खानपान में बरती जाने वाली कोताही शरीर में कई बीमारियों के साथ वेटगेन का कारण साबित होती है। ऐसे में मोटापा कम करने के लिए अधिकतर लोग मील्स को स्किप करने से लेकर कैलोरीज़ को कट करने तक हर तरह की कोशिश करते हैं। इससे शरीर में न केवल कमज़ोरी आने का खतरा बना रहता है, बल्कि कैलोरीज़ भी शरीर में ज्यों की त्यों बनी रहती हैं। ऐसे में हाई कैलोरी फूड का इनटेक घटाना बेहद ज़रूरी है। जानते हैं कि कैसे हाई कैलोरी फूड को लो कैलोरी फूड (Low calorie foods to lose weight) से रिप्लेस कर वेटलॉस यात्रा को आसान बना सकते हैं।
वजन कम करने के लिए कैलोरी काउंट घटाना सबसे जरूरी है। पर इसके साथ इस बात का ख्याल भी रखना है कि आप खाना खाने के बाद संतुष्टि महसूस कर रहे हैं या नहीं। दिन भर कुछ न कुछ खाने की क्रेविंग ज्यादातर लोगों को जंकफूड और हाई कैलोरीज की तरफ धकेल देती है। जिससे वेट लॉस यात्रा बाधित होने लगती है। ऐसे में कुछ भी खाने से पहले कैलोरी चार्ट को जानकर उसके अनुसार अपनी मील को प्लान करना ज़रूरी है।
डाइटीशियन मनीषा गोयल का कहना है कि लो कैलारी फूड में उच्च मात्रा में पानी और फाइबर की मात्रा पाई जाती है। इससे पेट देर तक भरा रहता है और शरीर में निर्जलीकरण की समस्या भी पैदा नहीं होती है। वहीं दूसरी ओर हाई कैलोरी फूड में फैट्स की उच्च मात्रा होती है, जिसे थोड़ी मात्रा में खाने से पेट भरने लगता है।
बढ़ते वज़न को कम करने के लिए खाए जाने वाले लो कैलेरी फूड से बार बार होने वाली क्रेविंग से बचा जा सकता है। वहीं शरीर में ज़रूरी विटामिन, मिनरल्स, फाइबर और फाइटोन्यूट्रिएंट्स की कमी भी पूरी हो जाती है। इससे न केवल वेटलॉस में मदद मिलती है बल्कि ब्लड प्रेशर भी नियमित बना रहता है। वहीं शरीर में डायबिटीज़ और कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी नियमित बन रहता है।
लेग्यूम्स में फाइबर और प्रोटीन की उच्च मात्रा पाई जाती है। यूएसडीए के अनुसार एक कप लेग्यूम्स का सेवन करने से शरीर को 230 कैलोरीज़ की प्रापित होती है। एनआईएच की एक स्टडी के अनुसार 43 लोगों के एक समूह ने बीन्स और पीज़ को मिलाकर हाई प्रोटीन मील लेनी शुरू की। इसे खाने से न केवल बार बार भूख लगने की समस्या हल होती है बल्कि शरीर को पोषण की प्राप्ति होती है।
डाइट में ब्राउन राइज़, स्वीट पोटेटो, पास्ता, कॉर्न और हॉट सीरीयल्स को शामिल करने से 280 कैलोरीज़ की प्राप्ति होती है। इससे शरीर को हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है। वहीं जैम, मफ्न्सि, ब्रेड और फैट फ्री कुकीज़ खाने से शरीर को 1,200 से लेकर 1,600 कैलोरीज़ मिलते है। इससे शरीर में वेटगेन की समस्या बढ़ने लगती है।
अपनी मील में रोज़ाना ताजे़ फलों को शामिल करने से शरीर को ज़रूरी पोषण की प्राप्ति होती है। इसमें मौजूद फाइबर की मात्रा गट हेल्थ को बूस्ट करती है। साथ ही शरीर का इम्यून सिस्टम भी मज़बूत बनने लगता है। मौसमी फलों को खाने से शरीर को 135 से लेकर 420 कैलोरीज़ मिलती है। लो फैट और लो कार्ब्स फूड को एड करके शरीर में बढ़ने वाली कैलोरीज़ की समस्या से बचा जा सकता है।
रूटीन में कच्ची सब्जियों को खाने से शरीर में 65 से लेकर 195 कैलोरीज़ की प्राप्ति होती है। इससे शरीर में बढ़ने वाली चर्बी को कम किया जा सकता है। साथ ही शरीर को पोषण भी मिलने लगता है। इसके चलते बार बार भूख लगने की समस्या हल होने लगती है। इसके नियमित सेवन से डाइजेशन इंप्रूव होता है और हृदय संबधी समस्याओं के खतरे को कम किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर हल्की फुल्की भूख लगने पर खाए जाने वाले पोटेटो चिप्स और नट्स शरीर में 2,500 से लेकर 3,000 तक कैलोरीज़ की मात्रा को बढ़ा देते हैं।
शरीर को हेल्दी बनाए रखने के लिए ना्ॅन फैट डेयरी प्रोडक्टस को अवश्य ट्राई करें। इससे शरीर को फैट्स की प्राप्ति नहीं होती है और शरीर दिनभर एक्टिव बना रहता है। इसके लिए डाइट में बादाम मिल्क, सोया मिल्क और कोकोनट मिल्क को शामिल कर सकते हैं।
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