आंखों को कभी-भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। आंखों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए जरूरी उपाय अपनाना चाहिए। आमतौर पर खराब जीवनशैली हमारी आंखों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। स्ट्रेनफुल लाइफस्टाइल के कारण हमें लंबे समय तक स्क्रीन पर समय बिताने, स्क्रीन पर पढ़ने करने या अन्य गतिविधियों को अंजाम देना पड़ता है। इससे आंखों में तनाव और थकान हो सकती है। पर क्या वास्तव में स्ट्रेस आईसाइट को प्रभावित (stress affect eyesight) करता है? आंखों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने के लिए ही वर्ल्ड साइट डे (World Sight Day 2023) मनाया जाता है।
वर्ल्ड साइट डे या विश्व दृष्टि दिवस हर साल अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है। ब्लाइंडनेस और विजन लॉस के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए यह दुनिया भर में मनाया जाता है। वर्ल्ड साइट डे 2023 की थीम (World Sight Day 2023 Theme) है-गिविंग टुगेदर, सीइंग फॉरएवर (Giving Together, Seeing Forever) । यह लाखों जरूरतमंद लोगों को आंखों की रोशनी का उपहार देने के लिए लोगों को प्रेरित करता है।
हेल्थमग की डायरेक्टर ऑफ़ मेडिसिन डॉ. मुग्धा अग्रवाल बताती हैं, ‘लंबे समय तक स्क्रीन के संपर्क में रहने, खराब रोशनी, या लंबे समय तक एक ही काम पर ध्यान केंद्रित करने से सूखापन, लालिमा और असुविधा जैसे लक्षण (stress affect eyesight) हो सकते हैं। दूसरी ओर जब हम गंभीर रूप से तनावग्रस्त और एंग्जाइटी फील करते हैं, तो शरीर में एड्रेनालाइन (High Adrenaline affect Eyesight) का हाई लेवल आंखों पर दबाव पैदा कर सकता है। इसके कारण दृष्टि धुंधली हो सकती है। लंबे समय तक एंग्जाइटी से पीड़ित लोग पूरे दिन आंखों के तनाव से पीड़ित हो सकते हैं।
लोग अकसर यह सवाल करते हैं कि क्या भावनात्मक तनाव दृष्टि समस्याओं का कारण बन सकता है? तो इसका जवाब है हां। जब हम गंभीर रूप से तनावग्रस्त और एंग्जाइटी फील करते हैं, तो शरीर में एड्रेनालाइन का लेवल बढ़ जाता है, जो आंखों पर दबाव पैदा कर सकता है। इस तरह, भावनात्मक तनाव दृष्टि समस्याओं का कारण बन सकता है।
आंखों में दर्द, थकान, जलन या खुजली, आंखों से पानी आना या सूख जाना, धुंधली या डबल विजन होना, सिरदर्द, गर्दन, कंधे या पीठ में दर्द आई स्ट्रेस के लक्षण हो सकते हैं। इनके अलावा प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि हो सकती है। इसे फोटोफोबिया कहा जाता है। यह भी महसूस हो सकता है कि आंखें खुली रखना मुश्किल है।
डॉ. मुग्धा अग्रवाल के अनुसार, आंखों की स्ट्रेस को कम करने के लिए एलोवेरा जेल को आंखों के चारों ओर धीरे-धीरे लगाया जा सकता है। इसे आंखों के अंदर नहीं लगायें। इससे जलन और लालिमा कम होगी।
बंद पलकों पर खीरे के टुकड़े रखने का क्लासिक उपाय सूजन को कम करने और थकी हुई आंखों को शांत करने में मदद कर सकता है।
प्रत्येक आंख में शुद्ध गुलाब जल की कुछ बूंदें थकी हुई आंखों को ताजगी और रि जुवेनेशन प्रभाव डाल सकती हैं।
एंग्जाइटी के कारण अगर ब्लर विजन हो रहा है तो बेहतर है कि थोड़ी देर के लिए अपनी आंखें बंद करके लेट जाएं। इससे विजन के बारे में घबराहट कम हो सकती है। एंग्जाइटी को ठीक कर और अपने पैनिक अटैक को रोककर ब्लर विजन को को रोका जा सकता है।
20-20-20 नियम : लंबे स्क्रीन टाइम के दौरान आंखों के तनाव को रोकने के लिए हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लें। इस समय कम से कम 20 फीट दूर किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करें।
नियमित रूप से पलकें झपकाएं: अधिक बार पलकें झपकाने का सचेत प्रयास करें, क्योंकि इससे आपकी आंखों में नमी बनी रहेगी और सूखापन कम होगा।
उचित प्रकाश व्यवस्था: सुनिश्चित करें कि आपके ऑफिस में अच्छी रोशनी हो। हार्ड और चमकदार रोशनी से बचें, जो आंखों की थकान में योगदान कर सकती हैं।
गर्म सेक: बंद आंखों पर गर्म सेक लगाने से आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है और रक्त परिसंचरण में सुधार होता है।
याद रखें कि प्राकृतिक उपचारों का प्रभाव अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकता है। इसलिए आंखों में तनाव और थकान बनी रहने पर हेल्थकेयर प्रोफेशनल से सलाह जरूर लें।
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