जैसे जैसे एग्ज़ाम टाइम नज़दीक आता है, बच्चों का अधिकतर समय किताबों में ही गुज़रने लगता है। बावजूद इसके बहुत से बच्चे ऐसे भी हैं, जो देर तक किसी चीज़ को याद नहीं रख पाते। हां कई बार किसी विषय पर देर तक पढ़ने के बाद भी उसे लंबे वक्त तक याद रख पाना आसान नहीं होता है। दरअसल, किसी भी चीज़ को याद रखना उसकी सीखने यानि लर्निंग की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। लर्निंग मैटीरियल पर फोकस न करना और उस जानकारी को पूरा समय न देना भूलने की समस्या का कारण सिद्ध होते हैं। वहीं कुछ लोग कम समय के बावजूद भी जानकारी को बेहतर ढ़ग से याद रखकर अपने टारगेट अचीव करने में कामयाब साबित होते हैं। जानते हैं कि लर्निंग के लिए किन टिप्स (Tips to improve learning capacity) को करें फॉलो।
युनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के अनुसार गुड लर्निंग की मदद से व्यक्ति किसी कार्य को बेहतर तरीके से करने की दिशा में आगे बढ़ता है। लर्निंग प्रोसेस (learning process) में आगे बढ़ने से दूसरों के साथ काम करने और सीखने के अवसर मिलने लगते है। अपने विचारों को साझा करना और दूसरों की प्रतिक्रियाओं का जवाब देना सोच में सुधार लाता है और मेमोरी को बूस्ट करने में भी मदद करता है।
इस बारे में मनस्थली की फाउंडर डायरेक्टर और सीनियर साइकेटरिस्ट डॉ ज्योति कपूर का कहना है कि लर्निंग प्रोसेस को बेहतर बनाने के लिए फोकस और समय की आवश्यकता होती है। कुछ भी याद रखने के लिए एक्टिव पार्टिसिपेशन (Active participation) की आवश्यकता होती है, जिसमें आप डिस्कशन में हिस्सा और अपने कंटेट से जुड़े सवाल पूछें, जो आपकी लर्निंग को बेहतर बनाते हैं। इसके अलावा अपने गोल्स को सेट करना ज़रूरी है। इससे आप अपने लर्निंग प्रोसेस (learning process) को आसानी से मैनेज कर सकते हैं। साथ ही पढ़ने के लिए ऐसा वातावरण बनाएं जिसमें आपकी अटेंशन किसी भी प्रकार से डिस्ट्रैक्ट न हो।
किसी भी चीज़ को याद रखने के लिए उस पर फोकस करना बेहद ज़रूरी है। अगर आप किसी तथ्य को समझ लेते हैं, तो उसे रटने की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए ममोरी को इंप्रूव करना आवश्यक है। स्मृति को बढ़ाने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव लाना आवश्यक है। इसके लिए सोने और उठने का समय तय करें। इसके अलावा फिटनेस पर भी ध्यान दें और लोगों से मेलजोल बढ़ाएं। इससे आपकी मेंटल हेल्थ बेस्ट होती है, जो मेमोरी को बढ़ाने के लिए ज़रूरी है।
अगर आप अपनी लर्निंग पावर को बढ़ाना चाहते हैं, तो हर दम कुछ नया सीखने के लिए तैयार रहें। इससे आपको ब्रेन बेहतर तरीके से चीजों को एडॉप्ट करने लगता है। एनआईएच के रिसर्च के अनुसार अगर कोई व्यक्ति लंबे वक्त तक सीखने की प्रक्रिया से नहीं गुज़रता है, तो ब्रेन सेल्स डैमेज होने लगते हैं। इसका असर लर्निंग कपेसिटी पर भी दिखने लगता है। वहीं कुछ भी सीखने के बाद उसकी निंरतर प्रैक्टिस भी बहुत ज़रूरी है।
नोट बुक में लिखना या किताबों में पढ़कर उसे रटना लर्निंग नहीं कहलाता है। नई चीजों को सीखने और उन्हें याद रखने के लिए रिटन मेटिरियल के अलावा पोडकास्ट, मैपिंग, चित्रकारी और कम्प्यूटर की मदद ले सकते हैं। इससे आपको बहुत सी नई जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलने लगती है, जो लर्निंग को आसान और हेल्दी बना देता है।
लर्निंग का मतलब बेहद किसी चीज़ को याद करने तक सीमित नहीं रहती है। जब तक आप उसे कंटेंट को प्रैक्टिकली एक्सपीरिएंस नहीं कर लेते हैं, तब तक उसे लंबे वक्त तक याद रख पाना आसान नहीं होता है। याद करने के बाद उस चीज़ को दोहराने से मेंटल स्किल्स और लर्निंग स्किल्स बढ़ने लगते हैं। कुछ भी नया सीखने के लिए उसकी प्रैक्टिकल नॉलेज होना ज़रूरी है।
अगर आप किसी कंटेट को याद करने की कोशिश कर रही हैं, तो उस दौरान मल्टीपल कंटेट को साथ लेकर न बैठें। इससे आप अपने कार्य पर पूरी तरह से फोकस नहीं कर पाती हैं। अटेंशन डिवाइड होने से कार्य पूरे नहीं हो पाते हैं। सबसे पहले कुछ भी याद करने के लिए टाइम को डिवाइड कर लें। इससे आप सभी चीजों को समय पर आसानी से याद रख पाते हैं।
रिलेशनल लर्निंग उस लर्निंग प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें व्यक्ति पहले से याद किए गए कंटेंट से संबधित जानकारी को एकत्रित करके उसे याद करता है। इसका मकसद लर्निंग कपेसिटी को बढ़ाना और ज्ञान में वृद्धि करना होता है। इससे व्यक्ति किसी चीज़ के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर पाता है, जिससे उसे याद रखना भी बेहद आसान हो जाता है।
चीजों को याद रखने के लिए उसे दूसरों को अगर आप समझाने का प्रयास करते हैं, तो इससे वो कंटेट लंबे वक्त तक आपकी दिमाग में मौजूद रहता है। इससे मेमोरी बेहतर होने लगती है और चीजों को याद रखना आसान होने लगता है। अपने किसी मित्र या कलीग्स व छात्रों को टभ्च करने से याद रखने में मदद मिलती है।
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