डाइट और रुटीन में ये 5 बदलाव हो सकते हैं इंसुलिन रेजिस्टेंस को मैनेज करने में मददगार

क्या कुछ भी खाने पर आपका शुगर लेवल एकदम से बढ़ जाता है। जिससे आपको कई तरह की परेशानी होती है ये आपके इंसुलिन के ठीक से काम नहीं करने के कारण होता है जिसे इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है।
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इंसुलिन रेजिस्टेंस तब होता है जब आपके शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम प्रतिक्रियाशील हो जाती हैं। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Updated: 8 May 2024, 16:43 pm IST
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शुगर आपके शरीर को एनर्जी देने के लिए बहुत जरूरी है। इसके लिए आपके शरीर में इंसुलिन नाम का एक हॉर्मोन होता होता है जो इसे व्यवस्थित तरीके से रखने में मदद करता है। अगर इंसुलिन ठीक तरीके से काम नहीं करता है तो ये आपके शरीर में एक दम से शुगर का स्पाइक होने का कारण बन सकता है। जिससे आपको मधुमेह से जुड़ी समस्या भी हो सकती है। अपने डेली रुटीन और आहार में छोटे-छोटे बदलाव कर इंसुलिन रेजिस्टेंस को मैनेज (How to manage insulin resistance) किया जा सकता है।

क्या होता है इंसुलिन रेजिस्टेंस विस्तार से समझें

इंसुलिन रेजिस्टेंस तब होता है जब आपके शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम प्रतिक्रियाशील हो जाती हैं। वह हार्मोन जो आपके रक्त शर्करा (Glucose) के स्तर को नियंत्रित करता है। आपका अग्नाशय (pancreas) शरीर की कोशिकाओं को चीनी लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इंसुलिन जारी करता है, जिसकी उन्हें ऊर्जा के लिए आवश्यकता होती है।

जब किसी व्यक्ति को इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है, तो उनकी कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देती और आसानी से ग्लूकोज को अवशोषित नहीं कर पाती हैं। अग्नाशय कोशिकाओं को ग्लूकोज को अवशोषित करने और रक्त शर्करा के स्तर को स्वस्थ सीमा के भीतर रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अधिक इंसुलिन का उत्पादन करके प्रतिक्रिया करता है।

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विटामिन डी की कमी और इंसुलिन रेजिस्टेंस के बीच संबंध है। चित्र- अडोबी स्टॉक

समय के साथ, अग्नाशय शरीर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में सक्षम नहीं हो पाता। बहुत कम इंसुलिन रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाता है, और अतिरिक्त रक्त शर्करा वसा कोशिकाओं में जमा हो जाती है, जिससे वजन बढ़ता है। अतिरिक्त शरीर के वजन और बढ़े हुए रक्त शर्करा के स्तर के संयोजन से प्रीडायबिटीज़ और टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

इंसुलिन रेजिस्टेंस को रोकने के लिए पीसीओडी, थायरॉइड और डायबिटीज एक्सपर्ट न्यूट्रीशनिस्ट सलोनी कुछ जरूरी सुझाव दे रही हैं।

इन 5 तरीकों से इंसुलिन रेजिस्टेंस को किया जा सकता है मैनेज (Tips to manage insulin resistance)

1 सूरज की रोशनी में समय बिताना (Spend time in sunlight)

सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से शरीर में विटामिन डी संश्लेषण शुरू होता है। कई अध्ययनों ने विटामिन डी की कमी और इंसुलिन रेजिस्टेंस के बीच संबंध बताया है।
इससे पता चलता है कि सूर्य के संपर्क से प्राप्त पर्याप्त विटामिन डी का स्तर फायदेमंद हो सकता है।

सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आना शरीर की प्राकृतिक घड़ी, सर्कडियन रिदम को विनियमित करने के लिए एक मजबूत संकेत है। इस रिदम में व्यवधान टाइप 2 मधुमेह सहित चयापचय रोगों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। दिन के उजाले के दौरान बाहर समय बिताना आपकी सर्कडियन रिदम को विनियमित करने से इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने में मदद कर सकता है।

विटामिन डी उत्पादन के लिए सूर्य के संपर्क को सनबर्न और संभावित त्वचा कैंसर के जोखिम से बचने के लिए सूर्य संरक्षण उपायों के साथ आप थोड़ी देर के लिए धूप में जा सकते है।

2 स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (Strength training)

कार्डियो एक बहुत बढ़िया व्यायाम है, लेकिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग मांसपेशियों का निर्माण करती है, जो आपके शरीर को ग्लूकोज का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद करती है। अपने कार्डियो रूटीन के साथ-साथ सप्ताह में 2-3 बार वेटलिफ्टिंग या बॉडीवेट एक्सरसाइज़ शामिल करें।

3 अपनी डाइट में फाइबर को शामिल करें (Fiber)

फाइबर आपके रक्त में शर्करा के अवशोषण को धीमा करके इंसुलिन रेजिस्टेंस को प्रबंधित करने में मदद करता है। फाइबर दो तरह का होता है घुलनशील (ओट्स, बीन्स) और अघुलनशील (साबुत अनाज, नट्स)।

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अधिक फाइबर खाने से आपके शरीर में इंसुलिन का उपयोग और ब्लड शुगर नियंत्रण में सुधार हो सकता है। पेट फूलने और गैस से बचने के लिए धीरे-धीरे फाइबर का सेवन बढ़ाएं। प्रतिदिन 25-38 ग्राम फाइबर का सेवन करने का लक्ष्य रखें। साबुत अनाज, फल, सब्जियां, बीन्स खाएं ।

insulin resistance se bhi non alcoholic fatty liver disease ho sakta hai.
इससे आपके रक्तप्रवाह में ग्लूकोज जमा हो जाएगा जिससे रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि हो सकती है। चित्र- अडोबी स्टॉक

4 ग्रीन टी का करें सेवन (Green tea)

ग्रीन टी में EGCG होता है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने वाला कंपाउंड है। सोने से पहले एक कप ग्रीन टी का सेवन इंसुलिन संवेदनशीलता को संभावित रूप से बढ़ावा देने का एक आरामदायक तरीका हो सकता है।

EGCG कोशिकाओं को रक्तप्रवाह से ग्लूकोज को अधिक कुशलता से अवशोषित करने में मदद कर सकता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर कम हो जाता है। गट के बैक्टीरिया चयापचय में भूमिका निभाते हैं। EGCG गुड गट बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा दे सकता है, जो इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर बना सकता है।

5 मेथी के बीज (Fenugreek Seeds)

मेथी के बीजों का इस्तेमाल सदियों से पारंपरिक चिकित्सा में कई तरह के उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है, जिसमें ब्लड शुगर नियंत्रण भी शामिल है। कुछ शोध बताते हैं कि मेथी इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है, जो रक्तप्रवाह से शर्करा को हटाने के लिए इंसुलिन का उपयोग करने की शरीर की क्षमता है।

मेथी के बीज में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो गट से कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा करने में मदद कर सकता है। यह भोजन के बाद ब्लड शुगर के बढ़ने को रोकने में मदद कर सकता है।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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