आज के समय में बच्चों को पैरेंट्स का फोन नहीं बल्कि उनका समय चाहिए। इसलिए हर बार बच्चे को बहलाने के लिए उसे फोन देकर, उसे मानसिक बीमार न बनाएं। साथ ही बच्चों पर फोन प्रयोग करने के कई दुष्परिणाम हो सकते हैं
आजकल के परिवेश में मोबाइल फोन एक बेहद ही जरूरी चीज़ बन गई है। लेकिनी तमाम खूबियों के साथ मोबाइल फोन अपने अंदर कई सारी खामियां भी छुपाया हुआ है। अगर आप भी पैरेंट्स है और अपने बच्चेको बहलाने के लिए अपना मोबाइल थमा देते हैं तो, आप अपने बच्चे को मानसिक रूप से काफी कमज़ोर कर रहे हैं। मोबाइल फोन के ज्यादा प्रयोग से आपके बच्चे कई रोगों से ग्रसित भी हो सकते है। चित्र-अडोबीस्टॉक
प्रभावित होती है आंखें- बच्चों की आंखे बेहद ही संवेदनशील और कोमल होती है इसलिए पैरेंट्स को इसके प्रति काफी सतर्क रहना चाहिए। लेकिन वहीं मोबाइल फोन , टैबलेट्स, और कंप्यूटरों की स्क्रीनों से आने वाली ब्लू लाइट यानी हाई-एनर्जी लाइट (HEV) बच्चों की आंखों को प्रभावित कर सकती है। यह आंखों की लेंस के पीछे के कैविटी में जाकर ब्लू लाइट की तरह कार्य करती है, जिससे डिजिटल आई सिंड्रोम और आंखों की कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। चित्र- पिक्साबे
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य होता है प्रभावित- 6 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चों पर लगातार फोन चलाने के प्रभावों के बारे में 'अंडरस्टैंडिंग योर चाइल्ड ब्रेन' नामक किताब में छपी एक रिपोर्ट बताती है कि ऐसे बच्चे शारीरिक तौर पर काफी कमज़ोर हो जाते हैं और ज्यादा फोन प्रयोग करने के कारण इन बच्चों की याददास्त भी कमजोर हो जाती है। इसके साथ ही जैसे-जैसे ये बच्चे हैं वैसे इनका स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगता है और शारीरिक रूप से ये मोटापे की चपेट में भी आने लगते हैं / चित्र : शटरस्टॉक
डब्ल्यूएचओ ने भी जारी की गाइडलाइन- बच्चों के ज्यादा फोन देखने की समस्या को मद्देनजर रखते हुए WHO ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें उन्होंने बताया कि यदि बच्चा 2 से 4 वर्ष का है तोपूरे दिन में उसका सिर्फ 1 घंटा स्क्रीन टाइम होना चाहिए, वहीं अगर बच्चा 4 वर्ष या उससे ज्यादा है तो अधिकतम 2 घंटे ही उसका स्क्रीन टाइम होना चाहिए। वहीं, अगर बच्चें इससे ज्यादा समाय तक फोन चलाते है तो उन्हें शारीरिक और मानसिक समस्या भी हो सकती है।चित्र: शटरस्टॉक