पुरुषों की तुलना में महिला कर्मचारियों को ज्यादा करना पड़ता है मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना, जानिए क्यों

टॉक्सिक बॉस हो, ऑफिस गॉसिपिंग या वर्कप्लेस पॉलीटिक्स, ये सभी महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को पुरुषों की तुलना में ज्यादा प्रभावित करते हैं। कभी-कभी इतना ज्यादा कि वे जॉब छोड़ने तक का मन बना लेती हैं।
stress ke karan eye sight prabhawit ho sakti hai
लंबे समय तक एंग्जाइटी से पीड़ित लोग पूरे दिन आंखों के तनाव से पीड़ित हो सकते हैं। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Updated: 20 Oct 2023, 09:03 am IST
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ऑफिस का वर्क लोड हर किसी को परेशान करता है, चाहे वो महिलाएं हो या पुरुष। पर ऐसा देखा जाता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मानसिक स्वास्थ ज्यादा प्रभावित होता है। मानसिक स्वास्थ्य इन दिनों काफी चर्चा का विषय है और कोविड के बाद से तो इस विषय पर ज्यादा खुलकर बात होने लगी है। एक रिपोर्ट है हेडस्पेस हेल्थ की जिसके आंकड़ों के अनुसार, 83% सीईओ और 70% कर्मचारियों ने थकान, तनाव या मानसिक स्वास्थ्य कठिनाइयों के कारण काम से छुट्टी ले ली है।

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि कार्यस्थल पर पुरुषों की तुलना में महिलाएं को अधिक बर्नआउट होती हैं और अधिक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक, अवसाद और चिंता के कारण हर साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में उत्पादकता में 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होता है।

क्यो होता पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा तनाव ये बाताया हमें सीनियर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव नें “कार्यस्थल पर महिला मानसिक स्वास्थ्य से निपटने के लिए एक सक्रिय और सहायक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।”

ऑफिस स्ट्रेस से बचने के लिए महिला कर्मचारियों के लिए कुछ उपयोगी टिप्स

1 मदद करने कार्य संस्कृति को बढ़ावा दें

डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव के अनुसार ऑफिस में एक ऐसी संस्कृति बनाएं जो महिलाओं की कठिन चुनौतियों और अनुभवों को महत्व और सम्मान दे। खुले संचार को प्रोत्साहित करें और कर्मचारियों को उनकी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर चर्चा करने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करें।

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महिलाओं में गंभीर समस्या है वर्क लाइफ स्ट्रेस। चित्र: शटरस्टॉक

2 जागरूकता को बढ़ाएं

कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य और महिलाओं के सामने आने वाली आम चुनौतियों के बारे में शिक्षित करने के लिए कार्यशालाएँ या प्रशिक्षण सत्र आयोजित करें। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जुड़े मिथ को कम करने के लिए जागरूकता अभियान बनाएं। सहकर्मियों के बीच समझ और सहानुभूति को बढ़ावा देने के लिए मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुली चर्चा को बढ़ावा दें।

3 मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायता प्रदान करें

कर्मचारी सहायता कार्यक्रम (ईएपी) स्थापित करें, जो परामर्श सेवाओं, मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों और समर्थन हॉटलाइन तक पहुंच प्रदान करते हैं। सुनिश्चित करें कि मानसिक स्वास्थ्य संसाधन आसानी से सुलभ, गोपनीय हों।

4 काम में लचीलापन लाने की व्यवस्था करें

डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव के अनुसार फ्लैक्सिबल कार्य नीतियां लागू करें जो कार्य-जीवन संतुलन की अनुमति देती हैं और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को समायोजित करती हैं। फ्लैक्सीबल वर्क ऑवर, रिमोट वर्क और पार्टटाइम के लिए विकल्प प्रदान करें। कर्मचारियों को ब्रेक लेने, छुट्टियों के समय का सदुपयोग करने और आत्म-देखभाल को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करें।

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ऑफिस में एक ऐसी संस्कृति बनाएं जो महिलाओं की कठिन चुनौतियों और अनुभवों को महत्व और सम्मान दे। चित्र : शटरस्टॉक

5 कार्य-जीवन संतुलन को प्रोत्साहित करें

कार्यभार और समय सीमा के लिए पूरा किए जानी वाली अपेक्षाएँ निर्धारित करें। कार्य-जीवन संतुलन के महत्व को बढ़ावा दें और अत्यधिक ओवरटाइम या बर्नआउट से बचें। स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन का प्रदर्शन करके उदाहरण प्रस्तुत करें।

6 मैनेजर और सुपरवाइजर को ट्रेनिंग दें

मैनेजर और सूपरवाइजर को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षणों को पहचानने और कर्मचारियों का समर्थन करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करें। मैनेजर को अपनी टीम के सदस्यों के साथ मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करें। कर्मचारियों को उचित सहायता प्राप्त करने में मदद करने के लिए मैनेजर को संसाधन और उपकरण प्रदान करें।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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