कोविड से उबरने के बावजूद आज भी लोग अवसाद (Depression) और चिंता (Anxiety) में जीते हैं। सामाजिक मिलन (Social Gathering) में जाने से घबराते हैं। नकारात्मक विचारों से लैस होकर वे किसी से मिलने-जुलने से भी कतराते हैं। उन्हें अपमानित होने का भी डर सताता रहता है। वास्तव में विशेषज्ञ इसे सोशल एंग्जाइटी (Social Anxiety) का नाम देते हैं। अधिक समय तक इससे पीड़ित रहना मेंटल हेल्थ के लिए बढ़िया नहीं होता है। इसलिए इससे उबरने (How to overcome Social Anxiety) के तरीकों के बारे में विशेषज्ञ से जानना जरूरी है। इसके बारे में सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और अनन्या फाउंडेशन की डाइरेक्टर डॉ. ईशा सिंह बता रही हैं।
डॉ. ईशा सिंह कहती हैं, ‘कोविड 19 (COVID 19) ने सभी के जीवन में तबाही मचा दी। मनुष्य को अपने जीवन के तरीके पर पुनर्विचार करना पड़ा। कुछ मायनों में हमें अस्तित्व के नए तरीके खोजने पड़े। बाहर जाने, परिवार से मिलने, दोस्तों के साथ समय बिताने जैसी बहुत सी चीजें संभव नहीं थीं। साइकोलॉजिकल स्तर पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। जैसे-जैसे जीवन सामान्य होता जा रहा है, लोग अभी भी मॉल या भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने के लिए बहुत चिंतित महसूस कर रहे हैं। अगर हम किसी को सर्दी या खांसी से पीड़ित देखते हैं, तो हमारा दिमाग लगभग सबसे बुरा सोचता है।’
सामाजिक चिंता यानी सोशल एंग्जाइटी के कारण व्यक्ति को हमेशा नकारात्मक रूप से आंके जाने की आशंका बनी रहती है। शर्मिंदा या अपमानित होने की चिंता सताती रहती है।
जीवन के तनावपूर्ण अनुभव और वातावरण सोशल एंग्जाइटी के कारण बन सकते हैं। बचपन के दौरान तनावपूर्ण घटनाएं और आघात के कारण ऐसा हो सकता है। शारीरिक, यौन या भावनात्मक शोषण भी इसके कारण हो सकते हैं। कोरोना महामारी के कारण लोग अत्यधिक तनाव में जिए। इसके कारण समाज में सोशल एंग्जाइटी अधिक दिख रही है। कुछ लोगों में सोशल एंग्जाइटी के लक्षण समय के साथ कम हो जाते हैं। पर कुछ लोगों में यह विकार (Social Anxiety Disorder-SAD) का रूप ले लेता है, जिसे ठीक करने के लिए दवा की मदद ली जा सकती है।
डॉ. ईशा सिंह बताती हैं, ‘आगे बढ़ने का एक ही तरीका है कि हम अपने डर का सामना पहले से सोच कर, तैयारी करके और उस पर अमल करके करें। उदाहरण के लिए यदि हम मॉल जाने की योजना बना रहे हैं, यह अनुमान लगाते हुए कि हमें क्या चाहिए मास्क, हैंड सैनिटाइज़र, टिश्यू आदि। यह जीवन के सभी पहलुओं पर लागू होता है। जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल की मदद भी लें।
देखना, सुनना, सूंघना, स्पर्श करना और स्वाद लेना, ये हमारी इन्द्रियों के 5 काम हैं। ये इंद्रियां आपको शांत करने में भी मदद कर सकती हैं। जब आप एंग्जाइटी महसूस कर रही हों, तो इन इन्द्रियों की मदद लें।
किसी पसंदीदा तस्वीर को देखें या किसी खास गंध को सूंघें। यह एंग्जाइटी दूर करने में कारगर हो सकता है। पसंदीदा गीत सुनना या कोई स्वादिष्ट भोजन खा सकती हैं। पेट (Pets) के स्पर्श को महसूस कर सकती हैं।
दिमाग के अंदर क्या चल रहा है, इसकी बजाय आस-पास क्या हो रहा है। इस पर अपना ध्यान स्थानांतरित करने का प्रयास करें। यदि ज्यादा चिंतित हो रही हैं, तो आप किसी से बातचीत भी शुरू कर सकती हैं। आप उस काम को करें, जो आपका खुद से ध्यान हटाने में मदद करे।
अचानक सभी चीज़ें सही नहीं हो सकती हैं। इसलिए छोटी शुरुआत करें। पहले दोस्तों या परिवार के सदस्यों के साथ बाहर भोजन लेने जाएं। इससे आप सार्वजनिक रूप से खाने या लोगों से बातचीत करने की आदी हो सकेंगी। सड़क पर या शॉपिंग सेंटर पर लोगों के साथ आई कांटेक्ट बनाने की कोशिश करें। दुकानदार का हालचाल पूछने का प्रयास करें। अगर कोई आपके साथ बातचीत शुरू करता है, तो उनसे उनके शौक या घूमने की पसंदीदा जगहों के बारे में सवाल पूछें। इससे आपका डर और झिझक खत्म होगी। जैसे-जैसे आप सहज होंगी, आप बड़ी गतिविधियों में शामिल होने लगेंगी। धैर्य रखें। सोशल एंग्जाइटी से निपटने में समय लगता है।
नकारात्मक विचारों के बारे में सोचें। उन्हें लिख लें। फिर उन्हें चुनौती देने वाले सकारात्मक विचारों को लिखें। जैसे कि डर के कारण मैं ये काम नहीं कर सकती हूं। इसके आगे लिखें- मुझे हर हाल में इस विशेष परिस्तिथि से निपटना होगा। मैं कर सकती हूं। साथ ही योग करें। श्वास पर नियंत्रण रखने वाले प्राणायाम करें।
जब घुटन जैसा महसूस हो, लम्बी सांस लेने और छोड़ने का प्रयास करें। गहरी सांस ब्लड प्रेशर और हृदय गति को कम करने में मदद कर सकते हैं। कुछ महीनों तक लगातार योग करने से समग्र चिंता कम करने में मदद मिल सकती है।
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