मै नहीं जीतूंगी, कोई मेरे साथ नहीं है, मेरा काम कभी पूरा नहीं हो सकता है। ये सब बातें सेल्फ हेटरेड यानि सेल्फ लोथिंग (Self loathing) की ओर इशारा करती हैं। इन सभी बातों में व्यक्ति का लो कॉफिडेंस झलकने लगता है। कई बार आसपास के माहौल और जीवन में घटने वाली कुछ घटनाएं व्यक्ति को इस प्रकार निराश और तनावग्रस्त कर देती है। जिससे वो अपना मनोबल खो देता है। उसे खुद पर विश्वास नहीं रहता और वो अपने आप को लूज़र महसूस करने लगता है। कई बार पर्सनल तो कभी प्रोफेशनल व्यक्ति कई कारणों से सेल्फ लोथिंग का शिकार बन जाता है। जानते हैं सेल्फ लोथिंग (self loathing) के कारण और उससे बचने के उपाय भी।
सेल्फ लोथिंग (Self loathing) उस स्टेज को कहते है, जब व्यक्ति अपनी पर्सनैलिटी को लेकर नकारात्मक होने लगता है। कई कारणों से व्यक्ति खुद में ही खामियां खोजने लगता है। जो तनाव का कारण बनने लगता है। व्यक्ति को अपनी एफिशेंसी और कैलिबर पर शक होने लगता है। वो हर वक्त दूसरों को अपने साथ कंपेयर करता है और खुद को कम आंकता है। इस बारे में काउंसलर और ग्राफोलॉजिस्ट सोनल ओसवाल का कहना है कि सोशल मीडिया के इस दौर में व्यक्ति सब कुछ पाने की इच्छा करने लगता है, जिसके चलते उसे खुद में ही कमियां दिखने लगती हैं।
लंबे वक्त से चला आ रहा तनाव
अन्य लोगों से खुद की तुलना करना
नकारात्मक लोगों के बीच अधिकतर समय व्यतीत करना
अपने स्कील्स को पॉलिश न करना
परफेक्शन की तलाश में हर वक्त रहना
खुद से ज्यादा उम्मीदें लगाना
क्या नहीं हासिल हुआ पर दुख जताने के बदले आपने जिंदगी में क्या पाया। उस पर गौर करना बेहद ज़रूरी है। इससे आप हर जंग को आसानी से पार कर सकते हैं। वे लोग जो अन्य लोगों के हिसाब से जीवन में आगे बढ़ते हैं। उन्हें मन मुताबिक अचीवमेंट नहीं मिल पाती है। खुद को निखारने की हर पल कोशिश करें और एजुकेशन को बढ़ाएं।
जब आप इस बात को स्वीकार लेते हैं कि आपसे गलती हो सकती है और आप उसे ठीक भी कर सकते हैं। तो वो सिचुएशन सेल्फ कंपैशन कहलाती है। सेल्फ लोथिंग (self loathing) से निकलने के लिए आपको खुद के अंदर सेल्फ कंपैशन लाना होगा। इससे आप अपनी कमियों पर ध्यान देने की बजाय उन्हें ठीक करने पर वर्क कर पाएंगी। इसके लिए अपने सेल्फ कंपैशन स्किल्स को सुधारें यानि कमियों को एक्सेप्ट करके उन्हें सुधारने का प्रयास करें।
हर पल बीती बातों को याद करके खुद को कोसना भी सेल्फ लोथिंग का एक संकेत है। ऐसे में खुद को इस सिचुएशन से बाहर निकालने के लिए दूसरों को हर दम कोसने की बजाय उन्हें माफ कर दें। इससे आपका माइंड रिलैक्स रह पाएगा, जिससे आप खुद के बारे में बेहतर ढ़ग से सोच पाएंगे।
अपनी कमियों पर परेशान होना छोड़ दें। कुछ समय प्रकृति के नज़दीक बिताएं और मेडिटेशन व योग करें। इससे आपके अंदर मौजूद नकारात्मकता को आसानी से दूर किया जा सकता है। इसके अलावा किताबें पढ़ें और आउटिंग के लिए बाहर जाएं। दूसरों के बारे में नकारात्मक विचार मन में लेकर न आएं। इसका असर आपके व्यवहार पर दिखने लगता है।
कुछ भी सीखने की कोई खास उम्र तय नहीं होती है। आप किसी भी उम्र में कुछ भी सीख सकते हैं। अपने स्किल्स को बढ़ाने की कोशिश करते रहें। खुद को अपडेटिड रखने से आप आसानी से दूसरों के साथ इंटरैक्ट कर सकते हैं। अन्यथा आपको खुद में कमी का एहसास होने लगेगा।
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