रानी यादव सीके बिड़ला हॉस्पिटल गुरुग्राम में नर्स हैं। दिन और रात, उन्हें कभी भी ड्यूटी करनी पड़ती है और हमेशा ऐसे लोगों को सपोर्ट करने के लिए तत्पर रहना होता है, जो किसी न किसी बीमारी या चाेट से परेशान होते हैं। एक नर्स के तौर पर ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी निजी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं को पीछे धकेल कर आगे बढ़ना होता है। वास्तव में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े ज्यादातर लोगों की कहानी यही है। समसारा वेलनेस के संस्थापक और योग शिक्षक, प्रदीप मेहता कहते हैं कि ये वे लोग हैं जो औरों से दोगुने तनाव (stress in health professionals) का सामना करते हैं। इसलिए इन्हें अपने आप पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। योग इस प्रक्रिया को आसान बना सकता है।
सीके बिरला अस्पताल गुरुग्राम में नर्स सुपरवाइजर 32 वर्षीय रानी यादव बताती हैं,” मैं पिछले महीने जब नाइट शिफ्ट में थीं, तब वहां एक 35 वर्षीय पुरुष मरीज पहुंचा। मरीज के मुंह और नाक से खून बह रहा था। यह टॉन्सिल्लेक्टोमी की परेशानी थी, जिसमें जरा सी भी देरी या लापरवाही मरीज की जान पर भारी पड़ सकती है।
पहली प्राथमिकता खून को फेफड़ों तक पहुंचने से रोकना होती है, क्योंकि इससे मरीज का श्वसन एरिया ब्लॉक होने का खतरा रहता है और वो ठीक से सांस नहीं ले पाता है, जिससे आगे और समस्या पैदा होने का रिस्क रहता है।
हमने मरीज के खून को सोखना शुरू किया ताकि आगे और ब्लड लॉस न हो। इसके बाद मैंने ऑन ड्यूटी डॉक्टर को कॉल किया जो इमरजेंसी विभाग में थे। मरीज की गंभीर हालत देखते हुए हमने कोड ब्लू कॉल किया यानी वो कंडीशन जिसमें मरीज को तुरंत इंटरवेंशन की जरूरत पड़ती है।
हमारा आईसीयू और ऑपरेशन थिएटर का स्टाफ 2 मिनट के अंदर मरीज को देखने पहुंच गया। लेकिन दूसरी तरफ ज्यादा ब्लड लॉस होने के चलते मरीज को हार्ट अटैक आ गया। फिर हमारी प्राथमिकता बदल गई। टीम ने तुरंत सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) शुरू किया और सीपीआर (CPR) के 5 साइकिल किए गए और इस तरह मरीज की स्थिति को कंट्रोल किया गया।
हमें खुशी है कि मरीज की जान बच गई। पर आप अंदाजा लगाइए कि यह पूरी प्रक्रिया कितनी थकाने वाली होगी। शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से।
प्रदीप मेहता कहते हैं, “काम की भागदौड़ और जीवन में संतुलन की कमी जैसी मानसिक तनाव की स्थितियां सभी लोगों को होती हैं। मगर स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग यानी डॉक्टर, नर्स, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट और रिलेशनशिप काउंसलर आदि की मेंटल हेल्थ पर ज्यादा दबाव होता है। लगातार चलने वाला यह संघर्ष उनके दैनिक जीवन को भी प्रभावित कर सकता है।”
स्वास्थ्य सेवा में काम करना लोगों को नियमित रूप से एक उच्च-तनावमय वातावरण में डाल देता है। रोजाना लोगों का सामना रोगी के रोग की गंभीरता से, चिकित्सा गलतियों से और अप्रत्याशित परिस्थितियों से होता है, जिससे उन्हें तनाव का सामना करना पड़ता है। कई बार तो यह तनाव पेशेवरों को खुद मानसिक विकृत बना देता है।
रानी कहती हैं, “यह कोई पहला या आखिरी मामला नहीं है। हमें अकसर ऐसी स्थितियों से जूझना पड़ता है।”
प्रदीप कहते हैं,”कई पेशेवर अपने काम के भार के कारण भावनात्मक थकान से जूझते हैं। यह थकान उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। जिससे उनका मन और शरीर भावमात्यक स्थिति से ग्रस्त हो जाता है।”
मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को कार्य से संबंधित बर्नआउट का सामना करना पड़ता है। यह उन्हें उनके काम में उत्साह की कमी महसूस करा सकता है और उनकी मानसिक सेहत पर असर डाल सकता है।
सुनीता सनाढ्य पांडेय मेंटल हेल्थ काउंसलर हैं और लोगों की तनाव भरी कहानियां सुनना और उनका समाधान सुझाना उनका नियमित काम है। वे कहती हैं, “हां ये सच है कि कभी-कभी हमें भी बर्नआउट का सामना करना पड़ता है। मगर हमें इससे निकलने के लिए तैयार किया जाता है।”
कई पेशेवरों को अपने काम में इतनी सहानुभूति दिखाने की अपेक्षा रहती है कि उन्हें इसकी भी थकान हो जाती है। यह थकान उनकी मानसिक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
काम के चक्कर में, लोग अक्सर अपने परिवार और स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं। यह उनके जीवन में असंतुलन का कारण बन सकता है जिससे उनकी मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है।
प्रदीप कहते हैं, “किसी भी तरह के तनाव से बचने का बेसिक फॉर्मूला है जीवन में संतुलन और अपेक्षाओं से सामंजस्य स्थापित करना। योग इसी का समर्थन करता है। आप किसी भी प्रोफेशन में क्यों न हो योगाभ्यास आपको शांत और एक्टिव रखने में मदद कर सकता है। इसलिए हम सभी को अपनी-अपनी सुविधानुसार योगाभ्यास की सलाह देते हैं।
योगाभ्यास का अर्थ केवल कठिन आसन या बॉडी पॉश्चर कर पाना ही नहीं है, बल्कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी इसका हिस्सा है। जब आप पद्मासन में बैठकर डीप ब्रीदिंग करते हैं,तो वह आपके तन और मन को एकरेखा में लाकर शांत और संतुलित करता है। फेफड़ों और मस्तिष्क में जितनी ज्यादा शुद्ध हवा पहुंचती है, आप उतने अधिक शांत और एनर्जेटिक रह पाते हैं।”
ध्यान रहे
पेशेवरों को अपनी मानसिक स्वास्थ्य को महत्व देना चाहिए और खुद की देखभाल करनी चाहिए। इसके अलावा, उन्हें अपनी दिनचर्या में ध्यान, योग और मनोरंजन को शामिल करना चाहिए, जिससे सभी स्वास्थ्य कार्यों को शारीरिक और मानसिक रूप से चुस्त और फर्टाइल बने रहेंगे। उन्हें अपने काम और जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए और नियमित रूप से स्वस्थ्य आहार लेना चाहिए। इसके अलावा, वे अपने दिनचर्या में ध्यान, योगा और मनोरंजन के लिए |
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