मोबाइल लोगों की जिदंगी का अहम हिस्सा बन चुका है। सोते, जागते, खाना खाते, नहाते और काम के दौरान भी फोन उनकी प्रायोरिटी लिस्ट में बना रहता है। बार बार आने वाली नोटिफिकेशंस को चेक करने के लिए वे कुछ देर बाद फोन को देखते हैं। सुबह उठते ही सबसे पहले फोन देखने की उनकी आदत उनकी आंखों के लिए नुकसानदायक(checking phone first thing in the morning)। बनने लगती है। इसके चलते आंखों से संबधी कई प्रकार की समस्याएं बढ़ने लगती हैं
आईडीसी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 80 फीसदी स्मार्टफोन यूजर्स उठने के 15 मिनट के भीतर अपने मोबाइल फोन को चेक कर लेते हैं। जो आपकी आंखों पर निगेटिव प्रभाव डालता है। जानते हैं रिसर्च के माध्यम में कि किस प्रकार मोबाइल (mobile) से निकलने वाली ब्लू लाइट (blue light) आंखों को नुकसान पहुंचाती है।
स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी जहां आमतौर पर लोगों की चिंता का विषय बनी रहती हैं। वहीं अमेरिकन एकेडमी ऑफ ओप्थाल्मोलॉजी के अनुसार नीली रोशनी आंखों के तनाव का कारण नहीं बनती है और न ही ये रेटिना को नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा उम्र के साथ होने वाली मैकुलर डीजनरेशन समस्या भी इससे नहीं बढ़ती है। रिसर्च के मुताबिक अगर आप देर तक स्क्रीन को देखते हैं, तो आंखों से संबधी समस्याओं जोखिम बए़ने लगता है। इसके अलावा आंखों को हेल्दी रखने के लिए कुछ भी देखते वक्त एक मिनट में कम से कम 15 बार आंखों को अवश्य बलि्ंक करें।
आंखों में सूजन और दर्द
थकान का अनुभव करना
रूखेपन के चलते इचिंग की समस्या का बढ़ना
नींद महसूस होना
2007 में जर्नल ऑफ न्यूरल ट्रांसमिशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुबह उठते ही कि मोबाइल की नीली रोशनी के संपर्क में आने से बॉडी में मेलाटोनिन का लेवल बढ़ने लगता है। मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है जो आपकी स्लीप साइकिल को नियंत्रित करता है। बॉडी में इस होर्मोन का लेवल बढ़ने से नींद का एहसास होने लगता है यानि शरीर में सुस्ती महसूस होने लगती है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ ओप्थाल्मोलॉजी की रिसर्च के मुताबिक अगर आप रोत को सोने से पहले किसी भी गैजेट का प्रयोग करती है, तो उससे आपकी बायोलॉजिकल क्लॉक यानि जैविक घड़ी भ्रमित होती है। दरअसल, ब्लू लाइट रेटिना में फोटोरिसेप्टिव सेल्स से एब्जार्ब होती है। इससे नींद पूरी तरह से नहीं आ पाती है।
अगर आप सुबह उठते ही फोन को चेक करने लगते है, तो ये आपके लिए तनाव और एंग्जाइटी का कारण बनने लगता है। दरअसल, एक साथ कई मैसेज, ई मेल्स और तरह तरह की नोटिफिकेशंस आपकी चिंता का कारण बन सकते हैं। दिन की शुरूआत अगर आप मेंटल प्रैशर से करेंगे, तो दिनभर आप तनाव में रहेंगे। एक तरफ जहां मोबाईल से निकलने वाली ब्लू लाइट आपके रेटिना को नुकसान पहुंचाती है, तो वहीं एग्जाइटी भी आपकी परेशानी को बढ़ा सकती है।
दिन की शुरूआत मोबाइल फोन की स्क्रिन को देखकर करने से आंखों में ड्राइर्नेस की शिकायत बढ़ने लगती है। इसके अलावा आंखों की रोशनी भी प्रभावित होने लगती है। इससे आंखों में मैकुलर डीजेनरेशन का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे में उम्र बढ़ने के साथ आंखों की नियमित जांच करवाना बेहद ज़रूरी है।
दिन की शुरूआत मॉर्निंग वॉक या योग मुद्राओं से करें।
बाहर निकलने से पहले सन ग्लासिस पहनना न भूलें।
नियमित इंटरवेल्स लेने से आंखों पर होने वाले प्रभाव से बचा जा सकता है।
सुबह उठकर कुछ देर कोई किताब या अखबार को पढ़ें
10 से 15 मिनट के लिए नेचुरल लाइट में अवश्य बैठें
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