Winter Blues : क्या मौसम में ठंड के साथ आपकी उदासी भी बढ़ने लगी है, तो जानिए इसका कारण और बचाव के तरीके

सर्दी के आरंभ होते हैं कुछ लोग बेचैनी, चिंता और आलस्य की चपेट में चले जाते हैं। ऐसी स्थिति को विंटर ब्लूज कहा जाता है। आइए जानते हैं क्यों होती है विंटर ब्लूज की दस्तक और इससे कैसे बचना है।
Winter blues se kaise karein bachaav
सर्दी के आरंभ होते हैं कुछ लोग बेचैनी, चिंता और आलस्य की चपेट में चले जाते हैं। चित्र: अडोबी स्टॉक
Updated On: 9 Dec 2023, 08:25 pm IST
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Dr. Yuvraj pant
इनपुट फ्राॅम

ठण्ड के मौसम में दिन छोटे और रातें लंबी होने गलती है। सर्द हवाओं की आमद से तापमान में गिरावट आने लगती है। दूसरी ओर कम रोशनी से दिनभर आलस्य और निद्रा शरीर को घेरे रखते है। दरअसल, धूप न निकल पाने से लोग हर वक्त लोग सुस्त रहते हैं, जो शरीर में तनाव का भी कारण बनने लगता है। इस समस्या को सीजनल एफेक्टिव डिसऑडर के रूप में जाना जाता है। इसका असर आपके तन और मन के अलावा वर्क प्रोडक्टिविटी पर भी दिखने लगता है। जिसे मनोविज्ञान की भाषा में विंटर ब्लूज कहा जाता है। आइए जानते हैं क्यों होती है विंटर ब्लूज की दस्तक और इससे कैसे बचना है (tips to deal with winter blues)।

सामान्य तनाव से अलग है सीज़नल स्ट्रेस (Seasonal stress)

सर्दी के आरंभ होते हैं कुछ लोग बेचैनी, चिंता और आलस्य की चपेट में चले जाते हैं। ऐसी स्थिति को सीजनल एफेक्टिव डिसऑडर कहा जाता है। ये एक प्रकार का तनाव है, जो ठण्ड की शुरूआत के साथ लोग अनुभव करते हैं। एनआईएच के अनुसार सीजनल एफेक्टिव डिसऑडर के शिकार लोग अक्सर बेचैन, परेशान और इरिटेट रहते हैं। किसी भी कार्य में उनका मन नहीं लगता है। इसके अलावा लो एनर्जी, ओवरस्लीप और ओवरइटिंग की समस्या भी लोगों के साथ बनी रहती है। अधिक मात्रा में कार्ब्स और शुगर का इनटेक वज़न बढ़ने का कारण साबित होता है।

winter blues kya hote hain
जानें सीजनल डिप्रेशन और विंटर ब्लूज़ के बीच अंतर चित्र : अडोबी स्टॉक

जानते हैं विंटर ब्लूज़ से डील करने के उपाय (tips to deal with winter blues)

1 योगाभ्यास है ज़रूरी

सर्दी के मौसम में बॉडी को प्रोडक्टिव बनाने के लिए कुछ वक्त योग के लिए अवश्य निकालें। इससे शरीर एक्टिव रहता है और स्ट्रेस कम होने लगता है। सर्द हवाओं की चपेट में आने से बचने के लिए योगाभ्यास बेहद ज़रूरी हैं। इसके लिए रूटीन में वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, गोमुखासन और पद्मासन को शामिल कर सकते हैं। इससे शरीर में होने वाली ऐंठन दूर होती है और ब्लड सर्कुलेशन भी नियमित होने लगता है।

2 लाइट थेरेपी है कारगर

तेज़ धूप की कमी के चलते मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर सीरोटोनिन की कमी के चलते दिमाग हर वक्त परेशान रहता है, जो मूड स्विंग का कारण बन जाता है। ऐसे में खुद का एकि्अव और सकारात्मक बनाए रखने के लिए लाइट थेरेपी की मदद ली जाती है। इसके लिए रोज़ाना नियमित रोशनी पाने के लिए दिनभर में 30 मिनट लाइट बॉक्स के सामने बिताएं। इससे दिमाग को एनर्जी की प्राप्ति होती है।

3 सेरोटॉनिन बूस्टिंग डाइट लें

विंटर ब्लूज़ के ग्रस्त लोगों को अक्सर मीठा खाने की क्रेविंग बार बार सताती है, जो वेटगेन का कारण साबित होता है। ऐसे में मूड बूस्टिंग फूड को डाइट में शामिल करें। इसके लिए फल, सब्जियां, हेल्दी फैट्स और प्रोटीन रिच डाइट लें। डाइट में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फोलेट भी एड करें। इससे ब्रेन में सेरोटॉनिन बढ़ने लगता है, जिससे आप दिनभर खुद को एक्टिव महसूस करते हैं। इसके अलावा वॉटर इनटेक भी बढ़ाएं।

4 नियम से सोएं और उठें

समय से न सोना और उठना मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक साबित होने लगता है। इससे व्यक्ति दिनभर आलस्य से भरा रहता है। इसके लिए रूटीन के अनुरूप अपनी दिनचर्या को निर्धारित करें। नींद पूरी होने से व्यक्ति हर कार्य को करने के लिए तैयार रहता है। साथ ही बार बार नींद आने की समस्या और तनाव से भी बचा रहता है। अच्छी नींद के लिए सोने से पहले गैजेट्स को अवॉइड करें और कमरे में अंधेरा करके सोने का प्रयास करें।

Winter blues kaise aapki mental health ko karta hai prabhaavit
समय से न सोना और उठना मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक साबित होने लगता है। चित्र: अडोबी स्टॉक

5 मेडीटेशन है ज़रूरी

मन को शांत रखने के लिए कुछ वक्त अकेले बिताएं और मेडीटेशन करें। इससे मन में उठने वाले विचारों पर नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है। भावों के वेग की गति को कम करने के लिए नकारात्मकता को त्याग दें और विचारों में शुद्धता लेकर आएं। इससे मन शांत रहेगा। दिनभर में 30 मिनट की मेडीटेशन आपके तनाव को कम करने में मददगार साबित होती है।

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एक्सपर्ट की सलाह लें

अगर आप सभी टिप्स को फॉलो करने के बाद भी विंटर ब्लूज़ की समस्या को कम नहीं कर पा रहे हैं, तो एक्सपर्ट की राय लेना न भूलें। इसके लिए लोगों को सीबीटी यानि कॉग्नीटिव बिहेवियरल थेरेपी दी जाती है। इससे सीजनल एफेक्टिव डिसऑडर की समस्या से निपटा जा सकता है।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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