हृदय संबधी समस्याओं से बचने के लिए दवाओं और अन्य उपचार के अलावा योग भी बेहद फायदेमंद सिद्ध होता है। दिनों दिन बढ़ रहे हार्ट अटैक (Heart attack), स्ट्रोक (stroke) व ब्लड कलॉटिंग (blood clotting) के मामले जानलेवा साबित हो रहे हैं। इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए दिनभर में कुछ वक्त योग के लिए निकालें। इससे शरीर में लचीलापन और एनर्जी बनी रहेगी। इसके अलावा चेस्ट पेन और स्टिफनेस से राहत मिलने लगती है। हार्ट को डी स्ट्रेस करने के लिए इन योगासनों को अपने रूटीन में अवश्य शामिल करें (Yoga poses to de stress your heart)।
हृदय और डाइबिटीज़ (Diabetes) रोगों के जोखिम को कम करने के लिए इस योग का निंरतर प्रयास फायदेमंद साबित होता है। इससे शरीर में होने वाली स्टिफनेस दूर होती है। इसके अलावा पाचनतंत्र भी मज़बूत बना रहता है। अगर आप इसे रोज़ाना करते हैं, तो इससे बॉडी में स्टेमिना (body stemina) बिल्ड होने लगता है।
इस योग को करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों को आपस में जोड़ लें और गहरी सांस लें। अब धीरे धीरे आंखों को बंद कर लें।
अब दोनों बाजूओं को उपर की ओर उठाएं और बाजूओं को कान से सटाते हुए उपर की ओर ले जाएं। दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार की मुद्रा में ले आएं।
सांस छोडें और इस प्रक्रिया को जारी रखें। 30 सेकण्ड से 1 मिनट तक इस योग को करें। उसके बाद हाथों को नीचे ले आएं और शरीर को ढ़ीला छोड़ दें।
इसे रोज़ाना करने से फेफड़ों को मज़बूती मिलती है और हृदय संबधी समस्याओं (heart disease) का खतरा भी टल जाता है। इस आसन को दिन में 2 मिनट के लिए 3 से 4 बार दोहराएं।
इस योगासन को अपने रूटीन में शामिन करने से मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन से बचा जा सकता है। इसके अलावा पैरों में भी मज़बूती बनी रहती है। कुछ देर इस योगासन को करने से एकाग्रता बढ़ जाती है। इसके अलावा आर्टरीज़ में होने वाले ब्लॉकेज से भी बचाता है।
इस योग को करने के लिए मैट पर एक दम सीधे खड़े हों। बॉडी के बैलेंस को मेंटेन रखने के लिए रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा करके रखें।
अब दाईं टांग को घुटने से मोड़ते हुए उपर की ओर उठाएं और बाईं टांग की इन्न्र थाई पर टिका लें। इसके बाद गहरी सांस भरें और दोनों आंखें बंद कर लें।
अगर आप पहली बार इस योगासन को कर रही हैं, तो बॉडी पर संतुलन बनाए रखने के लिए दीवार का सहारा लेकर इस योग को कर सकती है।
बॉडी बैलेंसिंग के लिए दोनों बाजूओं को उपर की ओर लेकर जाएं और खींचें। फिर नमस्कार की मुद्रा बनाएं।
1 मिनट तक इस योग मुद्रा में बने रहने से शरीर में होने वाली स्टिफनेस से राहत मिल जाती हैं।
इस योगासन को हार्ट ओपनिंग योगासन भी कहा जाता है। इस योग को कार्डियोवसकुर एक्सरसाइज़ में शामिल किया जाता है। इसे करने से छाती एक्सपैण्ड होने लगती है। इसके अलावा ब्रीदिंग समस्याएं दूर होने लगती है।
इस योगासन को करने के लिए मैट पर खड़े हो जाएं। अब दोनों टांगों के मध्य 8 से 10 कदमों की दूरी बनाकर रखें। जितना संभव हो उतना टांगों को स्ट्रेच करें।
इसके बाद पैर को बाहर की ओर निकालें। अब दाहिनी ओर झुकें और दाएं हाथ से दाएं पैर को पकड़ लें। इस दौरान घुटनों को मोड़ने से भी बचें।
अब बाई बाजू को आसमान की ओर लेकर जाएं और उसे बिल्कुल सीधा रखें। गहरी सांस लें और गर्दन को भी बाई तरफ मोड़े और बाजू की ओर देखें।
इस योगासन का करने से कंधों और घुटनों को मज़बूती मिलती है। इसके अलावा हार्ट रिलेटिड प्रोब्लम्स दूर होने लगती है।
शरीर में लचीलापन बढ़ाने के लिए इस योगासन को किया जाता है। इसे रेगुलर करने से पेट के निचले हिस्से से जुड़ी समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है। ये योग मुद्रा हार्ट को रिलैक्स करते हैं और रेसपिरेटरी सिस्टम को मज़बूत बनाती है।
इस योग को करने के लिए पेट के बल ज़मीन पर लेट जाएं। अब दोनों बाजुओं को नीचे की ओर सीधा कर लें। गहरी सांस लें और पीछे से टांगे उपर उठाएं।
इसके बाद अब शरीर को कमर तक आगे से उपर की ओर खीचें। इसके बाद दोनों हाथों से पैरों की उंगलियों को पकड़ लें। सांस धीरे धीरे छोड़ दें।
योग करने के दौरान आंखें बंद करे। 30 सेकण्ड से 1 मिनट तक इस मुद्रा में बने रहें। उसके बाद टांगे नीचे लेकर आएं और शरीर ढ़ीला छोड़ दें।
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