Uncomfortable Emotions : यहां हैं एक्सपर्ट के बताये उपाय जो नेगेटिव इमोशन से डील करने में मदद करते हैं

हमारे मन में कई तरह की नकारात्मक भावनाएं भी होती हैं। यदि इससे सही तरीके से नहीं निपटा जाए, तो व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ने लगता है। यहां हैं कई तरीके जो असुविधाजनक भावनाओं से निपटने में मदद करते हैं।
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ऐसे लोग अन्य लोगों को हर पल खुश रखने का प्रयास करने लगते हैं। वे खुद से ज्यादा अन्य लोगों को प्रमुखता देने लगते हैं। चित्र: अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 22 Nov 2023, 03:42 pm IST
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मेडिकली रिव्यूड

हमारे मन में अलग-अलग तरह की कई सारी भावनाएं आती-जाती रहती हैं। इनमें से कुछ भावनाएं नकारात्मक भी होती हैं। ये इमोशन या भावनाएं भले ही कुछ समय के लिए हों, लेकिन वे असुविधाजनक या अनकम्फर्टेबल होती हैं। ये भावनाएं झुंझलाहट, एंग्जाइटी या गुस्से के रूप में भी सामने आ सकता है। जब ये भावनाएं सामने आती हैं, तो हम तुरंत या तो उन्हें नकारना चाहेंगे या उन्हें स्वीकार ही नहीं करना चाहेंगे। यह एक मनोवैज्ञानिक बचाव है, जिसका उपयोग हम अपनी सुरक्षा के लिए और किसी भी प्रत्याशित दर्द को रोकने के लिए करते हैं। हम अपनी भावनाओं को सही तरीके से नहीं निकालकर खुद को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। इससे निपटने का प्रोडक्टिव तरीका अपनाना जरूरी है।

क्यों जरूरी है नकारात्मक भावनाओं से निपटना (deal with uncomfortable emotions)

हमें अपनी भावनाओं का सामना करने में परेशानी होती है । हम परंपरागत रूप से अपनी भावनाओं का विरोध करते हैं। उनसे डरते हैं। हमारा नकारात्मक दृष्टिकोण हमें असुरक्षित महसूस कराता है। इसलिए अपनी भावनाओं को महसूस करना और नकारात्मक भावनाओं से निपटना सबसे जरूरी है।

मेंटल हेल्थ के लिए जरूरी (deal with uncomfortable emotions for mental health)

यदि हम हर समय नकारात्मक भावनाओं को रोकने की कोशिश करते हैं, तो हम अपनी ही सोच के प्रति आलोचनात्मक हो जाते हैं। फिर हम अपनी भावनाओं को दबाने लगते हैं। हम सेल्फ टॉक अधिक करने लगते हैं। यह सेल्फ टॉक हमारी भावनाओं को नियंत्रित करने लगती है। इसके कारण हम अपने भीतर खुद को आहत करने लग जाते हैं। हम खुद के खिलाफ हो जाते हैं, जो तनाव और अवसाद जैसे गंभीर मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम को जन्म दे सकता है।

यहां हैं असुविधाजनक या निगेटिव भावनाओं से निपटने के 5 तरीके Here are 5 ways to deal with uncomfortable or negative emotions)

1 भावनाओं का स्वागत करें (welcome emotions)

हम अपनी भावनाओं को दबाने की बजाय स्वीकार करें। उन्हें स्वाभाविक मानें। स्वाभाविक मानने पर नकारात्मक भावनाएं अपने-आप खत्म होने लगती हैं। कुछ ऐसे काम भी करें, जो अधिक स्वीकार्य होने और असुविधाजनक भावनाओं से निपटने के लिए कर सकती हैं। यह सच है कि नकारात्मक भावनाओं जैसे कि दुख, क्रोध, एंग्जाइटी या भय को पूरी तरह से खत्म करना आसान नहीं है। इन भावनाओं को अपनी पसंद के हल्के-फुल्के काम कर सकारात्मक मोड़ दिया जा सकता है।

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हम अपनी भावनाओं को दबाने की बजाय स्वीकार करें। चित्र : अडोबी स्टॉक

2 भावनाओं का मूल्यांकन (evaluation of emotions)

समय निकालकर कुछ देर के लिए बैठें। अपनी भावनाओं पर सोच-विचार करें। आपकी भावनाओं को पहचानने की कोशिश करें। सही-गलत का निर्णय विवेक से लें। इससे हमें यह बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकती है कि हम क्या महसूस कर रहे हैं। हमारी सोच सही है या गलत। इसका सही फैसला लेते ही असुविधाजनक भावनाएं अपने-आप खत्म हो जायेंगी।

3 माइंडफुलनेस का अभ्यास (practice Mindfulness to deal uncomfortable emotions)

माइंडफुलनेस भावनाओं को सकारात्मक मोड़ देने और उनका मूल्यांकन करने का एक और अधिक बढ़िया तरीका है। आप माइंडफुलनेस का अभ्यास कर सकती हैं या अन्य गतिविधियां कर सकती हैं, जो भावनाओं को सुलझाने में मदद करती हैं। जैसे जर्नलिंग या प्रकृति की बीच समय बिताना। ऐसी गतिविधि खोजें जो आपकी किसी भी अप्रिय भावना को शांत कर दे।

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4 दूसरों से बात करें (Talk to others to deal uncomfortable emotions)

जब हम अपनी भावनाओं के बारे में उन लोगों के साथ खुली बातचीत करते हैं, जिन पर हमें भरोसा है। इससे हमें उन्हें सुलझाने और उन्हें एक अलग दृष्टिकोण से देखने में मदद मिलती है। बातचीत और दूसरों की अच्छी सलाह से बड़ी से बड़ी समस्या सुलझ सकती है। उन लोगों से दूर रहें, जो नकारात्मक बातें करते हैं।

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बातचीत और दूसरों की अच्छी सलाह से बड़ी से बड़ी समस्या सुलझ सकती है। चित्र: शटरस्टॉक

5 थेरेपी की मदद (Therapy for uncomfortable emotions)

अगर आप अपनी भावनाओं को लेकर अटकी हुई हैं, तो थेरेपी मदद कर सकती है। थेरेपी लोगों को उनकी भावनाओं को समझने और उनसे निपटने में मदद करती है। यह असहज भावनाओं से निपटने का एक शानदार तरीका है।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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