दिनभर ब्लैकबोर्ड पर चॉक से बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने की रूपरेखा तैयार करने वाले अध्याप्क ईश्वर का वो रूप है, जो हर बच्चे के व्यक्तित्व का विकास करने में अहम रोल अदा करते हैं। गुरू के लिए अपने सभी शिष्य एक सामन है। वे बच्चों के एजुकेशनल स्क्लि्स के अलावा उनकी मेंटल हेल्थ और बिहेवियर मैनेजमेंट पर भी पूरा फोक्स करते हैं। टीचिंग प्रोफेशन को समाज में महत्वपूर्ण दर्जा दिया जाता है। आकर्षक व्यवसायों में से एक होने के बावजूद इसमें भी बहुत सी कठिनाइयाँ मौजूद हैं। प्रोफेशन की कठिन जिम्मेदारियाँ, सख्त नियम और कर्तव्य कभी.कभी अत्यधिक काम के दबाव का कारण बन जाता है। जानते हैं ओंटोलॉजिस्ट आशमीन मुंजाल ((Oncologist, Aashmeen munjaal) )से कि किस प्रकार टीचर्स रख सकती हैं अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल (tips for teachers battling work pressure)।
इस बारे में शुक्राना ग्रेटीटयूट फाउंडेशन की फाउंडर और मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट, ओटोलॉजिस्ट आशमीन मुंजाल (Oncologist, Aashmeen munjaal) का कहना है कि शिक्षकों के लिए अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल रखना ज़रूरी है। उन्हें अपनी मेंटल वेलनेस को प्राथमिकता देनी चाहिए। दरअसल, इसका असर उनके छात्रों पर भी दिखने लगता है। इनके मुताबिक काम के दबाव से निपटने के लिए टीचर्स (teachers) को इन टिप्स को अवश्य फॉलो करना चाहिए।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि काम पूरा होने के बाद आपका दिमाग तनाव (stress) रहित होने लगता है। टीचर्स को खुद को चिंताओं से मुक्त रहने के लिए कुछ वक्त ब्रेक के लिए तय करना चाहिए, ताकि वे उनके दिमाग को सुकून मिल सके। ऐसे में शिक्षक को वर्क प्लानिंग के अलावा ब्रेक के लिए अलग समय निर्धारित करने की आवश्यकता है।
बच्चों को दिनभर पढ़ाने के बाद कुछ वक्त खुद के लिए निकालना भी बेहद ज़रूरी है। दरअसल, एक के बाद एकक्लासिस लेने के बाद टीचर्स (teachers) का माइंड एग्जॉस्ट होने लगता है, जो सिरदर्द और एंग्जाइटी का कारण बन जाता है। ऐसे में टीचर्स के माइंड को समय.समय पर रिफ्रेश होने की जरूरत है। इसके लिए टीचर्स को अपने खाली समय में अपनी पसंदीदा एक्टिविटी, बागवानी या वॉक करनी चाहिए। इसके अलावा आप कुछ देर अपनी बॉडी को आराम भी अवश्य दें।
एक शिक्षक के तौर पर ध्यान और विश्राम प्रथाओं को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करना ज़रूरी है। इससे न केवल फोकस बढ़ता है बल्कि तनाव भी कम होने लगता है। इसके लिए रूटीन में डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ (Deep breathing exercise) को एड करें। इसके अलावा वॉक और जॉगिंग भी आपको तरोताज़ा करने में सहायक साबित होती है।
खुद को थकान से बचाने के लिए टीचर्स (Teachers) को अपने कार्यों को व्यवस्थित करने की आवश्यकता है। इसके लिए टीचर्स न केवल अपने वर्कप्लेस (Workplace) को मैनेज करना चाहिए बल्कि प्रोजेक्टस से लेकर असाइनमेंटस की योजनाओं को तैयार करने के लिए डिजिटल कैलेंडर इस्तेमाल करना चाहिए।
जब तक शिक्षक( Teacher) सीखने और प्रोफेशनली विकसित होने के इच्छुक रहते हैं, तब तक लर्निंग कभी बंद नहीं होती है। उन्हें अपनी उपलब्धियों को कभी नहीं भूलना चाहिए। कार्य क्षेत्र में रहना कभी.कभी थका देने वाला हो सकता है। उन्हें हमेशा अपने विचारों को अपग्रेड और सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए। एक शिक्षिका को हमेशा याद रखना चाहिए कि अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखकर वह खुद को अधिक प्रतिबद्ध साबित कर सकेगी।
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