आपके लिए तनाव और एंग्जाइटी का कारण बन सकती है हाइपर इन्डिपेंडेंस, जानिए इससे कैसे निपटना है

लाइफ में इन्डिपेंडेंस होने से बेहतर कुछ नहीं होता। लेकिन क्या कहें अगर यह आपके लिए एक समस्या बन जाए? आइए एक्सपर्ट से जानें इस समस्या के बारें में विस्तार से।
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ऑफिस में प्रोडक्टिव होने के साथ-साथ दोस्तों और परिवार के साथ भी क्वालिटी टाइम बिताना।चित्र: अडोबी स्टॉक
ईशा गुप्ता Published: 29 Mar 2023, 19:38 pm IST
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हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि जिंदगी में इन्डिपेंडेंट होना कितना जरूरी है। खर्चे उठाने से लेकर मेंटल और फिजिकल हेल्थ तक, अपनी हर जिम्मेदारी हमें खुद उठानी चाहिए। आपने अपने आसपास ऐसे कई लोगों को देखा होगा, जिन्हें किसी की हेल्प लेनी पसंद नहीं होती। वह हमेशा हर चीज खुद करना पसंद करते हैं, जिससे वह खुद को इनडिपेंडेंट साबित कर सकें। लेकिन विशेषज्ञों की मानें, तो ज्यादा इन्डिपेंडेंट होने की लत मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक समस्या है। जिसे हाइपर इन्डिपेंडेंस ट्रॉमा ( Hyper independence trauma) के नाम से जाना जाता है।

अब आपके मन में प्रश्न जरूर आया होगा कि इस समस्या को कैसे समझा जाए। इस समस्या पर बात करते हुए मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट एंड साइकोलॉजिस्ट डॉ ललिता ने कुछ खास लक्षणों पर बात की है। जिसे हम इस लेख के माध्यम से आपसे साझा करेंगे।

पहले समझिए क्या है हाइपर इन्डिपेंडेंस की समस्या?

हाइपर इन्डिपेंडेंस एक प्रकार का ट्रॉमा है, जिसमें व्यक्ति एक्स्ट्रीम इन्डिपेंडेंस होने की कोशिश करता रहता है। ऐसे व्यक्ति जरूरत के समय भी किसी से सहायता लेना पसंद नहीं करते हैं। इस कारण इन्हें कई बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह लोग हर हार्ड से हार्ड टास्क को खुद करने की कोशिश करते हैं। जिससे वह खुद को इनडिपेंडेंस साबित कर सकें।

हाइपर इन्डिपेंडेंस ट्रॉमा के इन लक्षणों को पहचानना है जरूरी – (Symptoms of Hyper independence trauma)

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हमें कुछ टिप्स को अपनाना होगा, जिससे वर्क प्रेशर के स्ट्रेस को मैनेज किया जा सके। चित्र : शटरस्टॉक

1. काम में डूबे रहना

डॉ ललिता के मुताबिक हाइपर इन्डिपेंडेंस ट्रॉमा से ग्रस्त व्यक्ति में सबसे बढ़ा लक्षण यह होता है कि ये लोग हमेशा अपने काम में व्यस्त रहते है। काम को यह इतना जरूरी बना लेते हैं कि अपनी पर्सनल और सोशल लाइफ पर कभी ध्यान ही नही देते। इन लोगों को वर्कहॉलिक और ओवरअचिवर भी कहा जाता है।

2. लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में फंसा हुआ महसूस करना

एक्सपर्ट का कहना है कि रिलेशन के मामलों में यह लोग ज्यादातर लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में फंसे रहते हैं। चाहे इनका रिश्ता कितना भी टॉक्सिक क्यों न हो, लेकिन यह लोग खुद को बेहतर दिखाने के लिए रिश्तें को लंबा खींचने की कोशिश में रहते हैं।

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अगर आप खुद को सुपीरियर समझते हैं और दूसरों में आपको सिर्फ कमियां ही नज़र आती हैं। तो इसका मतलब आपके एटीटयूट में ही कुछ गड़बड़ है। चित्र शटर स्टॉक

3. मदद मांगने में हिचकिचाहट

हाइपर इन्डिपेंडेंस ट्रॉमा से ग्रस्त लोगों को खुद को बेहतर दिखाने और इन्डिपेंडेंस बनने की आदत होती है। इसलिए ये लोग जरूरत होने पर भी मदद नही लेते हैं। इन्हें मदद लेने में बहुत मुश्किल और हिचकिचाहट का सामना करना पड़ता है।

4. दूसरों पर भरोसा न करना

इस ट्रॉमा से पीड़ित लोगों के साथ अक्सर ट्रस्ट इशूज रहते हैं। यह दूसरों पर आसानी से भरोसा नही करते। इन्हें लगता है कि लोग इन्हें नीचा दिखाने या इनका भरोसा तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं।

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5. खुद पर जिम्मेदारियां लेना

खुद पर ज्यादा से ज्यादा जिम्मेदारियां लेना इनकी आदत होती है। यह लोग खुद के लिए हार्ड टास्क रखते हैं, जिससे यह दूसरों के सामने हार्डवर्किंग और इन्डिपेंडेंस महसूस कर सकें।

6. हाई एंजाइटी से ग्रस्त होना

एनर्जी से ज्यादा जिम्मेदारियां और टास्क उठाने के कारण यह लोग हमेशा तनाव और एंजाइटी से ग्रस्त रहते हैं। ये लोग ज्यादातर समय परेशान, चिड़चिड़ा और गुस्सा महसूस करते रहते हैं।

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7. खुद को बेहतर साबित करना

हाइपर इन्डिपेंडेंस ट्रॉमा से ग्रस्त लोगों की सबसे बड़ी आदत खुद को बेहतर साबित करना होता है। यह लोग साबित करने की कोशिश करते हैं कि इन्हें किसी की आवश्यकता नहीं और यह अकेले ही सब कुछ संभाल सकते हैं।

8. प्राइवेट पर्सन बनकर रहना

यह लोग ज्यादातर प्राइवेट पर्सन होते हैं। यह अपनी बातें किसी से शेयर नही करते। साथ ही अपनी भावना खुलकर व्यक्त भी नही कर पाते हैं।

जानिए इस समस्या से कैसे बाहर आना है? (How to cope with Hyper independence trauma)

एक्सपर्ट की सलाह के मुताबिक हाइपर इन्डिपेंडेंस ट्रॉमा से ग्रस्त व्यक्ति को हेल्दी रिलेशनशिप, ट्रस्ट और अपनी लिमिटेशन समझने पर काम करना चाहिए। क्योंकि यह एक ट्रॉमा है, जिसे केयर और सप्पोर्ट के साथ मैनेज किया जा सकता है। अगर फिर भी समस्या के लक्षण बढ़ते हुए नजर आते हैं, तो ऐसे में एक्सपर्ट से मदद और कुछ खास थिरेपी ली जा सकती है।

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यंग कंटेंट राइटर ईशा ब्यूटी, लाइफस्टाइल और फूड से जुड़े लेख लिखती हैं। ये काम करते हुए तनावमुक्त रहने का उनका अपना अंदाज है। ...और पढ़ें

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