दो से तीन बार छींक आई, तो हम गूगल पर छींक आने के कारणों को सर्च करने लगते हैं। परिवार के किसी सदस्य या किसी दोस्त को गंभीर बीमारी के बारे में जानकारी मिली, तो उसके बारे में गूगल कर लिया। वहां से आधा या पूरा जो भी अधकचरा ज्ञान मिला, खुद पर अप्लाई किया। साथ ही दोस्तों को भी बिना मांगे ज्ञान बांट आते हैं। यह अच्छी बात है कि गूगल के माध्यम से हम खुद को नई जानकारियों से समृद्ध करते हैं। पर अति हमारे लिए फायदे की बजाय नुकसानदेह साबित होती है। साइकोलॉजिस्ट मानते हैं कि हर स्वास्थ्य समस्या (Health Problem) के लिए गूगल सर्च करना हमें तनावग्रस्त (Stress for Excessive Googling) बना रहा है।
सच जानने के लिए हमने बात की सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और अनन्या फाउंडेशन की डायरेक्टर डॉ. ईशा सिंह से।
डॉ. ईशा सिंह कहती हैं, ‘टेक्नोलॉजी में वृद्धि के कारण कोई भी जानकारी प्राप्त करना सचमुच हमारी उंगलियों पर है। गूगल या किसी अन्य साईट पर सर्च करने पर हमें असीमित जानकारी मिलती है। यह निश्चित रूप से हमारे लिए मददगार होता है। हालांकि जब स्वास्थ्य या मानसिक और शारीरिक बीमारी से संबंधित जानकारी की बात आती है, तो यह हानिकारक भी साबित हो सकती है।
जब हमें या हमारे प्रियजनों को हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट (Healthcare Specialist) से डायग्नोसिस (Diagnosis) मिलता है, तो हममें से ज्यादातर डायग्नोसिस को बेहतर ढंग से समझना चाहते हैं। इसके लिए ऑनलाइन जानकारी पर भरोसा करते हैं।
कभी-कभी हम ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी को पढ़कर डायग्नोसिस पर सवाल उठाने की कोशिश करते हैं। किसी भी तरह का डायग्नोसिस हमें बहुत चिंतित करता है। मन की इस स्थिति में जब हम ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी को पढ़ते हैं, तो हम रोगी के रूप में या हमारे प्रियजनों पर लागू होने वाली डायग्नोसिस पर आधारित बातों में अंतर करने के लिए तैयार नहीं होते हैं। प्रत्येक रोगी और प्रत्येक चिकित्सा डायग्नोसिस को एक अलग तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
इसे सामान्य ऑनलाइन जानकारी कभी भी कवर नहीं कर सकती है। ऑनलाइन जानकारी निश्चित रूप से चीजों को बेहतर ढंग से समझने में हमारी मदद करती है, लेकिन यह व्यक्तिगत विशिष्ट लक्षणों को कवर नहीं कर सकती है। इसलिए यह हमें और अधिक चिंतित और भयभीत कर सकता है।
डॉ. ईशा इस बात की ओर ध्यान दिलाती हैं कि हेल्थकेयर प्रोफेशनल ने वर्षों तक किसी ख़ास विषय पर अध्ययन किया है। वह अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ है। कहीं भी उपलब्ध ऑनलाइन सामान्य जानकारी किसी विशेषज्ञ के ज्ञान और अनुभव के अनुरूप नहीं हो सकता है। यह सच है कि ऑनलाइन सर्च प्लेटफ़ॉर्म (Search Platform) हमें अधिक जानकारी प्राप्त करने में बड़ी मदद करते हैं। लेकिन जब स्वास्थ्य सेवा की बात आती है, तो मिली जानकारी के अलावा विशेषज्ञ की बताई बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। क्योंकि उसने प्रत्यक्ष रूप में आपके रोग की जांच की है।
सर्च इंजन (Google Search Engine) के माध्यम से सेल्फ डायग्नोसिस अत्यधिक चिंता और एंग्जाइटी का कारण बन सकता है। विशेष रूप से बिना चिकित्सा प्रशिक्षण वाले लोग। हमेशा स्वास्थ्य समस्या के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहने के कारण वे तनाव ग्रस्त और बाद में अवसाद ग्रस्त भी हो सकते हैं।
इसे एंग्जाइटी और साइबरकोनड्रिया (Cyberchondria) कहा गया है।
यदि आप इस समस्या से निजात चाहती हैं, तो निदान आपके हाथ में है। जब आपका गूगलिंग करने को करे, तो तुरंत ध्यान बंटाने की कोशिश करें। उस स्थान से उठ कर वाकिंग (Walking) करने लगना या दौड़ने (Running) के लिए जाना, किसी से बातचीत करने लगना (Communication) कुछ मज़ेदार काम करने लगने से भी आप खुद को स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में गूगल सर्च (Google Search) करने से रोक सकती हैं।
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