प्रोटीन शरीर के लिए एक आवश्यक बिल्डिंग ब्लॉक हैं, पुरूषों के साथ महिलाओं के लिए भी ये आवश्यसक है। प्रोटीन की उचित मात्रा जीवनशैली को कई प्रकार से प्रभावित करती है। इसके नियमित सेवन से मांसपेशियों से लेकर हड्डियों तक शरीर के सभी अंगों को मज़बूती प्राप्त होती है। बहुत से लोग खुद को फिट और स्लिम बनाए रखने के लिए प्रोटीन इनटेक को डेली डाइट में बढ़ा देते है, जिसका नकारात्मक प्रभाव किडनी, लिवर और धीरे धीरे बोन्स पर भी दिखने लगता है। आमतौर पर फिटनेस को बनाए रखने के लिए लोग प्रोटीन रिच खाद्य पदार्थों से लेकर पाउडर तक कई चीजों का सेवन करने लगते हैं। जानते हैं प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा कैसे करती है शरीर को प्रभावित (signs of eating too much protein)।
नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस, इंजीनियरिंग एंड मेडिसिन के अनुसार दिनभर में 10 से 35 फीसदी कैलोरीज़ प्रोटीन रिच फूड से प्राप्त करने से शरीर को 50 ग्राम से लेकर 175 ग्राम प्रोटीन की प्राप्ति होती है। जर्नल ऑफ कैशेक्सियाए सरकोपेनिया और मसल्स की साल 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रोटीन इनटेक बढ़ाने से एथलेटिक परफॉर्मेंंस पर उसका खास प्रभाव नज़र नहीं आता है। मगर इससे किडनी और लीवर का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। साथ ही हृदय रोगों और कैंसर के रोग की संभावना बढ़ जाती है।
इस बारे में मणिपाल हास्पिटल गाज़ियाबाद में हेड ऑफ न्यूट्रीशन और डाइटेटिक्स डॉ अदिति शर्मा बताती हैं कि शरीर को हेल्दी और मज़बूत बनाने के लिए प्रोटीन इनटेक आवश्यक है। मगर आवश्यकता से ज्याद इसकी मात्रा स्किन रैशेज, वेटगेन, डायरिया और निर्जलीकरण का कारण बनने लगती हैं। प्रोटीन की मात्रा किसी भी व्यक्ति विशेष की उम्र, लंबाई और वजन पर निर्भर करती है।
महिलाओं को रोज़ाना 46 ग्राम प्रोटीन लेने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा प्रोटीन इनटेक की सही मात्रा वेट के अनुसार निर्धारित होती है। एनआईएच की एक रिपोर्ट के अनुसार इसमें अपने वज़न के अनुसार 0.7 ग्राम प्रोटीन लिया जाना चाहिए। इससे हार्मोन संतुलित बने रहते हैं और शरीर कई समस्याओं के जोखिम से बचा रहता है।
अक्सर हाई प्रोटीन डाइट को वेटलॉस से जोड़कर देखा जाता है। मगर आवश्यकता से ज्यादा प्रोटीन की मात्रा वेटगेन का कारण साबित होता है। अमीनो एसिड के साथ मिलकर प्रोटीन शरीर में फैट जमा करने लगते हैं। ज्यादा कैलोरीज़ लेने से शरीर में वज़न बढ़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है।
साइंस डायरेक्ट की साल 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार एनिमल बेस्ड प्रोटीन और लो कैल्शियम डाइट से शरीर में यूरिक एसिड बनने लगता है । एसिडिक एनवायरमेंट बार बार यूरिन सेंसेशन का कारण साबित होता है और इससे स्टोन बनने की संभावना भी बनी रहती है। इसका असर हड्डियों और लीवर पर नज़र आने लगता है।
उचित प्रोटीन डाइट के साथ साथ समयानुसार सोने और उठने के बावजूद शरीर में बढ़ने वाली कमज़ारी प्रोटीन की उच्च मात्रा का संकेत देती है। इससे किडनी और लीवर का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। दिनभर थकान का सामना करने से शरीर अन्य शारीरिक समस्याओं का शिकार हो जाता है। इससे उठने बैठने में भी तकलीफ का सामना करना पउ़ता है।
कार्ब्स को नियंत्रित करके उच्च मात्रा में प्रोटीन का सेवन करने से बैड ब्रेथ की समस्या से दो चार होना पड़ता है। एनआईएच के रिसर्च के अनुसार जो लोग प्रचुर मात्रा में प्रोटीन का सेवन करते हैं, उनका शरीर मेटाबॉलिक स्टेट से होकर गुज़रता है, जिसे किटोसिस कहा जाता है। इस समस्या के चलते मुंह से अनचाही फ्रूटी स्मैल आने लगती है। ब्रशिंग और फ्लॉसिंग से भी इस समस्या को दूर नहीं किया जा सकता है। इसके लिए प्रोटीन इनटेक को घटाकर वॉटर इनटेक बढ़ाना ज़रूरी है।
वे लोग जो प्रोटीन उच्च मात्रा में लेते हैं, उनके लिए वॉटर इनटेक को बढ़ाना बेहद आवश्यक है। दरअसल, ज्यादा प्रोटीन शरीर में निर्जलीकरण की समस्या का कारण बनता है। पानी पीने से शरीर में मौजूद अतिरिक्त नाइटरोजन और टॉक्सिन को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। वे लोग जो अधिक पानी नहीं पीते हैं, उन्हें कब्ज की समस्या से जूझना पड़ता है।
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