कुछ चीजें आपसे अनजाने में हो जाती हैं। जबकि कुछ चीजें सोशल कंडीशनिंग के कारण आप पर थोप दी जाती हैं। अकसर भावुक लोग जब इन चीजों से लड़ नहीं पाते, तो अपराधबोध यानी गिल्ट (Guilt) के शिकार हो जाते हैं। कुछ गिल्ट क्षणिक होते हैं और आप उनसे जल्दी ही उबर आते हैं। पर कुछ गिल्ट बहुत गहरे होते हैं और ये समय के साथ और सघन होते जाते हैं। जिसका असर आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर पड़ने लगता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप गिल्ट के नकारात्मक प्रभावों (Side effects of guilt) और इससे उबरने के उपायों (How to overcome guilt) के बारे में जानें। हमने इसके लिए एक मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से बात की।
गिल्ट से उबरने के लिए जरूरी है कि आप यह समझें कि आप इस भावना से घिरे हुए हैं। फोर्टिस हेल्थकेयर में मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ कामना छिब्बर अपराधबोध या गिल्ट फीलिंग से घिरे होने के संकेतों के बारे में बता रही हैं।
डॉ कामना छिब्बर कहती हैं, “लगातार अपराधबोध या गिल्ट की भावना में रहना आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत को बहुत गंभीर तरह से प्रभावित कर सकता है। अपराधबोध किसी व्यक्ति को अपने बारे में नकारात्मक महसूस करा कर महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।”
वे आगे कहती हैं, “यह उनके सोचने, स्थितियों का अनुभव करने और साथ ही उन पर प्रतिक्रिया देने के तरीकों को भी प्रभावित करता है। ऐसा हो सकता है कि वे किसी स्थिति पर जैसा पहले सोचते थे, वैसा अब सोच ही न पाएं। यह उनके अपने बारे में विचारों और स्थितियों पर प्रतिक्रिया देने के तरीकों को भी प्रभावित कर सकता है।”
जब आप लगातार इस तरह की भावनाओं से घिरे रहते हैं, तो यह आपकी मेंटल हेल्थ पर कई दूरगामी प्रभाव भी छोड़ता है। इससे उनकी स्वयं की समझ के बारे में भ्रम पैदा हो सकता है। जिसका असर उनके आत्मसम्मान अथवा सेल्फ एस्टीम पर भी पड़ने लगता है। यह आपकी सहजता को प्रभावित कर सकता है। जिसके कारण अन्य लोगों से आपके संबंध या सहकर्मियों के साथ आपका व्यवहार बदल सकता है।
व्यवहार में नाखुशी, उदासी और चिड़चिड़ापन पैदा हो सकता है, जिसका आपकी मेंटल हेल्थ और रिश्तों पर और भी ज्यादा नकारात्मक असर पड़ता है।
जाने-अनजाने में पैदा हुई किसी भी स्थिति को लेकर पैदा होने वाला गिल्ट आपकी सेहत, आपके रिश्ते और प्रोडक्टिविटी को प्रभावित करता है। इसलिए जरूरी है कि इसे पहचाना जाए और इससे जल्द से जल्द से उबरा जाए। हालांकि यह लंबा समय लेने वाली प्रक्रिया भी साबित हो सकती है। पर इससे उबरना जरूरी है।
सबसे पहले यह मानना छोड़ दें कि जो कुछ भी हुआ है, वह आपके कारण हुआ है। कोई भी एक व्यक्ति इतना शक्तिशाली नहीं हो सकता कि सब कुछ उसके कारण हो। हर चीज के कई अन्य कारण भी होते हैं। फिर चाहें वह अच्छी हो या बुरी।
एक व्यक्ति के रूप में आप जो हैं, उस पर भरोसा रखें। अपनी सेहत और भलाई के लिए अपने रुटीन में बदलाव लाना ठीक है। पर किसी और के लिए खुद को बदलना अच्छे रिजल्ट दे यह जरूरी नहीं है।
कोशिश करें और समझें कि कोई व्यक्ति या स्थिति ऐसी क्यों हैं, जो आपको गिल्ट महसूस करवा रही है। बेहतर है कि इन दोनों से ही आगे बढ़ा जाए।
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कस्टमाइज़ करेंउस दिशा में बदलाव लाने का प्रयास करें, जो आपको वह व्यक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ाए जो आप बनना चाहते हैं।
अपने शुभचिंतकों के साथ उन स्थितियों पर ईमानदारी से बात करें, जो आपको गिल्ट अनुभव करवा रही हैं। इससे आपको अपनी भावनाओं और वास्तविक परिस्थितियों को समझने में मदद मिलेगी। कई बार जो हम सोच रहे होते हैं, वह केवल हमारी कल्पना होती है। जबकि वास्तविक तथ्य कुछ और होते हैं ।
अपने प्रति विनम्र रहें। दुर्घटनाएं अचानक होती हैं, जबकि कुछ भी सकारात्मक होने में समय लगता है। इसके लिए पर्याप्त समय और स्पेस लें। जल्दबाजी न करें, सब कुछ धीरे-धीरे ठीक होगा।
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