कट, कॉपी और पेस्ट। किसी भी काम को निपटाने का बहुत आसान फॉर्मुला है। सरल तरीके से जल्दी काम को करने की ये तकनीक इन दिनों हर कोई अपना रहा है। इससे आप काम तो जल्दी कर लेते हैं। मगर अपने ब्रेन को धीरे धीरे बूढ़ा बना रहे हैं। अब उसे न तो सुनने की आदत है, न पढ़ने की और न ही लिखने की। इससे न केवल हमारा फोकस धीरे धीरे खत्म होने लगता है, बल्कि याददाश्त पर भी प्रभाव पड़ने लगता है। जानते हैं कि किन बातों को अवॉइड करके ब्रेन को यंग (tips to keep your brain young) रखा जा सकता है।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हलद्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि दिनों दिन बदल रहा लाइफ स्टाइल हमारी मेंटल हेल्थ पर गहरा असर डाल रहा है। इन दिनों लोगों में रीडिंग हैबिट खत्म हो रही है। इसका असर याददाश्त पर पड़ने लगता है। किसी भी चीज़ को मोबाइल में सेव करने की प्रैक्टिस के चलते हमें चीजों को याद रखने की आदत नहीं रहती है। इससे दिमाग कमज़ोर बनने लगता है।
सुबह उठते ही अखबार ज़रूर पढ़ें। इसके अलावा किताबों को पढ़ने की आदत होना जरूरी है। इससे आप नए विचारों को अपने अंदर एकत्रित कर सकते हैं। इसका असर आपकी मेंटल हेल्थ पर दिखने लगता है। इसके अलावा रूटीन एक्टिविटीज़ को लिखने का प्रयास करें। इससे आपकी याददाश्त गहरी होने लगेगी और बात बात पर चीजें भूलने की आदत से राहत मिलेगी।
चीजों को किसी डायरी में लिखकर रखने के अलावा आपको दूसरों के फोन नंबर से लेकर अपने ज़रूरी पासवर्डस को याद रखना चाहिए। इससे आपका ब्रेन मज़बूत बनने लगता है। डॉ युवराज के मुताबिक किसी के नंबर को जस का तस फोन में सेव करने के अलावा उसे रिकॉल भी करें, ताकि आपको याद रह सके।
दिन की शुरूआत ब्रीदिंग एक्सरसाइज से करें। इससे ब्रेन में ऑक्सीजन का प्रसार होता है। दिमाग हेल्दी रहता है और सभी चीजें आसानी से याद होने लगती है। कुछ मिनट की ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ से ब्रेन और लंग्स हेल्दी होते हैं। इससे सांस सबंधी समस्याएं भी दूर होने लगती है।
कुछ देर दिमागी खेल खेलने से भी माइंड रिलैक्स होने लगता है। पजल और क्रासवर्ड सुलझाने से न केवल हम कुछ नया सीखते हैं बल्कि तनाव से भी मुक्ति मिल जाती है। खेलों को एजॉय करने से ब्रेन हेल्दी बनता है और तमाम चिंताओं से मुक्त होने लगता है।
हार्वर्ड एजुकेशन के रिसर्च के मुताबिक शराब आ अतिरिक्त सेवन करने से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर डिमेंशिया का खतरा बना रहता है। इससे ग्रस्त लोग सोचने की क्षमता का कम होना, नींद न आना, मेमोरी लॉस और बीते वक्त को याद करने में दिक्कत का अनुभव करने लगते हैं। ऐसे में रोज़ाना अल्कोहल के सेवन को अवॉइड करना चाहिए।
दिनभर फोन की स्क्रीन को सामने रखने से भी दिमाग पर उसका प्रभाव दिखने लगता है। इसका असर हमारे सोचने समझने की शक्ति पर भी दिखने लगता है। घण्टों टीवी या मोबइल की स्क्रीन को देखने से उसका असर हमारी आंखों के अलावा ब्रेन पर भी दिखने लगता है।
एक वक्त में कई प्रकार के काम करने से आप किसी भी काम पर पूरी तरह से फोक्स नहीं कर पाते हैं। इससे अच्छे रिजल्ट नहीं मिल पाते हैं। एक वक्त में एक काम पूरी मेहनत से करें, ताकि उसके अच्छे नतीजे आ पाएं। इससे वर्क प्रोडक्टिविटी भी बढ़ती है और काम की क्वालिटी पर भी उसका असर दिखने लगता है।
दिनों दिन बढ़ रही एंजाइटी से छोटी बातें भी हमारे मन और मस्तिष्क को लंबे वक्त तक प्रभावित कर देती है। इसके चलते कई बार छोटी बातें हमें लंबे वक्त तक परेशान करती है। इस समस्या से खुद को बाहर निकालें और डिटॉक्स लोगों से दूरी बनाएं। दूसरों की बातों को दिल से न लगाएं और रिलैक्स रहें।
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