बच्चों को समझना और उनकी अच्छी पेरेंटिंग करना उनके पूरे जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। बचपन से लेकर अपनी समझ विकसित होने तक बच्चे इस दुनिया को अपने माता-पिता की नज़रों से देखते हैं। साथ ही बच्चों के लिए उनके माता-पिता ही परफेक्ट होते हैं। वे ही उनका पूरा संसार होते है। इसीलिए अक्सर बच्चे वही करते हैं, जो वे अपने माता-पिता से सीखते हैं।
वहीं, मानसिक और शारीरिक विकास के क्रम में बच्चों में कई तरह की आदतें भी विकसित होती हैं। उनमें कुछ अच्छी आदतें होती हैं, तो वहीं उनमें कुछ बुरी आदतें भी आ जाती हैं, जिनको अच्छी पैरेंटिंग करके सुधारा जा सकता है।
इन्हीं बुरी आदतों में एक आदत ‘गुस्से’ की भी है। आजकल देखा जाता है कि बच्चे छोटी-छोटी बातों पर झुंझला जाते हैं और चिल्लाने लगते हैं। अगर आपके बच्चे भी कुछ ऐसा ही करते हैं, तो अच्छी पैरेंटिंग करके आप उनकी इस आदत को दूर कर सकती हैं।
इसी मुद्दे पर बच्चों के साथ कैसे डील करना चाहिए और बच्चों की समस्या को समझ के उन्हें इस परिस्थिति से कैसे बाहर निकालना चाहिए इस बारे में पेरेंटिंग एंड रिलेनशिप एक्सपर्ट डॉ.अंबिका अग्रवाल ने कुछ टिप्स बताएं हैं।
बच्चों के गुस्से को कम करने से पहले हमें यह जानना बेहद आवश्यक हैं कि आखिर बच्चों में गुस्सा बढ़ने के कारण क्या है। ऐसा जरूरी नहीं कि हर समय बच्चा बिना किसी बात के ही गुस्सा करें बल्कि एक अच्छे पैरेंट्स के नाते आपको यह जानना बहुत जरुरी है कि आखिर बच्चा गुस्सा क्यों दिखा रहा है।
आजकल के समय में बच्चों पर पढ़ाई से लेकर तमाम अन्य चीज़ों की जिम्मेदारी होती है, जो उन्हें काफी हद तक ‘इमोशनली ड्रेन’ कर देता है। बच्चों के लिए शिक्षा, सामाजिक दबाव, और परिवारिक परिस्थितियों का सामना करना कई बार स्ट्रेसफुल हो जाता है, जिससे गुस्सा बढ़ सकता है।
आजकल बच्चे फोन, सोशल मीडिया और मोबाईल गेम्स में इतने व्यस्त रहते हैं कि उनके अंदर सामाजिकता का भाव पैदा ही नहीं हो पाता जिसके कारण बच्चों में छोटी-छोटी बात पर झुंझलाहट बढ़ती है और वे गुस्सा करते है। साथ ही आजकल मोबाईल में खेले जाने वाले एक्शन गेम्स भी बच्चों की मेंटालिटी को प्रभावित करते हैं।
आजकल के व्यस्त जीवन में अक्सर माता-पिता के पास बच्चे के साथ रहने और उन्हें समझने का समय नहीं होता। इस कारण से बच्चे अपने माता-पिता से ही धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं और अंत में वे अपनी बातें और अपनी समस्याओं उन्हें बताने में संकुचित होने लगते है। जिसके परिणामस्वारूप बच्चों में एग्रेशन उतपन्न होता है और वे गुस्सैल बन जाते है।
अक्सर बच्चों अकेलेपन या तमाम अन्य कारणों की वजह से मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि डिप्रेशन की समस्याएं हो सकती है। ऐसी समस्याएं होने से बच्चे अंदर से टूट जाते हैं और फिर गुस्सा दिखा के या चिल्लाकर ही उन्हें शांति मिलती है। इसलिए बच्चों की मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना भी जरूरी है।
बच्चों की गुस्से को कम करने के लिए पैरेंट्स को कूल माइंड से चीज़ों का समाधान निकालने की जरूरत है। पैरेंट्स यदि आराम से इस चीज़ का समाधान निकालते हैं, तो बच्चों में भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ता और वे इस बात को अच्छे से समझ जाते हैं।
बच्चे का गुस्सा अक्सर उनकी भावनाओं का परिणाम होता है। इसी मुद्दे पर पैरेंटिंग और रिलेशनशिप एक्सपर्ट अंबिका अग्रवाल बतातीं है कि, बच्चे को सुनने का समय दें, उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करें, और उनके साथ सहयोगी रूप से व्यवहार करें।
ऐसा करना उन्हें महसूस कराता है कि उनके भावनाओं और विचारों पर मूल्य दिया जा रहा है, जिससे उनका सौम्य स्वभाव विकसित होता है और वे खुद ही अपने गुस्से को कंट्रोल करने के लिए खुद पर काम करने लगते है।
अक्सर जब भी पैरेंट्स बच्चों को चिल्लाते या जिद करते हुए देखते है, तो पैरेंट्स अपना आपा खो देते हैं और उन्हें चुप कराने के लिए या तो उनपर चिल्लाने लगते हैं या कभी-कभी तो मार भी देते हैं। ऐसा करना बिलकुल गलत है।
यूनिवर्सिटी ऑफ डब्लिन एंड केंब्रिज की एक रिपोर्ट के अनुसार, पैरेंट्स के स्ट्रिक्ट रवैये के कारण बच्चों में भावनात्मक और मानसिक रूप से क्षति होती है। इसलिए बच्चों के किसी भी बिहेवियर को बदलने से पहले पैरेंट्स को खुद के व्यवहार में भी सौम्यता लाने की आवश्यकता है।
चूंकि बच्चे जैसा देखते हैं ,वैसा ही सीखते है इसलिए यदि आप बच्चे के सामने शालीनता और प्यार प्रदर्शित करेंगे, तो वे भी अपने गुस्से की आदत को खत्म कर शालीन हो जाएंगे।
बच्चों को कुछ भी समझाने या उन्हें लाइफ लेसन देने के लिए संवाद की अहम भूमिका होती है। बच्चों के साथ उनकी भावनाओं को समझकर संवाद करना उनकी सोचने के तरीके को सुधार सकता है और उन्हें सहमति और समर्थन देने में मदद करता है।
पेरेंटिंग एक्सपर्ट अंबिका अग्रवाल बतातीं हैं कि ऐसी स्थिति में बच्चे को शर्मसार न करें बल्कि उनकी परिस्थिति समझ कर उन्हें उनकी गलती का अहसास कराएं। साथ ही बच्चों के गुस्सा आने का कारण पहचानने की कोशिश करें। ध्यान दें की कहीं स्कूल या घर में ऐसी समस्या तो नहीं है, जो आपके बच्चे को परेशान कर रहीं हैं और साथ ही उनसे इस बारें में बात भी करें।
बच्चों में किसी भी खराब आदत को खत्म करने के लिए घर का माहौल बहुत सहायता करता ही। इसलिए सबसे पहले अपने घर में आदरपूर्ण माहौल बनाएं और साथ ही अपने बच्चों के साथ सहमति रखें और आदरभावपूर्ण व्यवहार करें।
उन्हें महसूस कराएं कि आप उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं और उनके विचारों का महत्व समझते हैं। साथ ही बच्चों को परिवार के हर सदस्य से संपर्क करने का मौका दें। सोशल संपर्क उनके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और उनके गुस्से को कम करने में मदद कर सकता है।
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