ठण्ड के मौसम में दिन छोटे और रातें लंबी होने गलती है। सर्द हवाओं की आमद से तापमान में गिरावट आने लगती है। दूसरी ओर कम रोशनी से दिनभर आलस्य और निद्रा शरीर को घेरे रखते है। दरअसल, धूप न निकल पाने से लोग हर वक्त लोग सुस्त रहते हैं, जो शरीर में तनाव का भी कारण बनने लगता है। इस समस्या को सीजनल एफेक्टिव डिसऑडर के रूप में जाना जाता है। इसका असर आपके तन और मन के अलावा वर्क प्रोडक्टिविटी पर भी दिखने लगता है। जिसे मनोविज्ञान की भाषा में विंटर ब्लूज कहा जाता है। आइए जानते हैं क्यों होती है विंटर ब्लूज की दस्तक और इससे कैसे बचना है (tips to deal with winter blues)।
सर्दी के आरंभ होते हैं कुछ लोग बेचैनी, चिंता और आलस्य की चपेट में चले जाते हैं। ऐसी स्थिति को सीजनल एफेक्टिव डिसऑडर कहा जाता है। ये एक प्रकार का तनाव है, जो ठण्ड की शुरूआत के साथ लोग अनुभव करते हैं। एनआईएच के अनुसार सीजनल एफेक्टिव डिसऑडर के शिकार लोग अक्सर बेचैन, परेशान और इरिटेट रहते हैं। किसी भी कार्य में उनका मन नहीं लगता है। इसके अलावा लो एनर्जी, ओवरस्लीप और ओवरइटिंग की समस्या भी लोगों के साथ बनी रहती है। अधिक मात्रा में कार्ब्स और शुगर का इनटेक वज़न बढ़ने का कारण साबित होता है।
सर्दी के मौसम में बॉडी को प्रोडक्टिव बनाने के लिए कुछ वक्त योग के लिए अवश्य निकालें। इससे शरीर एक्टिव रहता है और स्ट्रेस कम होने लगता है। सर्द हवाओं की चपेट में आने से बचने के लिए योगाभ्यास बेहद ज़रूरी हैं। इसके लिए रूटीन में वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, गोमुखासन और पद्मासन को शामिल कर सकते हैं। इससे शरीर में होने वाली ऐंठन दूर होती है और ब्लड सर्कुलेशन भी नियमित होने लगता है।
तेज़ धूप की कमी के चलते मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर सीरोटोनिन की कमी के चलते दिमाग हर वक्त परेशान रहता है, जो मूड स्विंग का कारण बन जाता है। ऐसे में खुद का एकि्अव और सकारात्मक बनाए रखने के लिए लाइट थेरेपी की मदद ली जाती है। इसके लिए रोज़ाना नियमित रोशनी पाने के लिए दिनभर में 30 मिनट लाइट बॉक्स के सामने बिताएं। इससे दिमाग को एनर्जी की प्राप्ति होती है।
विंटर ब्लूज़ के ग्रस्त लोगों को अक्सर मीठा खाने की क्रेविंग बार बार सताती है, जो वेटगेन का कारण साबित होता है। ऐसे में मूड बूस्टिंग फूड को डाइट में शामिल करें। इसके लिए फल, सब्जियां, हेल्दी फैट्स और प्रोटीन रिच डाइट लें। डाइट में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फोलेट भी एड करें। इससे ब्रेन में सेरोटॉनिन बढ़ने लगता है, जिससे आप दिनभर खुद को एक्टिव महसूस करते हैं। इसके अलावा वॉटर इनटेक भी बढ़ाएं।
समय से न सोना और उठना मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक साबित होने लगता है। इससे व्यक्ति दिनभर आलस्य से भरा रहता है। इसके लिए रूटीन के अनुरूप अपनी दिनचर्या को निर्धारित करें। नींद पूरी होने से व्यक्ति हर कार्य को करने के लिए तैयार रहता है। साथ ही बार बार नींद आने की समस्या और तनाव से भी बचा रहता है। अच्छी नींद के लिए सोने से पहले गैजेट्स को अवॉइड करें और कमरे में अंधेरा करके सोने का प्रयास करें।
मन को शांत रखने के लिए कुछ वक्त अकेले बिताएं और मेडीटेशन करें। इससे मन में उठने वाले विचारों पर नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है। भावों के वेग की गति को कम करने के लिए नकारात्मकता को त्याग दें और विचारों में शुद्धता लेकर आएं। इससे मन शांत रहेगा। दिनभर में 30 मिनट की मेडीटेशन आपके तनाव को कम करने में मददगार साबित होती है।
अगर आप सभी टिप्स को फॉलो करने के बाद भी विंटर ब्लूज़ की समस्या को कम नहीं कर पा रहे हैं, तो एक्सपर्ट की राय लेना न भूलें। इसके लिए लोगों को सीबीटी यानि कॉग्नीटिव बिहेवियरल थेरेपी दी जाती है। इससे सीजनल एफेक्टिव डिसऑडर की समस्या से निपटा जा सकता है।
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