Happy Teacher’s Day : पेरेंट्स होते हैं बच्चों के ऑल टाइम टीचर, भूल कर भी न करें ये 4 पेरेंटिंग मिस्टेक्स

Published on:5 September 2023, 17:34pm IST

बच्चों के साथ संवाद करना और उन्हें सही मार्ग पर ले जाना पेरेंट्स की ही जिम्मेदारी होती है। वास्तव में पेरेंट्स ही बच्चे के पहले टीचर होते हैं। वे उन्हीं से सबसे पहले सीखते हैं और उन्हीं को कॉपी करते हैं।

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बच्चे बहुत ही अंडरस्टैंडिंग और कोमल हृदय के होते है। बच्चों के लिए उनके पेरेंट्स ही उनका पहला स्कूल होते हैं, क्योंकि उन्हीं से बच्चे कई तरह की चीज़ें सीखते हैं। माता-पिता जो बातेंकरते है, बच्चे उन्हें ऑब्जर्व करके दोहराने की कोशिश करते हैं। लेकिन अक्सर ऐसा भी देखा जाता है कि जब माता-पिता का मूड ठीक नहीं होता, तो वे उन्हें डांट देते हैं। गुस्से में कई बार वे कुछ ऐसी बातें भी बोल देते हैं, जो बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव भी डाल सकती है। इसलिए आप कितने भी तनाव में क्यों न हो, बच्चों के सामने कुछ भी बोलने या व्यवहार करने से पहले सोचें जरूर। चित्र- अडोबीस्टॉक

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यूनिवर्सिटी और डब्लिन एंड कैम्ब्रिज की एक रिपोर्ट के अनुसार, पैरेंट्स के इस स्ट्रिक्ट बिहेवियर को देख कर विकसित होते बच्चे के मन में तमाम तरह की चीज़े आती है, जिसके कारण बच्चे को मानसिक रूप से कई समस्याएं भी हो सकती है। अगर आप भी अपने बच्चों को हमेशा डांटते और टोकते रहते है, तो आपका बच्चा भी मानसिक रूप से कमज़ोर हो सकता है।

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बच्चे संकोची हो जाते हैं - अक्सर जब भी बच्चे को उसकी हर बात पर टोका या चिल्लाया जाता है, तो बच्चा खुद में ही काफी संकुचित हो जाता है। स्ट्रिक्ट पेरेंटिंग के कारण बच्चे के मन में आत्म-संकोच की भावना पैदा हो जाती है, जो ज़िंदगी भर भी उनके साथ चल सकती है। ऐसे में वे अपनी भावनाओं और विचारों को खो देते है और अपनी आवश्यकताओं को नहीं बताते, जिसके कारण उन्हें भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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बच्चों पर न निकालें ऑफिस की भड़ास- अक्सर हम कहीं और का गुस्सा कहीं और उतार देते हैं। कई बार हम अपने ऑफिस से फ्रेस्ट्रेटेड होकर घर आते हैं और किसी मामूली सी बात पर अपने बच्चों को डांट देते हैं। ऐसा करके हम उसके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालते हैं। जबकि बच्चों को सिखाने और समझाने के लिए आपका अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करना पहली जरूरत है। चित्र- अडोबीस्टॉक

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नकारात्मक तरीके से तुलना करना - अपने बच्चों को अन्य बच्चों से नकारात्मक तरीके से तुलना करना खराब पेरेंटिंग का एक और उदाहरण है। यह उन्हें असुरक्षित करता है और इसके कारण बच्चे अपने आप को अच्छे रूप से स्वीकार नहीं कर पाते है। इसके साथ ही ऐसा करने से बच्चों के कोमल हृदय में आपके और दूसरे लोगों के प्रति गुस्सा और द्वेष पैदा होता है। इसलिए ऐसा हरगिज न करें। चित्र- अडोबीस्टॉक