मातृत्व के सुख को पाने के लिए लोग कई प्रकार की दवाओं और ट्रीटमेंट की मदद लेते हैं, जिससे शरीर में साइफ इफे्क्टस का खतरा बना रहता है। मगर योग की मदद लेने से न केवल शरीर एक्टिव रहता है बल्कि फर्टिलिटी को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। योग के माध्यम से प्रेगनेंसी में आने वाली बाधा को दूर करने में मदद मिलती है। जानते हैं आचार्य प्रतिष्ठा से कि किन योगासनों से प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मिलती है मदद।
योग गुरू आचार्य प्रतिष्ठा बताती हैं कि वे महिलाएं, जो कंसीव करना चाहती हैं, उनके लिए गुप्त पद्मासन बेहद फायदेमंद है। इससे पेल्विक मसल्स को मज़बूती मिलती है और शरीर में प्रजनन क्षमता का विकास होने लगता है।
इसे करने के लिए सुखासन से बैठ जाएं और फिर दाहिने पैर को बाई टांग और बाएं पैर को दाई टांग पर टिका लें।
इस दौरान कमर को सीधा रखें और शरीर का बैलेंस मेंटेन करते हुए आगे की ओर झुकें और माथे को जमीन पर लगाएं।
अब दोनों हाथों को कमर के पास ले जाएं और पीठ पर टिकाते हुए नमस्कार की मुद्रा बनाएं।
योगाभ्यास के दौरान अपनी सांस पर अपना ध्यान केंद्रित करें और 30 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रहें।
फिर धीरे धीरे शरीर को ढ़ीला छोड़ दें और सीधे बैठ जाएं। दिन में दो बार इस योग को दाहराएं
फर्टिलिटी को बढ़ाने और गर्भपात के खतरे को कम करने के लिए कंधरासन का अभ्यास अवश्य करें। आचार्य प्रतिष्ठा के अनुसार इस योग मुद्रा का नियमित अभ्यास रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स को मज़बूत बनाते हैं। इसे करने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने लगता है। तीसरी तिमाही में इस योगसन का अभ्यास करने से बच्चे की पोज़िशन उचित बनी रहती है।
इस योगासन को करने के लिए कमर के बल लेट जाएं और पीठ को एकदम सीधा रखें।
अब टांगों को मोड़कर पैरों से अपने हिप्स को छूने का प्रयास करें। अब दोनों हाथों से टखनों को पकड़ें।
कमर से शरीर को उपर की ओर उठाएं और 30 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रहें। इस दौरान गर्दन को जमीन पर रखें।
इसके अलावा बाजुओं को भी ज़मीन पर ही रखें और टखनों को मज़बूती से पकड़े रहें।
दिन में 2 से 3 बार 30 सेकण्ड से लेकर 1 मिनट तक इस योगासन का अभ्यास करें।
इस योगासन का अभ्यास करने से शरीर में बढ़ने वाले तनाव को नियंत्रित कर प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसे करने से मसल्स स्ट्रेच होते हैं, जिससे शरीर में पीरियड के दौरान होने वाले दर्द को भी नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
इस योगासन को करने के लिए ज़मीन पर सीधे लेट जाएं और फिर दोनों टांगों को मोड़कर अंडर थाइज के पास लाएं।
अब दोनों पैरों को आपस में जोड़ लें और टांगों से त्रिकोण बना लें। इस दौरान अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
इसके बाद दोनों हाथों को सीधा कर लें और आंखों को बंद करे। इस दौरान कम र अके नीचे कुशन भी रख सकते हैं।
नियमित रूप से इसका अभ्यास करना स्वास्थ्य के लिए फायेदमंद साबित होता है। 30 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रहने के बाद टांगों को सीधा कर ले।
इस योगासन को करने से पेल्विक मसल्स रिलैक्स होने लगते है। इसके अलावा थाइज़ पर जमा अतिरिक्त चर्बी भी दूर होने लगती है। नियमित तौर पर इसका अभ्यास शरीर के पोश्चर में भी सुधार लाता है। दूसरी और तीसरी तिमाही में इसका अभ्यास फायदेमंद साबित होता है।
इसे करने के लिए जमीन पर सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों पैरों के मध्य दूरी बनाकर रखें।
टांगो को घुटनों से मोड़ लें और मज़बूती से जमीन पर टिकाए रखें। इस दौरान गहरी सांस लें और छोड़ें।
अब दोनों बाजूओं को उपर लेकर जाएं और सीधा करके नमस्कार की मुद्रा बना लें।
30 सेकण्ड तक इसी मुद्रा में रहने के बाद बाजूओं को नीचे ले आएं औरसीधे खड़े हो जाएं।
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