प्रेरक व्यक्तित्व और समाज की भलाई के लिए कार्य करने की चाहत उम्र के कारण हुए अनुभव से नहीं आती। कई लोग कम उम्र में ही बहुत बड़ा काम कर जाते हैं। वे मशाल बनकर जीवन भर लोगों को प्रेरित करते रहते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व हैं मलाला यूसुफजई। पाकिस्तानी कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने किशोरावस्था में तहरीक-ए-तालिबान द्वारा लड़कियों की शिक्षा पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बात की थी। तालिबान ने 15 साल की उम्र में उनकी हत्या का प्रयास किया। वे इस प्रयास से बच गईं और ब्रिटेन में रहकर स्त्री शिक्षा के लिए काम करने लगीं। 2014 में मलाला को भारतीय सामाजिक कार्यकर्त्ता कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मलाला के जीवन से प्रेरणा मिलने वाली बातों की मदद (malala yousafzai quotes) से हम सफल हो सकते हैं।
12 जुलाई, 1997 में पाकिस्तान की स्वात घाटी के मिंगोरा में मलाला यूसुफजई का जन्म हुआ था। उनके पिता भी मुखर सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक रहे हैं। मलाला बचपन से पढ़ाई में काफी होशियार रही हैं। पिता ने मिंगोरा शहर में खुशाल गर्ल्स हाई स्कूल और कॉलेज की स्थापना और संचालन किया। इसी स्कूल से पढ़ाई कर घर लौटने के क्रम में तालिबान ने उन पर आक्रमण कर दिया था। उस समय वह 15 साल की थी।
वे कई वर्षों से अपने गृह देश पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के अधिकार की वकालत कर रही थीं। सामाजिक कार्यकर्ता मलाला मानवाधिकारों के लिए हर मोर्चे पर डटकर मुकाबला करती हैं। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता के रूप में मलाला के शब्द और कार्य दुनिया भर के लोगों को प्रेरणा और आशा प्रदान करते हैं।
अपने 16वें जन्मदिन पर मलाला ने संयुक्त राष्ट्र में मलाला ने एक भाषण दिया। इसके अनुसार, अपने लक्ष्य को जुनून की तरह मानें। लक्ष्य को पाने के लिए यदि आपको विरोध का सामना करना पड़ रहा है, तो अपने पक्ष में जरूर बोलें। चुपचाप स्वीकार करते रहने से परिस्थितियां कभी आपके लिए अनुकूल नहीं होंगी।बोलने से लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
मलाला अपने भाषण के जरिये कहती हैं, “एक क्षण आता है जब आपको चुनना होता है कि चुप रहना है या खड़ा होना है।” मलाला का जीवन एक साहसपूर्ण कहानी है। जिस प्रतिकूल परिस्थिति की कई लोग शायद ही कल्पना कर सकते हैं, उसका उन्होंने सामना किया। जो सही है, उसके लिए उन्होंने लड़ना जारी रखा। वे डर, धमकियों और हिंसा के खिलाफ बार-बार खड़ी होती रहीं। उनका डर के आगे झुकने से इंकार करना और बहादुरी महिलाओं को निश्चित तौर पर साहसी बनने के लिए प्रोत्साहित करती है।
मलाला आज भी संयुक्त राष्ट्र संघ के महिला शिक्षा पर जोर देने वाले कार्यक्रम से जुड़ी हुई हैं। वे कहती हैं, मैं इस कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध हूं, जो हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और महिलाओं को समान अधिकार की बात करता है। दुनिया के हर कोने में शांति चाहता है।” चाहे उनके आस-पास कुछ भी हो रहा हो, मलाला लड़कियों की शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से कभी पीछे नहीं हटती। मलाला का अपने काम के प्रति समर्पण और दृढ़ विश्वास सीखने वाले लाइफ लेसंस (Malala Life Lessons) हैं।
व्यस्त रूटीन से समय निकालकर मलाला की ऑटोबायोग्राफी (I Am Malala) जरूर पढ़ें। अपने भाई-बहन, बच्चों को भी यह किताब पढने के लिए प्रेरित करें। इस किताब को पढने से आपको पता चलेगा कि वे बचपन से ज्ञान हासिल करने की भूखी थीं। पाकिस्तान में छोटी उम्र में लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में उन्हें भाषण देना होता था। इसकी तैयारी के लिए वे इस संबंध में सभी जानकारी जुटा लेती थीं।
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कस्टमाइज़ करेंसबसे पहले वे यह समझती थीं कोई भी योजना कैसे काम करेगी। आज भी मलाला दुनिया भर के देशों द्वारा लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने से रोकने वाले मुद्दों को पहले समझती हैं। लोगों की बात सुनती और गंभीरता से विचार करती हैं।
नोबेल पुरस्कार जीतने वाली वे सबसे कम उम्र की व्यक्ति हैं। अपनी कई उपलब्धियों, पुरस्कारों और प्रसिद्धि के बावजूद मलाला हमेशा दयालुता और विनम्रता के साथ बोलती और कार्य करती हैं। वास्तव में लैंगिक समानता की बात विनम्र होकर ही की जा सकती है।
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