40 से लेकर 60 तक की उम्र मिडल एज कहलाती है। ये वो समय है जब हम अतीत में झांक कर देखते है कि आप तक हमने जीवन में क्या पाया और क्या कुछ खोया है। यहां पहुंचते हुए व्यक्ति कई जिम्मेदारियों को निभाने लगता है। फिर चाहे, वो सोसायटी हो, नौकरी पेशा हो यां घर परिवार। इस एज में आकर दिमाग बहुत सी चीजों को लेकर परेशान रहने लगता है। इसके अलावा शरीर में भी कई बदलाव दिखने लगते हैं। बाल सफेद होने लगते हैं, स्किन ढ़ीली पड़ने लगती है और मेनोपॉज के चलते आने वाले बदलाव महिलाओं को इमोशनली कमज़ोर बना देते है। बढ़ रही उम्र मिडल एज क्राइसिस (middle age crisis)का कारण बनने लगती है। जानते है इसके लक्षण और इससे मुक्ति पाने के उपाय भी।
ये वो स्टेज है, जब महिलाएं खासतौर से अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहने लगती है। जॉब लॉस और ओवर एजिंग को लेकर परेशान होने लगती है। इस उम्र तक बच्चे बड़े हो जाते हैं। जो वक्त उनके साथ बीतता था, अब उसमें खालीपन आने लगता है। ऐसे में महिलाएं खुद को लेकर टेंशन में रहती है। इसके अलावा उन्हें मौत का भी डर परेशान करने लगता है।
इसमें आप असमंजस की स्थिति में रहते हैं। आप खुद ये डिसाइड नहीं कर पाते हैं कि आपको क्या करना है। एक तरफ आपको कुछ खोने का डर रहता है, तो दूसरी ओर आप कुछ पाना चाहते हैं। आप अपने आप के बारे में सोचने लगते हैं। अपने पैशन, आइडेंटिटी और जीवन में पार्टनर की तलाश करने लगती है।
ये वो स्टेज है, जब हम संतुष्ट होने लगते हैं। हमारे पास जो है हम उसी को एक्सेप्ट कर चुके होते है। जीवन में कुछ अन्य पाने की इच्छा नहीं रहती है। न ही किसी से आगे निकलने की कोई ख्वाहिश रहती है। इस सटेज में व्यक्ति सेटिसफाइड फील करता है।
याददाश्त का कम होना
एक ही बात को बार बार सोचना
धन के मामले में असहज महसूस करना
वज़न का बढ़ जाना
हेल्थ को लेकर परेशान रहना
सेक्सुअल डिज़ायर का कम हो जाना
अपना ख्याल न रख पाना
इस बारे में बातचीत करते हुए राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि ये वो उम्र होती है जब हमारे उपर कई जिम्मेदारियां रहती है। इसके चलते व्यक्ति जीवन में कई बार तनाव का सामना करता है। जब हमे अपनी जिम्मेदारियों को या उन परिवर्तनों का सामना करने में दिक्कत होती है। उस स्टेज को मिडल एज क्राइसिस कहा ज़ता है। इस उम्र में शारीरिक और मानसिक तौर पर कई परिवर्तनों का भी सामना करते हैं। जानते हैं एक्सपर्ट से उनसे निपटने के उपाय।
दिनभर बीती बातों को लेकर गुमसुम रहने से बेहतर है कि आप बाहरी दुनिया से अवश्य कनेक्ट हों। लोगों से मिले और सोशल गैदरिंग में हिस्सा लें और खुद को व्यस्त रखने का प्रयास रखें। लोगों से बातचीत करें और मिलना जुलना शुरू करें। अपनी फीलिंग्स को जहन में दबाने की जगह अन्य लोगों से शेयर करें।
मिडल एज में पहुंचकर व्यक्ति परेशान, दुखी, उदास और तनावग्रस्त होने लगता है। अगर आप 10 से 15 दिनों तक इस स्थिति से गुज़र रहे है, तो मनोरोगी से ज़रूर कंसल्ट करें। मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए वे काम करें जिनमें आपको खुशी मिलती है।इसके अलावा कुछ वक्त टहलने और व्यायाम व योग के लिए निकालें। इससे बढ़ रहा तनाव दूर होने लगेगा। साथ ही आपके अंदर नई उर्जा का विकास होगा।
हमें इस बात को समझना होगा कि हमारी जिंदगी कम नहीं बल्कि बढ़ रही है। सोचने के नज़रिए को बदलकर हम जीवन में अपने सभी गोल्स को आसानी से अचीव कर सकते हैं। गोल्स की प्राप्ति के लिए हमें पूरी निष्ठा से उसे पूर्ण करने की ओर बढ़ना चाहिए। आलस्य और चिंता को त्यागकर हर मुश्किल रास्ते को पूरी लगन और मेहनत से पार करने की हिम्मत रखनी चाहिए।
सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति के लिए डाइट प्लान को फॉलो करें। उम्र के हिसाब से फूड लें। अपनी डाईट में विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन, कैल्शियम और जिंक को विशेषरूप से शामिल करें। इसके अलावा समय समय डॉक्टरी जांच और टैस्ट करवाते हैं।
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