मां बनना एक बेहद खूबसूरत एहसास है, पर इस जर्नी के दौरान एक महिला को कई कठिनाइओं का सामना करना पड़ता है। शारीरिक बदलाव से लेकर मानसिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी इसका बेहद नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान ही नहीं बल्कि इसके बाद भी महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन से लेकर पोस्टपार्टम वेट गेन काफी हेक्टिक होते हैं। तो इस मदर्स डे हेल्थ शॉट्स सभी न्यू मॉम्स और मॉम्स टू बी के लिए पोस्टपार्टम वेट लॉस से संबंधी कुछ जरुरी जानकारी लाया है।
अक्सर महिलाएं पोस्टपार्टम वेट लॉस के दौरान कई ऐसी गलतियां कर देती हैं, जो उनके लिए परेशानियां खड़ी कर सकता है। ऐसी गलतियां दोहराने से बचना चाहिए क्युकी पोस्टपार्टम वेट लॉस नार्मल वेट लॉस से अलग होती है।
पोस्टपार्टम वेट लॉस मिस्टेक्स के बारे में विस्तार से समझने के लिए हेल्थ शॉट्स ने मैरिंगी एशिया हॉस्पिटल गुरुग्राम की आब्सटेट्रिक्स और गायनोकॉलोजी डिपार्टमेंट की डायरेक्टर और एचओडी डॉ पूजा मेहता से बात की। तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से।
डॉ पूजा मेहता के अनुसार “पोस्टपार्टम वेट लॉस के दौरान ऊर्जा के स्तर और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए तेजी से वजन घटाने से बचें। सुनिश्चित करें कि आप कम खाने के बजाय सही खाने पर ध्यान केंद्रित रख रही हैं। आपका लक्ष्य वेट लॉस से ज्यादा रिकवरी पर होना चाहिए, यह न भूलें कि आपने एक बच्चे को जन्म दिया है।
इस दौरान अपनी पुरानी ड्रेस में फिट आने या किसी पार्टी में शामिल होने के लिए किसी भी तरह का वेट लॉस चैलेंज लेने से बचें। यह आपकी सेहत खराब कर सकता है।
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पोस्टपार्टम वेट लॉस सामान्य वजन घटाने की यात्रा की तुलना में भिन्न हो सकता है क्योंकि इस दौरान आपको अनिद्रा और भूख में कमी की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। अपने नियमित दैनिक कैलोरी इंटेक को 300 किलो कैलोरी से अधिक कम न करें। आपको वजन कम करने के साथ ही शरीर के पुनर्रचना पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
सुनिश्चित करें कि आपकी नियमित डाइट में कम से कम 50% कार्बोहाइड्रेट के साथ-साथ हेल्दी फैट भी हों। फैट स्किप न करें, साथ ही पर्याप्त रूप से खाद्य पदार्थों का सेवन करें। ऐसा करना जरुरी है क्युकी शरीर में पोषक तत्वों की कमी ब्रेस्टफीडिंग पर नकारात्मक असर डाल सकती है। जिसकी वजह से बच्चे के विकास में रूकावट का खतरा बढ़ जाता है।
बहुत सी महिलाएं पोस्टमार्टम वेट लॉस के दौरान मिल स्किप करना शुरू कर देती हैं। ये आपकी सबसे बड़ी भूल है। इस दौरान कभी भी मिल स्किप नहीं करना चाहिए, अन्यथा इसका असर बच्चों की सेहत के साथ-साथ आपकी सेहत पर भी देखने को मिलता है। वहीं यह वेट लॉस की जगह वेट गेन का कारण बन सकता है। इसलिए पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
पोस्टपार्टम वेट लॉस के दौरान सभी महिलाओं को विशेष रूप से सचेत रहने की आवश्यकता होती है। वहीं इसमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। आमतौर पर डिलीवरी के बाद बॉडी को रिकवर करने में 6 से 8 हफ्ते लगते हैं। जब तक आपकी बॉडी पूरी तरह से नॉर्मल महसूस न हो तब तक आपको वेट लॉस एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करने से बचना चाहिए।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंवेट लॉस के लिए हमेशा इंटेंस वर्कआउट की आवश्यकता नहीं होती, खासकर जब आप पोस्टपार्टम वेट लॉस प्लान कर रही हैं तो ऐसे में वॉकिंग से शुरुआत करें। यह एक सबसे बेस्ट तरीका का। लगभग 10 हफ्तों के बाद वॉकिंग की सलाह दी जाती है, यदि आपकी बॉडी पूरी तरह से रिकवर नहीं हो पाई है तो आपको थोड़ा और इंतजार करना चाहिए। आप 5 मिनट तक धीरे-धीरे वॉक करें उसके बाद अपनी स्पीड बढ़ाएं और लगभग 30 मिनट तक रोजाना वॉक करने की आदत बनाएं।
पोस्टपार्टम वेट लॉस की शुरुआत वॉकिंग से करने के कुछ समय के बाद वर्कआउट रूटीन अपना सकती हैं। परंतु वर्कआउट शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना सबसे जरूरी है, क्युकी एक्सरसाइज में होने वाले बॉडी मूवमेंट को समझने में डॉक्टर आपकी मदद करेंगे। एक्सपर्ट के अनुसार लगभग 14 हफ्तों के बाद ही महिलाओं को पोस्टमार्टम वेट लॉस में वर्कआउट रूटीन ऐड करनी चाहिए।
ब्रेस्टफीडिंग कई कारणों से महत्वपूर्ण होता है। बच्चों की ग्रोथ से लेकर मां को स्तन कैंसर से प्रोटेक्ट करने के अलावा यह पोस्टपार्टम वेट लॉस को भी बढ़ावा देता है। यदि आप डिलीवरी के बाद वेट मेंटेन करना चाहती हैं, तो ब्रेस्टफीडिंग को स्कीप न करें।
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