बढ़ती उम्र के सात व्यक्ति में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तीनों रूपों से कई सारे बदलाव आते हैं। हालांकि, यह बदलाव एजिंग के नेचुरल प्रोसेस हैं, जिन्हें रोकना नामुमकिन है। परंतु आप चाहे तो इन्हें समय से पहले आने से रोक सकती हैं। साथ ही इनकी इंटेंसिटी को कम कर सकती हैं। आज हम बात करेंगे बढ़ती उम्र के साथ होने वाले मेमोरी लॉस के बारे में। बुजुर्गों में एक उम्र के बाद याददाश्त में कमी आने लगती है, जिसे आमतौर पर डिमेंशिया का नाम दिया जाता है। हालांकि, यह मुमकिन नहीं है की हम उनकी इस समस्या को रोक सकें, परंतु चाहें तो इसे उनपर हावी होने से जरूर रोक सकती हैं। तो फिर चलिए जानते हैं, बुजुर्गों में मेमोरी लॉस के प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है (tips to avoid memory loss)।
बढ़ती उम्र के साथ अक्सर लोग शारीरिक रूप से स्थाई हो जाते हैं। इसकी वजह से ब्रेन इनएक्टिव हो जाता है और आपको मेमोरी लॉस का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए बढ़ती उम्र के साथ अपने ब्रेन को इंगेज रखना जरूरी है।
अब चाहे आप शारीरिक गतिविधियों में भाग लें या मेंटल एक्सरसाइज करें, यदि आप फिजिकली ज्यादा देर तक किसी काम को करने में सक्षम नहीं हैं, तो कम से कम बैठकर किताबें पढ़े या अपनी पसंदीदा किसी भी हॉबी को फॉलो करें। इन एक्टिविटी को करने से आपका ब्रेन एक्टिव रहेगा और मेमोरी रिस्टोर करने में मदद मिलेगी।
बढ़ती उम्र के साथ ज्यादातर लोग बाहर निकलना, लोगों से मिलना जुलना कम कर देते हैं। ऐसे में मेमोरी लॉस का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए खुद को सोशली एक्टिव रखना बेहद जरूरी है। क्योंकि नए लोगों से मिलना, बातें करना, नई चीजों में इंवॉल्व होने से ब्रेन एक्टिव रहता है और मेमोरी लॉस का खतरा कम हो जाता है। सोशल इंटरेक्शन डिप्रैशन, एंजायटी जैसी स्थितियों में भी कारगर होता है और जब आपका मूड फ्रेश रहता है, तो मेमोरी लॉस आपको प्रभावित नहीं करती।
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बढ़ती उम्र के साथ मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हेल्दी डाइट बेहद जरूरी है। फल, सब्जियां और अनाज का सेवन करें। लो फैट प्रोटीन सोर्स जैसे की मछली, बींस आदि को अपनी डाइट में शामिल करें। इसके अलावा शराब के सेवन को पूरी तरह से सीमित रखें, क्योंकि अल्कोहल बढ़ती उम्र के साथ मेमोरी लॉस का एक सबसे बड़ा कारण है।
बढ़ती उम्र के साथ बुजुर्ग चिंतित होने लगते हैं। तनाव ब्रेन के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है और इससे मेमोरी लॉस का खतरा भी बढ़ जाता है। तनाव की स्थिति में शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो सामान्य इनफॉरमेशन को ब्रेन तक नहीं पहुंचने देता।
ऐसे में योग, मेडिटेशन, मसाज जैसी रिलैक्सिंग टेक्निक्स की मदद से स्ट्रेस को नियंत्रित रखा जा सकता है। वहीं अपने स्ट्रेस ट्रिगर्स को पहचाने ताकि उनसे दूरी बनाया जा सके। बुजुर्गों के मेमोरी को मेंटेन रखने के लिए घर के यंग लोगों को भी काफी एक्टिव रहने की आवश्यकता होती है।
बढ़ती उम्र के साथ कई शारीरिक समस्याएं व्यक्ति को परेशान कर सकती हैं। ऐसे में ये समस्याएं बुजुर्गों में मानसिक रोग जैसे कि डिमेंशिया, मेमोरी लॉस आदि का कारण बनती हैं। यदि इन समस्याओं का सही ट्रीटमेंट करवाया जाए और समय-समय पर बॉडी की जांच करवाई जाए, तो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी संतुलित रहता है। इतना ही नहीं दवाइयों के प्रति सचेत रहना भी बहुत जरूरी है। यदि घर में कोई बुजुर्ग है, तो उनकी सेहत का ध्यान रखना आपकी भी जिम्मेदारी है। सावधानी बरोतने से समस्या हावी नहीं होगी।
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