युवावस्था में खुद को फिट रखने के लिए हम कई तरह के उपाय करते हैं। वृद्धावस्था में हम शारीरिक रूप से कमजोर होने लगते हैं। इसलिए खुद को फिट रखने के प्रयास भी कम करने लगते हैं। हालांकि व्यायाम, आहार और फिजिकल फिटनेस की जरूरत इस अवस्था में और अधिक बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में युवाओं का दायित्व बनता है कि उन्हें नियमित एक्सरसाइज के लिए प्रेरित करें। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष 1 ओक्टूबर को इंटरनेशनल डे ऑफ़ ओल्डर पीपल या अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (The International Day of Older People) मनाये जाने की शुरुआत की गई।
वृद्ध लोगों के प्रति प्रेम, आदर, देखभाल और उनकी स्वास्थ्य समस्याओं से लोगों को जागरूक करने के लिए दुनिया भर में इंटरनेशनल डे ऑफ़ ओल्डर पीपल मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (The International Day of Older People) प्रत्येक वर्ष 1 अक्टूबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिवस को मनाने की शुरुआत की। इस वर्ष की थीम (The International Day of Older People 2023 theme) है-वृद्ध लोगों के लिए मानव अधिकारों के यूनिवर्सल वादों को पूरा करना (Fulfilling the Promises of the Universal Declaration of Human Rights for Older Persons: Across Generations)।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ प्रेवेंटिव मेडिसिन के अनुसार, ओल्ड एज में शरीर को स्वस्थ रखना एक चुनौती है। इस समय ब्लड प्रेशर, हार्ट की समस्या, डायबिटीज, बोन हेल्थ की समस्या सबसे आम है। इसलिए फिजिकल एक्टिविटी सबसे जरूरी है। एक्सरसाइज न सिर्फ इन्फ्लेमेशन कम करती है, बल्कि ब्लड शुगर लेवल भी नियंत्रित करती है। यह हड्डियों को मजबूत करती है। तनाव, अवसाद, अनिद्रा को दूर कर मेंटल हेल्थ को मजबूत करती है। इस तरह से यह फिजिकल और मेंटल हेल्थ में सुधार कर लोंगेविटी से जुड़ा है।
फिटनेस कनेक्शन के ओनर और फिटनेस कोच कुलदीप परमार बताते हैं, ‘यदि आपके माता-पिता 60 वर्ष से अधिक हो गये हैं, तो उन्हें एक्सरसाइज के लिए जरूर प्रेरित करें। उनकी एक्सरसाइज की शुरुआत एक्सपर्ट की देखरेख में करें। यह प्रभावी और सुरक्षित दोनों होगा। उन्हें छोटी शुरुआत करने के लिए प्रेरित करें।
हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के अनुसार, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए लक्ष्य प्रति सप्ताह 150 मिनट की मध्यम तीव्रता की गतिविधि से कम नहीं होना चाहिए। एक्सरसाइज और शरीर को फिट रखने के कई रूप हो सकते हैं। जॉइंट पेन नहीं होने पर छोटे-मोटे घरेलू काम कर भी वे स्वस्थ रह सकते हैं। सीढ़ियां चढ़कर, पोते-पोतियों के साथ खेलना भी उनके लिए फिजिकल एक्टिविटी है।’
कुलदीप परमार के अनुसार, एक्सरसाइज कई तरह के हो सकते हैं। एरोबिक एक्सरसाइज हार्ट हेल्थ के लिए किया जा सकता है। ज्यादातर एरोबिक एक्सरसाइज के लिए उन्हें पूरे शरीर को हिलाना पड़ेगा। इसका सेंटर हार्ट और लंग्स होते हैं। एरोबिक एक्सरसाइज ही कार्डियो एक्सरसाइज (Cardio exercise) कहलाता है।
यह हार्ट फंक्शन को चुनौती देता है और लाभ पहुंचाता है। चलने, तैरने, नाचने और साइकिल चलाने जैसी गतिविधियां की जाती हैं, तो सांस तेज हो जाती है। इसके लिए दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। एरोबिक एक्सरसाइज फैट को जलाते हैं और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित करते हैं। ये मूड में सुधार करते हैं। सूजन कम हो सकती है।
स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज मसल्स और टेंडन (Stretching exercise for muscles and tendon) को लचीला बनाए रखती है। यह गतिशीलता में सुधार कर पोस्चर को बनाए रखने में मदद करती है। उम्र बढ़ने पर स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज रोज करनी चाहिए। बैलेंस प्रैक्टिस से वर्टिगो, विजन, मसल्स और जॉइंट्स में मदद मिलती है। इससे बुजुर्ग गिरने से बचे रहेंगे और शरीर का बैलेंस भी बना रहेगा।
बुजुर्ग सप्ताह में न्यूनतम 150 मिनट की मध्यम तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि वाले व्यायाम कर सकते हैं । 150 मिनट को विभाजित करके भी किया जा सकता है। इसका एक प्राकृतिक तरीका है। प्रति सप्ताह में पांच बार 30 मिनट का सत्र कर सकते हैं। एक ही दिन में 15 मिनट के दो सत्र कर सकते हैं। जो भी शेड्यूल उन्हें जीवनशैली के अनुकूल लगे, उन्हें अपना सकते हैं।
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