड पर जाएं और अपने कमरे के वातावरण को डार्क और साफ़ सुथरा रखें। ऐसा करने से आपको बेहतर नींद प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
एंग्जाइटी की स्थिति में कुछ व्यक्ति को अधिक भूख लगती है, तो कुछ को भूख की कमी का एहसास होता है। ऐसे में जिस व्यक्ति की क्रेविंग्स बढ़ जाती है, वे ओवरईटिंग करते हैं और उनका कैलोरी इंटेक भी बढ़ जाता है जिसकी वजह से वेट गेन का समन करणा पड़ सकता है।
वहीं दूसरी और कुछ व्यक्ति को निराशा और अवसाद में भूख का एहसास नहीं होता, जिसकी वजह से वे लंबे समय तक कुछ भी नहीं खाते और उनका शरीर पोषक तत्वों की कमी का शिकार हो जाता है। साथ ही उनमें ऊर्जा की कमी देखने को मिलती है। इस प्रकार अवसाद के सभी लक्षण एक दूसरे से जुड़े होते हैं।